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प्रशासन के नाकाफी इंतजाम, बेबसी में गुजर रहा जीवन

यमुना का जलस्तर बढ़ने से जिला प्रशासन ने सुरक्षा की ²ष्टि से यमुना किनारे रहे लोगों से मकान तो खाली करवा लिए हैं। लेकिन जिला प्रशासन की ओर से बाढ़ पीड़ितों के रहने के लिए जो व्यवस्था करवाई गई है, वह उनके लिए पर्याप्त साबित नहीं हो रही है। भले ही प्रशासन की ओर से अस्थायी टेंट लगाए गए हों, लेकिन टेंट की संख्या कम होने के कारण लोग खुले आसमां के नीचे रहने को मजबूर हैं।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 30 Jul 2018 09:38 PM (IST)
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प्रशासन के नाकाफी इंतजाम, बेबसी में गुजर रहा जीवन

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : यमुना का जलस्तर बढ़ने के बाद जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर घर तो खाली करा दिए, लेकिन उनके लिए किए गए राहत के इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। प्रशासन द्वारा बनवाए गए अस्थायी टेंट में सभी को सिर छिपाने की जगह भी नहीं मिल रही है। ऐसे में काफी संख्या में लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।

सोनिया विहार, चिल्ला खादर, लोहे का पुल, गीता कॉलोनी, किशन कुंज, डीएनडी, उस्मानपुर सहित अन्य कई जगहों पर प्रशासन की ओर से अस्थायी टेंट लगाए गए हैं। दावा किया गया कि पर्याप्त इंतजाम हैं, लेकिन हकीकत यह है कि लोगों को जब जगह नहीं मिली तो उन्हें मजबूरी में मुख्य मार्गो के फुटपाथ पर अस्थायी टेंट बनाने पड़े। इन्हीं छोटे टेंट में लोग पूरे परिवार के साथ रह रहे हैं। आरोप : जिनके पास आधार, उन्हें ही मिल रहा भोजन

सोनिया विहार की पार्षद सुषमा मिश्रा का आरोप है कि चौथे पुस्ते पर लोगों ने बताया कि सरकारी टेंट में उन्हें ही रुकने दिया जा रहा है और खाना दिया जा रहा है, जिनके पास आधार कार्ड हैं। हालांकि, प्रशासन के एक अधिकारी ने इन आरोपों को गलत बताया। वहीं, लोगों का कहना है कि सरकार और प्रशासन के नाकाफी इंतजाम के बीच लोगों को खुद ही खाने का इंतजाम करना पड़ रहा है।

लोगों की राय

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सरकारी टेंट की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। छोटे-छोटे बच्चों को लेकर रात को तिरपाल ओढ़कर फुटपाथ पर सोना पड़ रहा है। इसके बावजूद सरकार सुविधा देने को तैयार नहीं है।

लाल बाबू, चिल्ला खादर

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महिला शौचालय काफी दूरी पर बनाए गए हैं। इससे महिलाओं और बच्चों को काफी परेशानी हो रही है। खाना लेने के लिए भी बहुत दूर जाना पड़ता है।

दयावती, चिल्ला खादर

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पहले बाढ़ की अंदेशा के साथ पर्याप्त इंतजाम कर दिए जाते थे, लेकिन इस बार सिर्फ दावे किए जा रहे हैं। राहत के इंतजाम के नाम पर खानापूर्ति की गई है।

-गजेंद्र राम, चिल्ला खादर

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