सेंट स्टीफंस के डॉ. शाश्वत की हत्या की जांच सीबीआइ को
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : सेंट स्टीफंस अस्पताल के युवा रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर शाश्वत की हत्या
By JagranEdited By: Updated: Sun, 29 Jul 2018 08:43 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
सेंट स्टीफंस अस्पताल के युवा रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर शाश्वत की हत्या की जांच अब सीबीआइ करेगी। वारदात के 11 महीने बाद भी दिल्ली पुलिस आरोपित डॉ. सुयश को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। आठ माह तक उत्तरी जिला पुलिस ने इस केस की जांच की, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। इसके बाद केस की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई, मगर डीसीपी ज्वॉय टिर्की की टीम भी चार महीने तक कुछ नहीं कर पाई। आखिरकार डॉक्टर शाश्वत के परिजनों ने हाई कोर्ट का रुख किया तो कोर्ट ने दो दिन पूर्व इस मामले की जांच सीबीआइ को स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया।
11 महीने में भी आरोपित डॉक्टर को गिरफ्तार न कर पाना दिल्ली पुलिस की बहुत बड़ी लापरवाही मानी जा रही है। पिछले कुछ वर्षो के दौरान यह दूसरा मामला है, जब दिल्ली पुलिस का पूरा तंत्र लग जाने के बावजूद कामयाबी नहीं मिली। इससे पहले जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नजीब अहमद की तलाश नहीं कर पाने पर दिल्ली पुलिस की किरकिरी हो चुकी है। गत वर्ष 24 अगस्त की देर रात सेंट स्टीफंस के निष्कासित डॉक्टर सुयश ने अस्पताल के अंदर घुसकर डॉक्टर शाश्वत की हत्या कर दी थी। जांच में आरोपित डॉक्टर के समलैंगिक होने व डॉक्टर शाश्वत के साथ उसकी गहरी दोस्ती होने की बात सामने आई थी। डॉक्टर शाश्वत द्वारा दूरी बनाने पर दोनों के बीच झगड़ा होने लगा था। वारदात के बाद सितंबर में पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने आरोपित सुयश पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया था, जिसे दिसंबर में बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया गया। पुलिस का कहना है कि आरोपित डॉक्टर सुयश संभवत: नेपाल भाग गया है। गत फरवरी में हरिद्वार में एक होटल के वेटर के पास से उसका मोबाइल बरामद हुआ था। वेटर से पूछताछ में पता चला था कि डॉ. सुयश जब होटल में रुकने आया था तो स्टाफ ने उससे पहचान पत्र के तौर पर आधार कार्ड की फोटो प्रति मांगी थी, इस पर उसका स्टाफ के साथ झगड़ा हो गया था। झगड़े के दौरान उसका फोन गिर गया था। डॉक्टर शाश्वत की मां डॉ. शालिनी पांडे ने सेंट स्टीफंस अस्पताल पर भी लापरवाही का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि जब घटना से पहले आरोपित सुयश की हरकतों को देखकर उसे अस्पताल से बाहर निकाल दिया गया था तब अस्पताल प्रबंधन ने उससे पंचिंग कार्ड क्यों नहीं जमा कराया था। पंचिंग कार्ड वापस न लेने के कारण ही उसने घटना वाली रात अस्पताल पहुंचकर वारदात को अंजाम दिया। उन्होंने इस मामले में अस्पताल प्रबंधन को भी जिम्मेदार ठहराया था और उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी।
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