दिल्ली में फैलता जा रहा है मुसीबत का पहाड़, कैंसर और टीबी जैसी बीमारियां हैं आम
भलस्वा लैंडफिल के आसपास रहने वाले लोगों ने की बीमारियां फैलने की शिकायत करते हुए कहा कि कूड़े की वजह से बड़ी संख्या में लोग टीबी, कैंसर और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं।
नई दिल्ली [जेएनएन]। भलस्वा लैंडफिल साइट पर बना कूड़े का पहाड़ आसपास रहने वाले लोगों के लिए मुसीबत का पहाड़ गया है। आबोहवा तो प्रदूषित हो ही गई है, भूमिगत पानी भी पीने के लायक नहीं रहा। यही वजह है कि इस इलाके के लोग सांस की बीमारियों से लेकर कैंसर तक की चपेट में आ रहे हैं। भलस्वा लैंडफिल के आसपास रहने वाले लोगों ने की बीमारियां फैलने की शिकायत करते हुए कहा कि 'कूड़े की वजह से बड़ी संख्या में लोग टीबी, कैंसर और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। सरकार इस समस्या को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रही है।'
तेजाब की तरह हो गया है भूमिगत जल
स्थानीय लोगों का कहना है कि कचरे के पहाड़ के कारण आसपास के इलाकों के लोग प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या से परेशान हैं। कचरे के पहाड़ से रिसकर आने वाले गंदे पानी ने जमीन खराब कर दी है और जो पानी रिसकर जमीन के अंदर जाता है, उससे भूमिगत जल तेजाब की तरह हो गया है। इसे पशु भी नहीं पीते हैं। लोग कैंसर जैसी बीमारियों की चपेट में भी आ रहे हैं।
रोजाना गिराया जाता है हजारों टन कूड़ा
भलस्वा लैंडफिल साइट पर निर्धारित मानकों को दरकिनार कर कूड़ा डाला जा रहा है। यही वजह है कि यहां साल भर आग लगी रहती है जो मौसम के हिसाब से घटती-बढ़ती है। नियमों की अनदेखी के चलते लोग जानलेवा बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। लैंडफिल साइट पर रोजाना हजारों टन कूड़ा गिराया जाता है। कूड़े के पहाड़ में अक्सर आग लगती रहती है जिससे पूरे इलाके में लोगों के सांस लेने में भी दिक्कत होती है।
खूब हुए दौरे, नहीं हल हुई समस्या
बता दें कि उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, महापौर समेत तमाम जिम्मेदार लोग भलस्वा लैंडफिल साइट का दौरा कई बार कर चुके हैं। आदेश भी खूब दिए गए। पहले से भी कूड़ा निस्तारण के लिए मानदंड तय हैं। संसद में भी यह मसला उठा, एनजीटी ने दो साल पहले इस संबंध में दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को आदेश दिए, लेकिन सरकारी एजेंसियां यहां तमाम मानदंड और आदेशों को कूड़े तले दबाती रही हैं।
कूड़ा निस्तारण के लिए मानदंड तय
गौरतलब है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रलय ने कूड़ा निस्तारण के लिए मानदंड तय करते हुए उन्हें म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट रूल्स के रूप में 25 सितंबर 2000 को अधिसूचित किया था। इसमें स्पष्ट किया गया कि किस प्रकार से लैंडफिल साइटों पर कूड़ा प्रबंधन होगा, किन बातों का ध्यान रखना होगा। जिसमें एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह भी किया गया कि लैंडफिल साइट पर प्रतिदिन कूड़ा डालने के बाद उसके ऊपर दस सेंटीमीटर मिट्टी की लेयर बनाई जाएगी, जिससे कि कूड़े के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोका जा सके। इसके साथ ही कूड़े में लगने वाली आग को भी रोका जा सकेगा।
गंभीर बीमारियों की चपेट में लोग
शुरुआती दिनों में तो इस निर्देश का पालन किया गया, लेकिन बाद में दिशानिर्देश ताक पर रख दिए गए। इस स्थिति के कारण यहां के हालात बिगड़ चुके हैं। सरकारी एजेंसियों के अलावा निजी संगठनों ने जब यहां अपने स्तर पर वायु एवं जल प्रदूषण मापने के लिए मशीनें लगवाईं तो कई खतरनाक तथ्य सामने आए। जिनकी वजह से कैंसर, गले के रोग, दमा, टीबी, जोड़ों के दर्द, हड्डी रोग, उल्टी दस्त, आंत के रोग आदि के मामले सामने आए। यदि मानदंड और दिशानिर्देशों का पालन किया जाता तो तस्वीर अलग होती और ऐसी समस्याएं नहीं आतीं।