देश की राजधानी दिल्ली में हवाई सफर भी आबोहवा में फैला रहा प्रदूषण
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) जहां इस बाबत विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहा है, वहीं सरकारी स्तर पर भी कुछ मानक तय करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। दिल्ली-एनसीआर सहित देश-दुनिया में आबोहवा को प्रदूषित करने में सड़क ही नहीं, हवाई सफर भी अहम भूमिका निभा रहा है। खासकर उड़ने व उतरने के दौरान हवाई जहाज चार गुना तक जहरीली गैसों का उत्सर्जन करते हैं। स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) जहां इस बाबत विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहा है, वहीं सरकारी स्तर पर भी कुछ मानक तय करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
हैदराबाद स्थित एडमिनिस्ट्रिेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया में 26-27 जुलाई को जलवायु परिवर्तन पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में इस तथ्य पर भी चर्चा हुई। कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा एवं पर्यावरणविद् समर पी. हलार्नकर ने बताया कि हवाई जहाज जब उड़ता और उतरता है तो उसे जितनी ऊर्जा की जरूरत पड़ती है, वह घास काटने वाली 20 हजार मशीनों को लगातार 20 घंटे तक चलाए जाने में खर्च होने वाली ऊर्जा के बराबर होती है।
ऐसे में दोनों ही समय प्रदूषक गैसों का भी कहीं अधिक मात्रा में उत्सर्जन होता है। सड़क मार्ग से सफर करने पर जो वायु प्रदूषण होता है, हवाई सफर में उससे चार गुना तक अधिक प्रदूषण होता है। इस दौरान कार्बन डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, बैंजीन और टयूलिन इत्यादि गैसों का उत्सर्जन होता है। नाइट्रोजन ऑक्साइड, बैंजीन व टयूलिन मिलकर ओजोन गैस उत्पन्न करती हैं। ऐसे में हवाई सफर से ग्लोबल वार्मिंग में भी वृद्धि हो रही है।
सरकारी रिपोर्ट में भी है स्वीकारोक्ति
2013 में सामने आई एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हवाई सफर से सालाना करीब एक मिलियन टन कार्बन डाईऑक्साइड उत्पन्न हो रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की जीडीपी में 1.5 फीसद हिस्सा उड्डयन क्षेत्र का है। 2020 तक भारत उड्डयन हिस्सेदारी वाला विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश होगा।
सीएसई तैयार कर रही रिपोर्ट
हवाई सफर से होने वाले वायु एवं ध्वनि प्रदूषण पर सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहा है। इस रिपोर्ट पर काफी काम हो चुका है और अब इसे समायोजित करने की प्रक्रिया चल रही है। डेढ़ से दो माह में यह रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी।
चंद्रभूषण (उप महानिदेशक, सीएसई) के मुताबिक, इसमें संदेह नहीं कि हवाई जहाज उड़ते और उतरते समय ही नहीं बल्कि हवा में रहते हुए भी प्रदूषण फैलाते हैं। वातावरण में मौजूद कुल धुएं में आज हवाई सफर के दौरान निकलने वाले धुएं की हिस्सेदारी तीन फीसद तक पहुंच चुकी है। इसलिए यह विषय अब वैश्विक मुद्दा बन गया है। यूरोप में तो रात 10 बजे के बाद हवाई जहाज के उडऩे एवं उतरने पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया है। भारत में भी ध्वनि प्रदूषण को लेकर तो कुछ मानक निर्धारित कर एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन तैयार किया गया है, मगर वायु प्रदूषण पर अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है।
डॉ. एस के त्यागी (पूर्व अपर निदेशक, सीपीसीबी) ने कहा कि हवाई सफर से हो रहे वायु प्रदूषण में अमेरिका नंबर एक पर है। वहां कुल धुएं में 11 फीसद से ज्यादा हिस्सेदारी हवाई जहाजों से उत्पन्न धुएं की है। भारत में भी यह तेजी से बढ़ रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की इस मुद्दे पर कई बैठकें हुई हैं। निस्संदेह भविष्य के लिए नीति बनाना अब आवश्यक हो गया है।