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छोटे अस्पताल व पीएचसी में भी हो सकेगा हेपेटाइटिस का इलाज

विश्व हेपेटाइटिस दिवस - नई दवाओं की उपलब्धता से आसान हुआ इलाज - डब्ल्यूएचओ ने स्क्रीनिं

By JagranEdited By: Updated: Fri, 27 Jul 2018 11:24 PM (IST)
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छोटे अस्पताल व पीएचसी में भी हो सकेगा हेपेटाइटिस का इलाज
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : हेपेटाइटिस बी का टीका व हेपेटाइटिस सी का कारगर इलाज उपलब्ध होने के बावजूद जागरूकता व चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण यह बीमारियां जानलेवा बनी हुई हैं। यही वजह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस बार विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर 'हेपेटाइटिस : जांच व इलाज' थीम रखा है। संगठन ने इस बात पर जोर दिया है कि स्क्रीनिंग के जरिये बीमारी का पता लगाकर पीड़ितों का इलाज किया जाए ताकि इस खतरनाक बीमारी को जड़ से मिटाया जा सके। विशेषज्ञ कहते हैं कि देश में सरकार इस दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। आने वाले दिनों में छोटे अस्पतालों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में भी इसकी जांच व इलाज की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।

बता दें कि अभी बड़े अस्पतालों में ही इन बीमारियों के इलाज की सुविधा है। हालांकि दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग ने हेपेटाइटिस बी व सी की दवा को जरूरी दवाओं की सूची में शामिल कर लिया है। इसलिए यहां के करीब आधा दर्जन अस्पतालों में हेपेटाइटिस बी व सी की मुफ्त दवाएं उपलब्ध कराने का प्रावधान है।

यकृत व पित्त विज्ञान संस्थान (आइएलबीएस) के निदेशक डॉ. एसके सरीन ने कहा कि दिल्ली देश का पहला राज्य है जहां इन दोनों बीमारियों की दवाएं निशुल्क देने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस सी की सस्ती दवाएं उपलब्ध हो गई हैं। हेपेटाइटिस बी की दवाएं जीवनभर लेनी होती हैं पर अब इन बीमारियों का इलाज बहुत आसान हो गया है। इसलिए मुफ्त जांच व इलाज की सुविधा उपलब्ध कराना जरूरी है। अच्छी बात यह है कि केंद्र सरकार टीबी व एचआइवी की तरह हेपेटाइटिस की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू करने जा रही है इसलिए संभव है कि छोटे अस्पतालों व पीएचसी में भी मुफ्त दवाएं मिल पाएंगी।

देश में करीब 5 करोड़ लोग इन बीमारियों से पीड़ित हैं। इसमें से करीब 1.20 करोड़ लोग हेपेटाइटिस सी से पीड़ित हैं। बचाव के लिए स्क्रीनिंग जरूरी

डॉक्टर कहते हैं कि हेपेटाइटिस बी व हेपेटाइटिस सी की बीमारी का शुरुआत में लक्षण पता नहीं चलता। लक्षण तब पता चलता है जब बीमारी गंभीर बन जाती है। इसलिए इससे बचाव के लिए स्क्रीनिंग व जांच जरूरी है। संक्रमित सूई, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, सर्जरी व दांतों की बीमारियों के इलाज के दौरान इस्तेमाल होने वाले चिकित्सकीय उपकरणों के संक्रमण से यह बीमारियां होती हैं। इसलिए बीमारी से बचाव के लिए स्क्रीनिंग व जांच जरूरी है। टीका लगने के बावजूद भी जांच जरूरी

आइएलबीएस की विशेषज्ञ डॉ. राखी माईवाल ने कहा कि हेपेटाइटिस बी का टीका मौजूद है। कई लोगों को यह टीका लगे होने के बावजूद उनमें बीमारी होने का खतरा रहता है। टीका लगने के तीन से पांच साल में जांच कराकर इसकी आशंका दूर की जा सकती है।

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