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मौत की इमारतें: कीमत आधी पर जोखिम पूरा, दोराहे पर खड़े खरीदार बन चुके हैं कर्जदार

फ्लैट खरीददार अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं। आशियाने के लिए लोन लेकर वह कर्जदार तक बन चुके है। बीच मझधार में फंसे निवेशकों को कुछ भी समझ नहीं आ रहा है।

By Amit MishraEdited By: Updated: Wed, 01 Aug 2018 12:47 AM (IST)
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मौत की इमारतें: कीमत आधी पर जोखिम पूरा, दोराहे पर खड़े खरीदार बन चुके हैं कर्जदार

नोएडा [जेएनएन]। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में जहां बहुमंजिला इमारतें सीना तान कर खड़ी हैं। वहीं चंद कंदमों की दूरी पर शाहबेरी गांव में जमींदोज हुई दो इमारतों ने फ्लैट खरीददारों को दोराहे पर खड़ा कर दिया है। तकनीकी कौशल व गुणवत्ता की कमी अवैध इमारत खड़ी करने वालों के सामने चुनौती बनकर खड़ी है लेकिन बिल्डर इससे बेपरवाह हैं।

ठगा महसूस कर रहे हैं खरीदार

प्राधिकरण ने अब तक 103 कॉलोनाइजरों को नोटिस जारी किया है। वहीं, ग्रेटर नोएडा में तीन इमारतों को गिराने के आदेश जारी किए गए है। अब फ्लैट खरीददार अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं। आशियाने के लिए लोन लेकर वह कर्जदार तक बन चुके है। बीच मझधार में फंसे निवेशकों को कुछ भी समझ नहीं आ रहा है। पैसा पहले ही जा चुका है और अब अशियाना को लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है। 

निवेशकों को किया गया भ्रमित

छोटे बिल्डरों ने शाहबेरी समेत आसपास के अन्य गांवों में इमारत खड़ी कर कम कीमत पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का सब्जबाग दिखाया। इमारत खड़ी कर निवेशकों को भ्रमित करने के लिए इमारतों का नाम नामचीन बिल्डरों की परियोजनाओं के नाम पर रखा गया। नौकरी की तलाश में दिल्ली एनसीआर में आए लोगों ने मेहनत से कमाई रकम को एक अदद छत के लिए बिल्डर के हाथों सौंप दिया। आशियाने के लिए लोन भी लिया गया।

घटिया सामग्री का किया गया इस्तेमाल

छोटे बिल्डरों ने आधे से भी कम कीमत पर निवेशकों को फ्लैट उपलब्ध कराने का सब्जबाग दिखाया। गौर सिटी से सटे होने व कम कीमत में फ्लैट मिलने का प्रलोभन देख कम बजट में आशियाना तलाश करने वाले निवेशक आसानी से इनके झांसे में आ गए। वहीं मुनाफे के चक्कर में निवेशकों ने जमकर घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर बहुमंजिला रेत के महल खड़े कर दिए। इमारतों के निर्माण में भवन नियमावली की पूरी तरह से अनदेखी की गई।

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ये है बिल्डरों के तय मानक जिनसे लागत हो जाती है दोगुनी

-इमारत निर्माण से पहले मिट्टी की कराई जाती है जांच

-बेसमेंट बनाने से पहले ली जाती है अनुमति

-भूखंड के 85 फीसद हिस्से पर ही खड़ी की जाती है इमारत

-आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए इमारत फायर सिस्टम से होती है लैस

-मानक अनुरूप बनाया जाता है भूखंड में बेसमेंट

-नींव, पिलर, कंक्रीट आदि का अनुपात व इमारत की ऊंचाई होती है तय

-भार क्षमता के हिसाब से लगाई जाती है लिफ्ट

छोटे बिल्डर इस तरह करते है इमारत निर्माण की लागत कम

-इमारत निर्माण से पहले नहीं की जाती मिट्टी की जांच

-कंक्रीट का तय नहीं किया जाता अनुपात

-पिलर आदि निर्माण में भी अनुपात से कम लगाई जाती है सामग्री

-भवन नियमावली का किया जाता है उल्लंघन

-इमारत खड़ी करने में तकनीकी मशीनरी का नहीं होता इस्तेमाल

-इमारत खड़ी करने के लिए इंजीनियर की नहीं की जाती नियुक्ति

-अवैध इमारतें नहीं होती फायर सिस्टम से लैस

-कम भार क्षमता की लगा दी जाती है लिफ्ट

-पावर बैकअप की भी नहीं होती व्यवस्था

-पार्किंग सुविधाओं का होता है अभाव

-पार्क समेत सार्वजिक सुविधाओं का रहता है अभाव

-कम जमीन पर ज्यादा फ्लैट बनाने में छज्जों पर भी मनमाने तरीके से करा दिया जाता है निर्माण

-कम जमीन पर ऊंची इमारत खड़ी कर संतुलन का नहीं रखा जाता ध्यान 

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