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जब अस्पताल में जमीन पर लेट गई युवती और परिजन ने किया जबरदस्त हंगामा

घंटों भटके मजबूर तीमरदार। गुस्साए परिजनों ने मरीज को व्हील स्ट्रैचर से नीचे उतारा। परिजनों के हंगामे के बाद उपलब्ध कराई एंबुलेंस।

By Amit SinghEdited By: Updated: Sun, 29 Jul 2018 12:44 PM (IST)
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जब अस्पताल में जमीन पर लेट गई युवती और परिजन ने किया जबरदस्त हंगामा
नोएडा (मोहम्मद बिलाल)। नोएडा शहर कहने के लिए तो हाईटेक है, लेकिन यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था दोयम दर्जे की है। इसका ताजा उदाहरण शनिवार को जिला अस्पताल में देखने को मिला। छलेरा निवासी युसुफ अहमद शनिवार को अपनी बीमार बेटी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन न तो जिला अस्पताल में उनकी बेटी का इलाज हो सका और न ही यहां के डॉक्टरों और कर्मचारियों ने उनके साथ अच्छा सुलूक किया। कई घंटों बाद पीड़िता को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया। युसुफ एक हाथ से दिव्यांग है। उधर अस्पताल के सीएमएस डॉ अजय अग्रवाल ने बताया कि मामले की जांच के आदेश दिए गए है। जो भी डॉक्टर और कर्मचारी इसमें दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इलाज के नाम पर घंटों भटके

युसुफ अहमद ने बताया कि उनकी छह बेटियां और एक लड़का है। शुक्रवार शाम को चौथे नंबर की 13 वर्षीय बेटी निशा परवीन उल्टी और दस्त से ग्रसित हो गई थी। शनिवार सुबह 7:30 बजे वह पत्नी नूरजहां के साथ बेटी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। यहां उन्हें इलाज के लिए घंटो इधर-उधर भटकना पड़ा। इसके बाद इलाज की बारी आने पर डॉक्टर और कर्मचारी आनाकानी करने लगे। तीन घंटे से भी अधिक वक्त बीत जाने के बाद बेटी को इमरजेंसी वार्ड में ले जाया गया और एक ग्लूकोज की बोतल लगाकर छोड़ दिया गया। इस पर परिजनों ने जब कुछ देर बाद वहां मौजूद डॉक्टर और नर्स से बेटी के हालत के बारे में पूछा तो मरीज को प्राईवेट अस्पताल में दिखाने की बात कही जाने लगी।

ज्यादा जल्दी है तो ले यहां से जाओ

बेटी की मां नूरजहां ने बताया कि, जब उन्होंने अस्पताल के डॉक्टरों से मरीज की तबियत के बारे में पूछा तो डॉक्टर और कर्मचारी उनसे बदतमीजी करने लगे। ज्यादा जल्दी होने पर एंबुलेंस करके मरीज को प्राईवेट अस्पताल ले जाने की बात कहने लगे। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो अस्पताल के कर्मचारियों ने पीड़िता को अस्पताल के बाहर कर दिया। नूरजहां ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने मरीज को किसी दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस देने से भी मना कर दिया, लेकिन जब उन्होंने हंगामा किया तो कर्मचारियों ने उसे दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल के लिए रेफर कर दिया।

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