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दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका, तिहाड़ जेल से पंजाब नहीं भेजा जाएगा जगतार सिंह हवारा

दिल्ली पुलिस ने अंदेशा जताया था कि अगर हवारा को पंजाब ले जाया गया तो उसके साथी उसे पुलिस कस्टडी से छुड़ा सकते हैं। इतना ही नहीं दिल्ली व चंडीगढ़ में कानून-व्यवस्था भी बिगड़ सकती है।

By Amit MishraEdited By: Updated: Tue, 31 Jul 2018 06:00 AM (IST)
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दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका, तिहाड़ जेल से पंजाब नहीं भेजा जाएगा जगतार सिंह हवारा

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह समेत 17 लोगों की हत्या के दोषी खालिस्तान समर्थक आतंकी जगतार सिंह हवारा को दिल्ली के तिहाड़ जेल से पंजाब नहीं भेजा जाएगा। दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विपिन सांगी व न्यायमूर्ति जेआइएस मेहता की दो सदस्यीय पीठ ने तिहाड़ जेल से पंजाब स्थानांतरित करने की हवारा की याचिका को खारिज कर दिया।

दिल्ली सरकार का फैसला उचित
पीठ ने कहा कि भारी जोखिम वाले कैदियों को एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरण को लेकर गृह मंत्रालय के दिशानिर्देश के आधार पर दिल्ली सरकार का फैसला उचित था। दिल्ली सरकार ने हवारा को तिहाड़ जेल से पंजाब स्थानांतरित करने की डीजी तिहाड़ जेल द्वारा मांगी गई अनुमति को जून 2017 में ठुकरा दिया था।

तिहाड़ जेल में ही रहेगा
न्यायमूर्ति विपिन सांगी व न्यायमूर्ति जीआइएस मेहता की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता संविधान के तहत ऐसा कोई कानून पेश नहीं कर सका जिसमें उम्रकैदी को उसकी पसंद के राज्य की जेल में रखने का अधिकार दिया गया हो। पीठ ने कहा कि 25 अक्टूबर 2010 को याचिकाकर्ता हवारा को प्रोडक्शन वारंट के तहत चीफ मेट्रो पॉलिटिकल मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था। इससे पहले ही उसे मुख्यमंत्री बेअंत सिंह समेत अन्य की हत्या में उम्रकैद की सजा हो चुकी थी। ऐसे में अन्य मामलों में बरी होने के बावजूद वह उम्रकैद की सजा में तिहाड़ जेल में ही रहेगा।

दिल्ली में कोई मामला लंबित नहीं
याची ने खुद माना है कि एक से दूसरे राज्य में स्थानांतरण को लेकर पंजाब और दिल्ली सरकार के बीच कोई अनुबंध नहीं हुआ है। वहीं, दूसरी तरफ हवारा के वकील महमूद प्राचा ने दलील दी कि याची के खिलाफ दिल्ली में कोई मामला लंबित नहीं है और जो तीन मामले लंबित हैं वह सभी पंजाब में दर्ज हैं। अन्य मामलों में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सजा सुनाई है। ऐसे में याचिकाकर्ता को तिहाड़ जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है।

स्थानांतरण से कानून-व्यवस्था को खतरा
हवारा के स्थानांतरण को लेकर दिल्ली, पंजाब पुलिस के अलावा केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने भी खतरा बताया था। दिल्ली पुलिस ने अंदेशा जताया था कि अगर हवारा को पंजाब ले जाया गया तो उसके साथी उसे पुलिस कस्टडी से छुड़ा सकते हैं। इतना ही नहीं दिल्ली व चंडीगढ़ में कानून-व्यवस्था भी बिगड़ सकती है। सभी तथ्यों को देखने के बाद पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने उसके खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये कराने के आदेश दिए थे। इसके बाद से ही हवारा तिहाड़ जेल में बंद है।

भागने की योजना हुई थी नाकाम
5 मार्च 2013 को तत्कालीन दिल्ली पुलिस आयुक्त को सूचना मिली थी कि हवारा अपने साथी परमजीत सिंह बेओरा के साथ मिलकर स्वास्थ्य परीक्षण के बहाने भागने की योजना बनाई है। हालांकि, बेओरा को ही स्वास्थ्य परीक्षण के लिए भेजने पर उनकी योजना नाकाम हो गई थी।

यह था मामला
बता दें कि हवारा को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह समेत 17 लोगों की हत्या के मामले में चंडीगढ़ की निचली अदालत ने 27 मार्च 2007 को जुर्माना के साथ फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, 12 अक्टूबर 2010 को पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलते हुए निर्देश दिया था कि उसे अंतिम सांस तक जेल में रखा जाए। 

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