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फोन पर मिली थी धमकी, चार दिन तुम्हारा, पाचवां दिन मेरा

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : रणहौला थाना क्षेत्र में प्रॉपर्टी कारोबारी राजेंद्र गोयल की ि

By JagranEdited By: Updated: Sat, 28 Jul 2018 09:29 PM (IST)
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फोन पर मिली थी धमकी, चार दिन तुम्हारा, पाचवां दिन मेरा

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : रणहौला थाना क्षेत्र में प्रॉपर्टी कारोबारी राजेंद्र गोयल की दिनदहाड़े हुई हत्या में पुलिस की लापरवाही की बात सामने आ रही है। राजेंद्र गोयल के एक दोस्त का कहना है कि 20 जुलाई को इनके पास किसी शख्स का फोन आया था जिसने इनसे 56 लाख रुपये लौटाने की बात कही थी। यह रुपये जमीन के किसी सौदे से संबंधित थे। ऐसा लग रहा था कि फोन करने वाला शख्स सौदे के बाद पीछे हट रहा था। वह धमकी भी दे रहा था। फोन पर बातचीत के दौरान राजेंद्र के चेहरे पर तनाव भी झलक रहा था। इसके बाद 23 जुलाई को इनके पास फिर फोन आया और इस बार सीधे धमकी देते हुए कहा गया कि चार दिन में पैसे दिए तो ठीक है, नहीं तो पांचवां दिन तुम्हारा नहीं होगा। चार दिन तुम्हारा और पाचवां मेरा। राजेंद्र के दोस्त ने बताया कि फोन करने वाले ने यह भी कहा कि तुमने पुलिस को मामले की शिकायत दी है। आखिर ऐसा करने की हिम्मत कैसे हुई। इसके बाद फिर कॉल आई और इस बार एक करोड़ की मांग की गई। इसके बाद राजेंद्र के चेहरे पर पसीना निकलने लगा। दोस्त ने पूछा कि किसका फोन था बताओ, लेकिन राजेंद्र ने इस संबंध में कुछ भी नहीं बताया। फोन कॉल के छठे दिन ही राजेंद्र पर कातिलाना हमला कर उनकी हत्या कर दी गई। दोस्त बताते हैं कि साफ है कि हत्या के तार फोन करने वाले शख्स से जुड़े हैं, पुलिस को इस ¨बदु पर अपनी छानबीन को केंद्रित करना चाहिए। उधर, पुलिस भी राजेंद्र के मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाल रही है जिससे कि हत्यारे तक पहुंचा जा सके। हत्यारों के चेहरे पर नहीं था भय : प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक राजेंद्र अपने बैंक्वेट हॉल के सामने जैसे ही पहुंचे थे, उनपर गोलियों की बौछार हत्यारों ने शुरू कर दी थी। कुछ लोगों ने जब शोर मचाना शुरू किया तो बदमाशों ने उनपर भी पिस्टल तान दी और धमकी दी। इसके बाद आराम से सभी बदमाश मोटरसाइकिल पर बैठे और रणहौला की ओर निकल गए। परिजनों के मुताबिक राजेंद्र हर दिन अपने पास लाइसेंसी पिस्टल रखते थे, लेकिन घटना वाले दिन वे पिस्टल घर पर ही छोड़ आए थे।

राजेंद्र धार्मिक स्वभाव के थे। क्षेत्र में कई मंदिरों के निर्माण में इनकी सहभागिता रही। ये अपने पैसे से लोगों को हरिद्वार की यात्रा भी कराते थे। परिजनों और दोस्तों का कहना है कि इस बैंक्वेट हॉल का नाम इन्होंने अपनी छोटी बेटी के नाम पर रखा था। कुछ महीने पहले ही इसी बैंक्वेट हॉल में उसका जन्मदिन भी मनाया था। योजना थी कि जन्माष्टमी से बैंक्वेट हॉल का शुभारंभ कर दिया जाएगा।

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