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नदियों में बाढ़ से हैं परेशान तो यहां जानें बाढ़ के 5 फायदे और पांच नुकसान

खतरे के निशान से ऊपर बह रही यमुना की इन दिनों अलग तस्वीर भी देखने को मिल रही है। यह तस्वीर है प्रदूषण मुक्त यमुना की। बहाव ने कचरे को भी बहा दिया है।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 30 Jul 2018 06:26 PM (IST)
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नदियों में बाढ़ से हैं परेशान तो यहां जानें बाढ़ के 5 फायदे और पांच नुकसान
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। नदी चाहे छोटी हो या बड़ी, बारिश के चलते आने वाली बाढ़ ज्यादातर तबाही लेकर ही आती है। इन दिनों दिल्ली में यमुना का जलस्तर बढ़ा हुआ है। खासकर यमुना नदी से सटे निचले इलाकों में रह रहे लोग पिछले चार दिन से विस्थापितों का जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। यह भी सच है कि नदियों में आई बाढ़ नुकसान के साथ ही फायदा भी देकर जाती है। आइए जानते हैं यमुना में आई बाढ़ के चलते होने वाले पांच नुकसान और इतने ही फायदे।

यमुना में आई बाढ़ से पांच नुकसान
1. यमुना में आई बाढ़ से इसके किनारे बसे लोगों का जीवन संकट में आ जाता है।
2. संपत्ति के साथ पशुओं की जान भी संकट में आ जाती है। बाढ़ के चलते पानी रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर जाता है, जिससे बीमारी फैलने की आशंका बराबर बनी रहती है। 
3. विस्थापित लोगों के लिए सरकार रहने व खाने की व्यवस्था करती है, लेकिन यह ज्यादातर बार नाकाफी साबित होती है। 
4. खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो जाती है, खासकर सब्जी, फल और फूल खेतों में ही नष्ट हो जाते हैं। 
5. पशुओं के विस्थापन के चलते लोगों का रोजगार भी प्रभावित होता है। यमुना के किनारे लोग दूध के व्यापार से अपना व परिवार का गुजारा चलाते हैं, लेेकिन बाढ़ के दौरान इनका रोजगार छिन जाता है या मद्धिम पड़ जाता है।

पांच फायदे
1. बाढ़ की स्थिति में नदी के जल प्रवाह को जलाशयों को भरने के लिए प्रभावी तौर पर प्रयोग किया जा सकता है।
2. बाढ़ की स्थिति में जलाशयों में संरक्षित जल का सिंचाई एवं पेयजल आवश्‍यकताओं को पूरा करने तथा जल विद्युत उत्‍पादन करने में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
3. यमुना का जल प्रदूषित है, लेकिन बाढ़ आने पर इस नदी का जल साफ हो जाता है।
4. बाढ़ की स्थिति में पहली बार तो खेतों में खड़ी फसल को तो नुकसान होता है, लेकिन इससे मृदा शक्ति बढ़ जाती है। जिससे बाद की फसलों को काफी फायदा होता है।
5. किसी भी नदी के लिए अविरलता और निर्मलता बेहद जरूरी है। ऐसी स्थिति में बाढ़ का तेज बहाव नदी में जमा कचरे को भी बहा देता है। इस स्थिति में यमुना को काफी लाभ होगा। 

प्रदूषण मुक्त यमुना के लिए अविरलता भी जरूरी
बता दें कि खतरे के निशान से ऊपर बह रही यमुना की इन दिनों अलग तस्वीर भी देखने को मिल रही है। यह तस्वीर है प्रदूषण मुक्त यमुना की। बहाव ने कचरे को भी बहा दिया है। अब यमुना के किनारे खड़े होने पर भी इस समय बदबू का अहसास नहीं हो रहा। 'यमुना जिए' अभियान के संयोजक मनोज मिश्र कहते हैं, 'चुनाव के समय यमुना की अविरलता और निर्मलता दोनों की ही बात होती है, लेकिन बाद में थोड़ी बहुत कार्रवाई भी केवल निर्मलता के नाम पर होती है। मसलन, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) को लेकर दिशा-निर्देश दिए जाते हैं तो यमुना की सफाई को लेकर बैठकें भी की जाती रहती हैं, लेकिन स्थायी और कारगर स्तर पर कुछ नहीं सोचा जाता। उनके मुताबिक, इस वक्त अविरलता यानी पानी का उन्मुक्त बहाव के कारण यमुना प्रदूषण मुक्त दिखाई दे रही है, इसलिए सरकार को यमुना की अविरलता पर भी ध्यान देना होगा।

बिना अतिरिक्त मेहनत या बजट खर्च यमुना हो सकती है बेहतर
मनोज मिश्र की मानें तो हथिनी कुंड बैराज से हरियाणा दिल्ली के हिस्से का पानी छोड़ता है, उसे लेकर दिल्ली सरकार अपने स्तर पर व्यवस्था करा सकती है। हथिनीकुंड बैराज से रोज एक हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है, जिसे वजीराबाद बैराज पर रोक लिया जाता है। इसके बाद सारा पानी शोधित करके वितरित कर दिया जाता है। इसमें से 100 या दो सौ क्यूसेक पानी बीच बीच में यमुना में रहने और बहने भी दिया जाए तो उसमें बहाव बना रहेगा। उस स्थिति में बिना अतिरिक्त मेहनत या बजट खर्च किए भी यमुना को काफी हद तक बेहतर बनाया जा सकता है।

यहां पर बता दें कि  हरियाणा के हथिनी कुंज बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण दिल्ली में यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, इसलिए बाढ़ की आशंका गहराती जा रही है। यहां यमुना खतरे के निशान से 0.68 मीटर ऊपर बह रही है। रविवार को यमुना का जलस्तर बढ़कर 205.51 मीटर पहुंच गया। इस वजह से यमुना के निचले इलाकों में पानी बढ़ता जा रहा है। इसलिए बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस वजह से पुलिस, सिविल डिफेंस व आपदा प्रबंध प्राधिकरण की टीमें सक्रिय हो गई हैं। रविवार को सभी एजेंसियों की टीम यमुना के निचले इलाकों की झुग्गी बस्तियों को खाली कराने में जुटी रही। कई इलाकों में सुरक्षित जगहों पर टेंट भी लगाए गए हैं। ताकि झुग्गियों से हटाए गए लोग टेंट में सुरक्षित रह सकें। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी कई जगहों का दौरा कर यमुना में जलस्तर की स्थिति और बचाव कार्य का निरीक्षण किया। सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारी भी लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

उल्लेखनीय है कि शनिवार को यमुना का जलस्तर खतरे के निशान (204.83 मीटर) को पार कर गया था। तब ओल्ड यमुना ब्रिज (लोहे वाला पुल) के पास शाम को जलस्तर 205.30 मीटर दर्ज किया गया था। रविवार सुबह में हथिनी कुंड बैराज से यमुना में 2.53 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इसके बाद भी हर घंटे भारी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है। शाम छह बजे 1,10,298 क्यूसेक व शाम सात बजे भी इतना ही पानी छोड़ा गया। लगातार पानी छोड़े जाने के कारण यमुना का जलस्तर बढ़ रहा है। बाढ़ नियंत्रण विभाग के अनुसार सोमवार को यमुना में जलस्तर और बढ़ेगा।