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अब एक साथ 1000 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद पर घिरी दिल्ली सरकार

1000 इलेक्ट्रिक बसों के लिए 2.50 लाख यूनिट अतिरिक्त बिजली की आवश्यकता होगी। दिल्ली में 7000 मेगावाट बिजली की मांग है, उत्पादन मात्र 1200 मेगावाट है।

By Amit SinghEdited By: Updated: Mon, 30 Jul 2018 11:11 AM (IST)
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अब एक साथ 1000 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद पर घिरी दिल्ली सरकार
नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। एक साथ 1000 इलेक्ट्रिक बसें खरीदे जाने के दिल्ली सरकार के निर्णय पर फिर सवाल खड़े हो गए हैं। पर्यावरण संरक्षण व नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) के बाद अब यह सवाल अन्य राज्यों के विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों ने खड़े किए हैं। उनका कहना है कि इससे वायु प्रदूषण भी खत्म नहीं होगा।

हैदराबाद स्थित एडमिनिस्ट्रेटिव स्टॉफ कॉलेज ऑफ इंडिया में 26-27 जुलाई को जलवायु परिवर्तन पर हुए दो दिवसीय सम्मेलन में वायु प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, थर्मल पावर प्लांट और ई-वाहनों सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इस पर भी विचार हुआ कि सार्वजनिक परिवहन के रूप में इलेक्ट्रिक बसों को चलाने का निर्णय पायलट प्रोजेक्ट है। सफल रहने पर ही इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

तेलंगाना में केवल 100 बसों के साथ चलेगा पायलट प्रोजेक्ट

तेलंगाना राज्य औद्योगिक ढांचागत निगम लिमिटेड (टीएसआइआइसी) के निदेशक विजय जायसवाल ने बताया कि तेलंगाना सरकार ने 100 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने का निर्णय लिया है। इन बसों की बड़ी खरीद से पहले जांचना होगा कि सार्वजनिक परिवहन के रूप में यह कितनी अनुकूल हैं।

जायसवाल के अनुसार, एक बस में 250 किलोवाट की बैटरी लगाई जाती है। इसे चार्ज करने के लिए बिजली की भी मांग बढ़ेगी। इसके लिए ग्रिड व लोड प्रबंधन को भी मजबूती देनी होगी। इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के क्रम में बिजली की दरें भी कई तरह से तय करनी पड़ेंगी। कम व्यस्त समय में दरें कम रखनी होंगी जबकि व्यस्त समय में ज्यादा। दिल्ली के संदर्भ में उनका कहना था कि एक साथ इतनी अधिक बसें खरीदना तर्कसंगत फैसला नहीं है। अगर यह प्रोजेक्ट सफल नहीं रहा तो आर्थिक नुकसान भी उतना ही बड़ा उठाना होगा।

दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसों के लिए कहां से आएगी बिजली

स्टॉफ कॉलेज में ऊर्जा क्षेत्र के एसोसिएट प्रोफेसर राजकिरन वी. बिलोलीकर ने बताया कि दिल्ली सरकार को एक हजार इलेक्ट्रिक बसें खरीदने से पहले इनके लिए बिजली आपूर्ति भी सुनिश्चित करनी होगी। यहां बिजली उत्पादन महज 1200 मेगावाट है, जबकि मांग सात हजार मेगावाट तक पहुंच गई है। इसलिए दिल्ली सरकार को चरण बद्ध तरीके से ही इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने एवं चलाने का निर्णय लेना चाहिए।

केंद्र ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 40 बसें ही चलाने को कहा था

केंद्र सरकार के भारी उद्योग मंत्रलय ने दिसंबर 2017 में इलेक्टिक बसों के पायलट प्रोजेक्ट के लिए दस लाख से अधिक आबादी वाले 11 शहरों का चयन किया था। इस सूची में दिल्ली के अलावा बेंगलुरु, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, मुंबई, जयपुर, कोलकाता, अहमदाबाद, जम्मू और गुवाहाटी शामिल हैं। जम्मू और गुवाहाटी में 15-15 बसें और शेष शहरों में 40-40 बसें चलाने को कहा था, इसके लिए केंद्र सरकार सब्सिडी भी देगी।

एक बस के लिए चाहिए 250 यूनिट बिजली

एक बस में अमूमन 250 किलोवाट क्षमता की बैटरी होती है। प्रति किलो वाट के लिए एक यूनिट के हिसाब से 250 किलोवाट बैटरी को चार्ज करने में करीब 250 यूनिट बिजली खर्च होगी। इस तरह से एक हजार बसों की चार्जिग के लिए 2.50 लाख यूनिट बिजली चाहिए होगी। एक बार चार्ज होने के बाद एक बस करीब 200 किलोमीटर की दूरी तय कर पाएगी।

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