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कई प्रदेशों के राज्यपाल रहे भीष्म नारायण सिंह का निधन, 12 बजे होगा अंतिम संस्कार

1982 में दिल्ली में हुए एशियाड गेम्स को सफलतापूर्वक कराने में भीष्म बाबू का बड़ा योगदान रहा था। दिल्ली को नया रूप देने में भी इन्होंने काफी मेहनत की थी।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 02 Aug 2018 10:12 AM (IST)
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कई प्रदेशों के राज्यपाल रहे भीष्म नारायण सिंह का निधन, 12 बजे होगा अंतिम संस्कार
नोएडा (जेएनएन)। तमिलनाडु, मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश समेत सात राज्यों के पूर्व राज्यपाल भीष्म नारायण सिंह (85) का बुधवार को फोर्टिस अस्पताल में देहांत हो गया। मूलरूप से झारखंड के पलामू पलामू जिले के उदयगढ़ में वर्ष 1933 में जन्मे भीष्म नारायण सिंह (भीष्म बाबू) पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। वह करीब छह महीने पहले सेक्टर 20 स्थित ई-3 में छोटे बेटे उमाशंकर के साथ रहने आ गए थे। इससे पहले तक वह अपने दिल्ली स्थित मयूर विहार पॉकेट-1 उपकार अपार्टमेंट में पत्नी के साथ रहते थे। उनके बड़े बेटे की पांच वर्ष पूर्व बीमारी से मौत हो चुकी है। उनकी दो बेटियां भी हैं। 

भीष्म बाबू के छोटे बेटे उमाशंकर ने बताया बुधवार शाम करीब चार बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। उनकी शुरुआती शिक्षा पलामू जिले के हुसैनाबाद बख्शी हाईस्कूल में हुई। इसके बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद वह राजनीति में आ गए। 1967 में वह हुसैनाबाद सीट से विधायक रहे। वह यहां से लगातार दो बार विधायक रहे। बिहार सरकार में 1971 में शिक्षा मंत्री रहे, 1972 में खनन मंत्री, 1973 में खाद्य आपूर्ति के मंत्री रहे। 1976 में पहली बार कांग्रेस से राज्यसभा के लिए चुने जाने के बाद वह 1980 में इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में संसदीय कार्य मंत्री रहे। इसके बाद 1983 में खाद्य आपूर्ति मंत्री बने। 1984 में वे असम व मेघालय के राज्यपाल बने। 1987 में अरुणाचल प्रदेश के पहले राज्यपाल रहे। 1991 में उन्हें तमिलनाडु का राज्यपाल बनाया गया।

बुधवार को उनके निधन की खबर सुनकर लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार भी पहुंची। जिला प्रशासन की ओर से भी सम्मान प्रकट किया गया। दोपहर करीब 12 बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके परिवार में पत्नी रामकुमारी देवी, दो बेटी सरोज सिंह व सुषमा सिंह हैं।

एशियाड गेम्स कराने में निभाई अहम जिम्मेदारी

1982 में दिल्ली में हुए एशियाड गेम्स को सफलतापूर्वक कराने में भीष्म बाबू का बड़ा योगदान रहा था। दिल्ली को नया रूप देने में भी इन्होंने काफी मेहनत की थी।

980 में मिला था कांग्रेस का टिकट बंटवारे की जिम्मेदारी

इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के बेहद करीबी रहे भीष्म बाबू को 1977 में कांग्रेस के चुनाव हारने के बाद 1980 में में पार्टी के टिकट बंटवारे की जिम्मेदारी मिली थी। वह कांग्रेस सरकार में संसदीय कार्यमंत्री भी रहे।

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