जलाभिषेक से भक्तों की पूरी होती हैं मनोकामनाएं
मुगलकालीन चांदनी चौक धार्मिक सद्भाव की मिसाल है। लालकिला से आगे बढ़ते ही पहले जैन लाल मं
By JagranEdited By: Updated: Fri, 27 Jul 2018 10:22 PM (IST)
मुगलकालीन चांदनी चौक धार्मिक सद्भाव की मिसाल है। लालकिला से आगे बढ़ते ही पहले जैन लाल मंदिर, फिर ऐतिहासिक गौरी शंकर मंदिर होते हुए शीशगंज गुरुद्वारा और सुनहरी मस्जिद बताती है कि यहां के लोग किस तरह आपस में मिलजुल कर रहते हैं और एक दूसरे की धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखते हैं।
इतिहास पुरानी दिल्ली का चांदनी चौक स्थित गौरी शंकर मंदिर तकरीबन आठ सौ साल पुराना है। माना जाता है कि शिव भक्त मराठा सैनिक गंगाधर एक बार लड़ाई में गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। तब भगवान शिव से उन्होंने प्रार्थना की कि अगर भगवान उन्हें स्वस्थ कर देंगे तो वे उनके लिए सुंदर मंदिर का निर्माण करेंगे। भगवान ने उनकी सुन ली और गंगाधर ठीक हो गए। इसके बाद उन्होंने चांदनी चौक में भव्य गौरीशंकर मंदिर का निर्माण करवाया। यह भी मान्यता है कि सच्चे मन से आने वाले श्रद्धालु की मनोकामना भी पूरी होती है।
विशेषता
यह मंदिर सफेद बलुआ पत्थर से बनाया गया था। मंदिर का जो मौजूदा स्वरूप है, उसे वर्ष 1959 में सेठ जयपुरा ने रूप दिया। उन्होंने मंदिर के छत को पिरामिड के रूप में कोणीय आकार देते हुए निर्माण कराया। साथ ही इसके ऊपरी परत को सफेद रंग से रंगवाया, ताकि चांदनी चौक में मंदिर अलग तरह का दिखाई दे। -----------------
शिवभक्तों के लिए सावन विशेष है। इस माह शिव को जल चढ़ाने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसलिए सावन में मंदिर को विशेष तौर पर फूलों और झालरों से सजाया गया है। श्रृंगार के साथ मूर्तियों को नया वस्त्र पहनाया गया है। मंदिर में सफाई के विशेष इंतजाम किए गए हैं। इस माह भक्त व्रत रखते हैं। ऐसे में व्रत वाले प्रसाद के इंतजाम किए गए हैं। तेजप्रताप महाराज, पुजारी गौरी शंकर मंदिर। मंदिर के आस-पास सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए हैं। सीसीटीवी कैमरों के साथ ही भक्तों की सहायता के लिए वालंटियर तैनात किए गए हैं। मान्यता है कि गौरी शंकर मंदिर में दूर-दूर से भक्त जल चढ़ाने आते हैं। इसलिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। इसके साथ ही उत्तरी नगर निगम, दिल्ली यातायात पुलिस के साथ दिल्ली पुलिस से संपर्क कर उनसे सहायता मांगी गई है। -सुभाष गोयल, उप प्रधान मंदिर समिति।
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