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सिर्फ 45 मिनट में बनाए गए पुल से पाकिस्तान में घुसी थी भारतीय सेना

कर्नल (रिटायर) तेजेंद्र पाल त्यागी गाजियाबाद के मॉडल टाउन में रह रहे हैं। उन्होंने सेवानिवृत्त होने के बाद बार्डर पर तैनात सैनिकों के परिवारों की मदद के लिए राष्ट्रीय सैनिक संस्था का गठन किया।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 01 Aug 2018 04:06 PM (IST)
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सिर्फ 45 मिनट में बनाए गए पुल से पाकिस्तान में घुसी थी भारतीय सेना

गाजियाबाद (आशुतोष यादव)। कर्नल (रिटायर्ड) तेजेंद्र पाल त्यागी के युद्ध के समय पंजाब बॉर्डर पर लेफ्टिनेंट पद पर तैनात थे। आठ दिसंबर को उनकी बटालियन को अपर बेरी कैनाल पर कामचलाऊ पुल बनाने का काम दिया गया। बटालियन ने 45 मिनट में पुल बना दिया। भारतीय सैनिकों ने इस पुल के जरिये पाकिस्तानी इलाके में प्रवेश किया। इसी बीच पास के गांव चिनाबेदीचंद से दुश्मनों ने हमला कर दिया। हमले में एक जांबाज शहीद हो गया और पांच गंभीर रूप से जख्मी हो गए।

लेफ्टिनेंट त्यागी और उनके बैटमैन गुरचरण सिंह जवानों को बचाने के लिए उनके पीछे दौड़े, लेकिन दुश्मनों ने मशीनगन से गोलियां बरसानी शुरू कर दी। लेफ्टिनेंट त्यागी रेंगते हुए एक किलोमीटर वापस आए और कंपनी कमांडर से दस और जवानों की मांग की। अतिरिक्त जवान देने से उन्होंने मना कर दिया, लेकिन 20 मिनट का कवरिंग फायर जरूर दिया। लेफ्टिनेंट त्यागी और गुरचरण सिंह दोबारा उस गांव में घुसे, जहां दुश्मन थे।

वे घायल पांचों साथियों को अपनी पीठ पर लादा और बड़ी दिलेरी के साथ रेंगते हुए मौत के पंजे से वापस ले आए। हालांकि इनमें से दो जवानों की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। जख्मी जवानों ने अस्पताल में फॉर्म में लिखा था कि लेफ्टिनेंट त्यागी ने उनकी जान बचाने की कोशिश की। असाधारण वीरता दिखाने पर लेफ्टिनेंट त्यागी को वीर चक्र और सिपाही गुरचरण सिंह को सेना मेडल से अलंकृत किया गया।

आइएमए से बीटेक और एमटेक किया

मूलरूप से मुरादनगर के विहंग गांव निवासी तेजेंद्र पाल त्यागी ने इंडियन मिलिट्री अकादमी (आइएमए) देहरादून से में सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक किया। वह कहते हैं कि पिता जी उत्तर प्रदेश पुलिस में दारोगा थे। उनसे प्रेरणा मिली। बेटे कर्नल अनुराग श्रीनगर में तैनात हैं और कारगिल युद्ध में भाग ले चुके हैं। दूसरा बेटा मर्चेट नेवी में इंजीनियर और तीसरा बेटा दिल्ली आइआइटी से इंजीनियरिंग कर निजी कंपनी में कार्यरत है।

शहीदों के परिजनों की करते हैं मदद

कर्नल (रिटायर) तेजेंद्र पाल त्यागी गाजियाबाद के मॉडल टाउन में रह रहे हैं। उन्होंने सेवानिवृत्त होने के बाद बार्डर पर तैनात सैनिकों के परिवारों की मदद के लिए राष्ट्रीय सैनिक संस्था का गठन किया। संस्था के लोग 22 राज्यों में नि:शुल्क काम कर रहे हैं। वह कहते हैं कि कई शिक्षण संस्थानों ने आमंत्रण दिया, लेकिन मैंने जीवन का उद्देश्य बना लिया है कि उन सैनिकों के परिजनों की मदद करूंगा जो देश के लिए जान न्यौछावर कर देते हैं। हमने अकेले अभियान शुरू किया था और वर्तमान में 87000 पूर्व सैनिक इसके सदस्य हैं। वह कई वर्षों तक आरडब्ल्यूए फेडरेशन के अध्यक्ष भी रहे। प्रदूषण नियंत्रण के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान भी चला रहे हैं।

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