कमांडो राजेश नेगी ने लिखी वीरता की दास्तान, आंखें गंवाने के बावजूद आतंकियों को किया ढेर
राजेश ने आतंकियों को ललकारा तो हमलावरों ने उनके ऊपर ग्रेनेड फेंक दिया। ग्रेनेड फटते ही उसके छर्रे राजेश के शरीर में घुस गए।
By Amit MishraEdited By: Updated: Sun, 29 Jul 2018 10:09 PM (IST)
साहिबाबाद [गौरव शशि नारायण]। नाज हमें है उन वीरों पर, जो मान बड़ा कर आए हैं। दुश्मन को घुसकर के मारा, शान बड़ा कर आए हैं।। ये पंक्तियां कमांडो राजेश नेगी पर सटीक बैठती हैं। वर्ष 2016 में पठानकोट एयरबेस में दो जनवरी को हुए आतंकी हमले में अपनी आंखें गंवाने के बावजूद उन्होंने दो आतंकियों को ढेर कर दिया था। इसके साथ ही भारत माता के इस लाल ने न सिर्फ तिरंगा थामे रखा बल्कि ढाई हजार से अधिक लोगों की जान भी बचाई।
साथियों के साथ सर्च अभियान में जुट गए पठानकोट में सर्च ऑपरेशन खत्म होने के बाद करीब 14 दिन तक उनका इलाज चला। इसके बाद वह घर लौटे। वह अब अपनी बेटी दिशा और बेटे आरव को देश की रक्षा के लिए तैयार करेंगे। राजेश बताते हैं कि पठानकोट एयरबेस में आतंकियों के घुसने की जानकारी मिलते ही वह अपने साथियों के साथ सर्च अभियान में जुट गए थे।
आतंकियों ने ग्रेनेड से किया हमला करीब ढाई हजार की आबादी वाले बड़े एरिया के पास उनका आमना-सामना आतंकियों से हुआ। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती लोगों की जान बचानी थी। राजेश ने आतंकियों को ललकारा तो हमलावरों ने उनके ऊपर ग्रेनेड फेंक दिया। ग्रेनेड फटते ही उसके छर्रे राजेश के शरीर में घुस गए। कुछ छर्रे उनकी आखों में चले गए। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद अन्य जवानों के साथ मिलकर उन्होंने दो आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया।
हीरो की तरह हुआ था स्वागत
करीब 14 दिन के इलाज के बाद जब राजेश पत्नी यशोदा, मां हेमा, पिता हर्ष नेगी, बेटी दिशा और बेटे आरव के साथ अपने घर पहुंचे तो उनका स्वागत हीरो के तरह हुआ था। लोगों ने नेगी को कंधे पर उठाकर सोसायटी में घुमाया था। इसके बाद मोहल्ले में मिठाई बांटी गई।परिवार का सेना से है पुराना साथ
राजेश नेगी के पिता हर्ष ने बताया कि सेना में उनकी दूसरी पीढ़ी चल रही है। उनके छोटे भाई उत्तम कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे। छोटे भाई कुंवर सिंह चार कुमाऊं रेजीमेंट में हवलदार हैं। राजेश ने परिवार की परंपरा के अनुसार बहादुरी का काम किया है। वर्ष 2015 नवंबर में राजेश अपने घर लौटे थे। दिसंबर में उन्होंने ड्यूटी ज्वॉइन कर ली थी।
कमांडो ग्रुप ने संभाला मोर्चा 2 जनवरी 2016 को पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद एनएसजी के कमांडो ग्रुप ने फौरन वहा मोर्चा संभाला। तीन जनवरी की रात घायल होने के बाद अगले दिन उन्होंने पत्नी को फोनकर घटना की जानकारी दी थी, जिसके बाद परिजन आर्मी अस्पताल पहुंचे थे। उनके साहस को देखते हुए सरकार से लेकर कई संगठनों ने उन्हें सम्मानित किया था।
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