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प्रिंस हत्याकांड में भोलू की जमानत याचिका फिर नामंजूर, जानें-पूरा मामला

भोलू के पिता ने उसके बेटे को जमानत देने के लिए एक याचिका जिला अदालत में लगाई। याचिका में कहा कि सीबीआइ इस मामले को बेवजह लटका रही है।

By Amit MishraEdited By: Updated: Mon, 30 Jul 2018 08:16 PM (IST)
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प्रिंस हत्याकांड में भोलू की जमानत याचिका फिर नामंजूर, जानें-पूरा मामला
गुरुग्राम [जेएनएन]। प्रिंस हत्याकांड का ट्रायल सोमवार को जिला न्यायालय में नहीं शुरू हो सका। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय सोमवार को सुनवाई होनी थी, पर अदालत ने यह कह कर मामले में अगली तारीख 23 अगस्त रख दी कि मामला अभी पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में विचाराधीन है। हाई कोर्ट को फैसला आने के बाद ही इस मामले में सुनवाई की जाएगी। हाई कोर्ट में ही मामला विचाराधीन होने की बात कहकर अदालत ने आरोपित भोलू जमानत याचिका भी नामंजूर कर दी।

इस केस को सीबीआइ ने सीबीआइ कोर्ट पंचकूला में ट्रांसफर करने की करने अर्जी हाई कोर्ट में दी थी। इसकी सुनवाई 26 जुलाई को होनी थी। इस सुनवाई के बाद ही अतिरिक्त जिला एंव सत्र न्यायाधीश ने 30 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय की थी। अब हाई कोर्ट ने इस मामले में 17 अगस्त की तारीख सुनवाई के लिए तय कर दी। जिला अदालत भी हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद ही इस मामले में 23 अगस्त को सुनवाई करेगी।

मामला काफी संगीन है
भोलू के पिता ने उसके बेटे को जमानत देने के लिए एक याचिका जिला अदालत में लगाई। याचिका में कहा कि सीबीआइ इस मामले को बेवजह लटका रही है। उनके बेटे को बाल सुधार गृह में आठ महीने बीत गए। उनका या उनके बेटे का कोई क्राइम रिकार्ड भी नहीं है। अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई के बाद इस याचिका को नामंजूर कर दिया। अदालत ने कहा कि मामला काफी संगीन है। हाई कोर्ट में विचाराधीन है। हाई कोर्ट को फैसला आने के बाद वह दोबारा से जमानत याचिका लगाने के लिए आजाद है। सीबीआइ ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए अदालत से आग्रह किया कि जिस तरह से हत्या की घटना को अंजाम दिया गया और जिस तरह आरोपी का आचरण है उसे जमानत देना उचित नहीं होगा।

यह है मामला
आठ सितंबर 2017 को शहर के एक नामी विद्यालय के छात्र प्रिंस (बाल सत्र न्यायालय द्वारा दिया गया नाम) की गला रेतकर हत्या विद्यालय के ही बाथरूम में कर दी गई थी। आरोपी के रूप में एसआइटी ने बस सहायक अशोक को गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ चार्जशीट पेश करने तक की तैयारी शुरू कर दी गई थी। लेकिन सीबीआइ जांच में एसआइटी की थ्योरी उलट गई। सीबीआइ ने बस अशोक को क्लीन चिट दे दी। इससे पहले जिस छात्र भोलू (बाल सत्र न्यायालय द्वारा दिया गया नाम) को एसआइटी ने मुख्य गवाह बनाया था, उसे अशोक की जगह आरोपी बनाया गया। भोलू न्यायिक हिरासत में है।

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