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इन दिनों अपने आपको खुशनसीब समझें दिल्ली वाले, वजह जाननी है तो पढ़ें खबर

दिल्ली में लगातार बारिश की वजह से हवा में मौजूद धूल के कण धुल गए हैं और प्रदूषण लगभग खत्म हो चुका है। कुलमिलाकर शहर की हवा बहुत साफ है।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 30 Jul 2018 03:17 PM (IST)
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इन दिनों अपने आपको खुशनसीब समझें दिल्ली वाले, वजह जाननी है तो पढ़ें खबर
नई दिल्ली (जेएनएन)। इस साल पहली बार दिल्ली में साफ हवा देखने को मिल रही है। एक्यूआइ (एयर क्वालिटी इंडेक्स) महज 43 दर्ज हुआ। ग्रीन पीस का कहना है कि बारिश की वजह से ही दिल्ली की हवा साफ जरूर हो गई है, लेकिन यह स्थायी नहीं है। बारिश थमते ही हवा का स्तर फिर खराब हो जाएगा। इस स्तर की हवा बनाए रखने और प्रदूषण को कम करने के लिए इस समय विस्तृत कार्य योजना की सख्त जरूरत है।

ग्रीन पीस का कहना है कि साफ हवा को देखते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और मंत्रालय को तुरंत प्रभाव से नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) लागू करना चाहिए। इसमें समयबद्ध लक्ष्य भी शामिल हो। प्रदूषण को कम करने के लिए मंत्रालय एनसीएपी पहले ही तैयार कर चुका है। इसके लिए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग नेटवर्क भी अब देश के कई हिस्सों में मौजूद है। पर काम करने वाले काफी लोग व समूह एनसीएपी पर अपने सुझाव भी मंत्रालय को दे चुके हैं।

ग्रीन पीस के वरिष्ठ अभियानकर्ता सुनील दहिया ने बताया कि इस समय दिल्ली को साफ हवा में सांस लेने का मौका सिर्फ मौसम की वजह से मिल रहा है। लगातार बारिश की वजह से हवा में मौजूद धूल के कण धुल गए हैं और प्रदूषण लगभग खत्म हो चुका है। ऐसे में इन साफ दिनों को बनाए रखने के लिए कदम उठाना जरूरी है।

गौरतलब है कि एयर इंडेक्स जब 0 से 50 के बीच होता है तो हवा को अच्छा माना जाता है जबकि 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच सामान्य, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बेहद खराब और 401 से 500 के बीच खतरनाक माना जाता है। शनिवार को हवा में पीएम 10 का स्तर 39 और पीएम 2.5 का स्तर 39 रहा।

सुनील दहिया के अनुसार, सरकार को समझना होगा कि प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए आपातकालीन स्थिति बनता जा रहा है। चीन ने भी अपना दूसरा क्लीन एयर एक्शन प्लान लागू कर दिया है। प्रदूषण को कम करने के लिए ऐसे ही समयबद्ध लक्ष्य तय करने की जरूरत है।

गौरतलब है कि प्रदूषण के कारण दिल्ली में स्थिति भयावह हो जाती है। देश की राजधानी गैस चैंबर में तब्दील हो जाती है। इस कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है। लोगों में फेफड़े के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

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