दिल्लीः निगम के अफसर बोले, 2020 से लैंडफिल साइट पर गीला कचरा नहीं डलेगा
केंद्र सरकार से तेहखंड में लैंडफिल साइट के लिए हमें जमीन मिली है। करीब 45 एकड़ जमीन पर हम यह साइट बनाएंगे। इसमें 15 एकड़ में कूड़े से बिजली बनाने का संयत्र लगाया जाएगा।
By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 30 Jul 2018 03:26 PM (IST)
नई दिल्ली (जेएनएन)। सुप्रीम कोर्ट द्वारा कूड़े के पहाड़ों को लेकर निगमों की कार्यशैली पर सवाल उठाए जाने के बाद पूर्वी एवं उत्तरी दिल्ली नगर निगम अपनी आर्थिक हालत का रोना रोकर बचने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पास तो पैसे की कोई कमी नहीं है, बावजूद कूड़े का पर्याप्त निस्तारण क्यों नहीं हो पा रहा और इस समस्या का कब तक समाधान होगा, इसको लेकर दैनिक जागरण क वरिष्ठ संवाददाता निहाल सिंह ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त डॉ. पुनीत कुमार गोयल से बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश...
1. दक्षिणी निगम में ओखला में कूड़े का पहाड़ है जो एक तरह से दिल्ली पर दाग है। इस दाग को कैसे खत्म किया जाएगा?- इसे दाग तो कहना उचित नहीं होगा क्योंकि यह कूड़ा आम जनता के घर से या दुकानों से निकला है। अगले वर्ष के मार्च तक ओखला लैंडफिल साइट की ऊंचाई को कम करने के लिए निगम कड़ी मेहनत कर रहा है। आइआइटी के विशेषज्ञों की सलाह पर इसकी ऊंचाई कम करने के लिए कार्य किया जा रहा है। आधुनिक मशीनों द्वारा पहाड़नुमा हिस्से को समतल किया जा रहा है। 30-40 फीसद ढलान करने का कार्य पूरा हो चुका है। मार्च 2019 तक तक यह काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद 150-160 फीट की ऊंचाई वाली लैंडफिल साइट की ऊंचाई 40 से 50 फीसद कम हो जाएगी। बड़ी बात यह है कि निगम किसी तीसरी संस्था की बजाय खुद के कर्मचारियों से यह काम करा रहा है जिससे निगम को आर्थिक फायदा भी हो रहा है।
2. लैंड फिल साइट पर पड़े गीले कचरे का निस्तारण कैसे होगा?- लैंड फिल साइट को वैज्ञानिक तरीके से समतल किया जा रहा है। इसके नीचे पड़े कीचड़ को भी निकाला जाएगा। गीले कचरे का निस्तारण सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए शोधित करते सीवेज में डाला जाएगा। आने वाले समय में यह एक हरा भरा क्षेत्र दिखाई देगा।
3. जब इतनी तकनीक मौजूद है, तब कूड़े को लैंड फिल साइट पर डालने की जगह सीधे उसका उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा?- केंद्र सरकार से तेहखंड में लैंडफिल साइट के लिए हमें जमीन मिली है। करीब 45 एकड़ जमीन पर हम यह साइट बनाएंगे। इसमें 15 एकड़ में कूड़े से बिजली बनाने का संयत्र लगाया जाएगा। दिसंबर 2019 तक यहां पर कूड़े से बिजली उत्पन्न करने के संयंत्र स्थापित होने की उम्मीद है, जिसके बाद वर्ष 2020 में गीला कचरा लैंडफिल साइट पर नहीं डाला जाएगा। अभी निगम में 3600 मीटिक टन कूड़ा रोज निकलता है। तेहखंड में लैंडफिल साइट पर बिजली संयत्र शुरू होने पर केवल कूड़े से बिजली बनाने में निकली राख को ही डाला जाएगा। इससे बिजली तो मिलेगी ही साथ ही कूड़े का भार भी कम हो जाएगा। नई साइट पूरी तरह आधुनिक तरीके से लैस होगी।
4. दक्षिणी निगम को स्वच्छ बनाने में क्या-क्या कदम उठाए जा रहे हैं? निगम स्वच्छता से लेकर कूड़ा निस्तारण में पहले पायदान पर कब आएगा?- केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में निगम को 32वां स्थान मिला है। हर विद्यार्थी की कामना पहले से अधिक अंक पाने की होती है, हमारी भी यही कोशिश है कि हम देश के प्रमुख दस निगमों में स्थान बनाएं, जिन्हें स्वच्छ निगम के लिए जाना जाए। कूड़े के निस्तारण के लिए तय नियमों के तहत जो भी होटल संचालक अथवा ग्रुप हाउसिंग सोसायटी हैं, उन्हें अपने कूड़े का निस्तारण खुद ही करना है। निगम की ओर से इस दिशा में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।