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पाकिस्तान के चुनाव नतीजों पर दिल्ली से सटे इस शहर की भी रही नजर

यह जानने में लोगों की जरूर दिलचस्पी रही कि उनकी जन्म स्थली से कौन उम्मीदवार जीत कर पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में पहुंचा।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 30 Jul 2018 02:33 PM (IST)
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पाकिस्तान के चुनाव नतीजों पर दिल्ली से सटे इस शहर की भी रही नजर
फरीदाबाद (सुशील भाटिया)। भारत-पाक विभाजन के बाद वर्ष 1950 में स्थापित हुए न्यू इंडस्ट्रियल टाउन(एनआइटी)के लोगों की नजरें भी पाकिस्तान चुनाव नतीजों पर टिकी रहीं। सीधे रूप से तो पाकिस्तान चुनाव से शहरवासियों का कोई कनेक्शन नहीं है और उन्हें इस बात से भी कोई खास मतलब नहीं कि वहां कौन जीते-कौन हारे, पर यह जानने की उनमें जरूर दिलचस्पी रही कि उनकी जन्म स्थली से कौन उम्मीदवार जीत कर पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में पहुंचा।

दरअसल एनआइटी यानि न्यू इंडस्ट्रियल टाउन देश विभाजन के समय तब उत्तरी-पश्चिमी सीमांत प्रांत(अब पाकिस्तान में) के छह जिलों बन्नू, डेरा इस्माइल खान, कोहाट, हजारा, मर्दान व पेशावर से उजड़ कर आए करीब 50 हजार हिंदू विस्थापितों को नए सिरे से बसाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बसाया था।

यूं तो देशभर में देहरादून, कानपुर, दिल्ली, बरेली, रामपुर, करनाल, कुरुक्षेत्र, कोटद्वार आदि में भी विस्थापितों के कुछ परिवार रहते हैं, पर उपरोक्त सभी जिलों के लोग फरीदाबाद में ही आकर बसे और इनमें भी बन्नू जिले के लोगों का वर्चस्व है। समय-समय पर यहां के बुजुर्ग जिला बन्नू, पेशावर, कोहाट देखने के लिए पाकिस्तान भी जाते रहे हैं। पठान नेता सरहदी गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान, जिन्हें बादशाह खान के तौर पर जाना जाता है, उनके ही नाम पर फरीदाबाद में बादशाह खान अस्पताल है। बादशाह खान कई बार फरीदाबाद आए।

इन सभी जिलों के बुजुर्ग और उनकी दूसरी व तीसरी पीढ़ी के लोगों की दिलचस्पी खास तौर पर पाकिस्तान के चुनाव नतीजों को जानने की रही। पाकिस्तान असेंबली की एनए-35 नंबर सीट बन्नू जिले की है, यहां से मुख्य रूप से मुताइदा मजलिस ए अमल के अकरम खान दुर्रानी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के संस्थापक पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान इमरान खान के बीच था, जिसमें इमरान खान 22825 वोटों से विजयी रहे।

इसी तरह से डेरा इस्माइल खान से इमरान खान की ही पार्टी के अली अमीन खान विजयी रही, पेशावर सीट से तहरीक-ए-इंसाफ के शाह फरमान ने नवाज शरीफ की पार्टी के सिफत उल्लाह को 8107 वोट से हराया। कोहाट सीट-80 पर तो रोचक मुकाबला हुआ, जिसमें निर्दलीय उम्मीदवार अमजीद खान अफरीदी ने 24822 वोट लेकर तहरीक ए इंसाफ पार्टी के आफताब आल अफरीदी को 145 वोटों से शिकस्त दी। जबकि कोहाट-81 नंबर सीट से मुताइदा मजलिस ए अमल के शाहदाद खान ने 17498 वोट लेकर तहरीके ए इंसाफ के इम्तियाज शाहिद को 1175 वोटों से शिकस्त दी। मर्दान सीट से तहरीक ए इंसाफ के प्रत्याशी मलिक शौकत अली ने 22022 वोट लेकर अवामी नेशनल पार्टी के मुहम्मद फारुख खान को 3650 वोटों से हराया।

बुजुर्ग प्रेम चंद, बसंत लाल, लाला गोपी चंद ने कहा कि बुजुर्गाें का समूह जब आपस में बैठता है, तो गपशप के दौरान पाकिस्तान चुनावों पर चर्चा जरूर चली कि नवाज शरीफ के जेल जाने के बाद अब पाकिस्तान की कमान किसके हाथ में होगी, नए प्रधानमंत्री का भारत के साथ किस प्रकार का व्यवहार रहेगा और हमारे अपने जन्म स्थलों, जो कि पाकिस्तान में हैं, वहां से कौन-कौन खड़ा है। क्योंकि अब वहां हिंदू बड़ी कम संख्या में हैं और इसलिए सिर्फ अपने शहर का नाम टीवी चैनलों और अखबारों में पढ़ कर सिर्फ भावनात्मक लगाव तक ही चुनाव नतीजों पर दिलचस्पी रही, इससे ज्यादा नहीं। वैसे इमरान खान अगर प्रधानमंत्री बनते हैं, तो यह एक नए युग की शुरुआत होगी।

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