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एनबीसीसी पूरा करेगा आम्रपाली के अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट, SC ने 42000 खरीदारों को दी राहत

SC ने एनबीसीसी को आम्रपाली के सभी अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट पूरा करने का आदेश देते हुए 30 दिन में निर्माण के टाइम लाइन के साथ विस्तृत योजना मांगी है।

By Amit SinghEdited By: Updated: Fri, 03 Aug 2018 08:12 AM (IST)
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एनबीसीसी पूरा करेगा आम्रपाली के अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट, SC ने 42000 खरीदारों को दी राहत
नई दिल्ली (जेएनएन)। आम्रपाली की हाउसिंग परियोजनाओं में फ्लैट बुक कराने वाले 42,000 खरीदारों के लिए खुशखबरी है। सरकारी कंपनी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनबीसीसी) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह आम्रपाली की अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए तैयार है।

कोर्ट ने एनबीसीसी से एक महीने में परियोजनाओं को पूरा करने की समयबद्ध योजना मांगी है। साथ ही होम बायर्स को फ्लैट न देने और कोर्ट के आदेश का पालन न करने पर आम्रपाली को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने एनबीसीसी से कहा कि उसे आम्रपाली की जब्त संपत्ति से पैसे दिलाए जाएंगे।

कोर्ट ने 17 मई का आदेश भी वापस ले लिया, जिसमें आम्रपाली की परियोजनाओं को पूरा करने का काम तीन सहयोगी बिल्डरों को सौंपा गया था और आम्रपाली को 250 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया गया था। आम्रपाली के बारे में तल्ख टिप्पणियां जस्टिस अरुण मिश्र व जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने की।

इससे पहले बुधवार को कोर्ट ने आम्रपाली की 40 कंपनियों के खाते सीज करने के आदेश दिए थे। शहरी विकास मंत्रलय के सचिव व एनबीसीसी के चेयरमैन को कोर्ट में बुलाया था। गुरुवार को दोनों अफसर पेश हुए। शहरी विकास मंत्रलय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने बताया कि उन्हें कोर्ट के 17 मई के आदेश की जानकारी नहीं थी।

उधर, आम्रपाली के वकील गौरव भाटिया ने गुरुवार को 40 में से 38 कंपनियों के खातों का ब्योरा पेश किया, जिसे कोर्ट ने संबंधित बैंकों को भेजने का आदेश दिया, ताकि बुधवार के आदेश पर अमल हो सके। कोर्ट ने सोमवार तक कंपनी के सभी निदेशकों के खातों का भी ब्योरा मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह के सभी ऑडिटर्स को भी आदेश दिया है कि वह ग्रुप की सभी 40 कंपनियों के खातों का बारीकी से परीक्षण कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें। रिपोर्ट में ये भी बताया जाए कि आम्रपाली ग्रुप द्वारा होम बायर्स के लगभग 2500 करोड़ रुपये कहां लगाए गए हैं।

एक दिन पहले सभी कंपनियों की संपत्ति अटैच करने का दिया था आदेश
इससे पहले बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली की सभी 40 कंपनियों के बैंक खातों और चल संपत्ति को अटैच करने का आदेश जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के सभी डायरेक्टर के बैंक खातों को फ्रीज करने और उनकी व्यक्तिगत संपत्तियों को भी अटैच करने का भी आदेश दिया था। इसी केे मद्देनजर कोर्ट नेे सोमवार तक निदेशकों के खातों  का ब्यौरा मांगा है। बुधवार की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख अंदाज में कहा था कि आम्रपाली हमारे धैर्य की परीक्षा न ले। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को शहरी विकास मंत्रालय के सचिव और एनबीसीसी अध्यक्ष को भी पेश होने का आदेश दिया था।

आम्रपाली चेयरमैन से मांगी थी डायरेक्टर्स की सूची
इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप के चैयरमैन अनिल शर्मा को आदेश दिया था कि वो ग्रुप के सभी डायरेक्टर्स के पैन कार्ड और बैंक डिटेल गुरुवार तक कोर्ट को उपलब्ध कराएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आम्रपाली ग्रुप ने गुमराह किया है और आदेशों का पालन नहीं किया है। कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप के सभी 40 कंपनियों के खातों को देखने वाले चार्टेड एकाउंटेंट की भी लिस्ट मांगी थी।

देश छोड़कर न जाएं
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले आम्रपाली के प्रमोटरों को निर्देश दिया था कि वे देश छोड़कर कहीं न जाएं। साथ ही रियल एस्टेट कंपनी को 2008 से लेकर अब तक के अपने प्रोजेक्ट्स की विस्तृत वित्तीय जानकारी देने को भी कहा था। वहीं कंपनी ने कोर्ट को बताया कि उसने केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव दिया है उसके अधूरे और भावी प्रोजेक्ट्स को नेशनल भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) द्वारा पूरा करवाया जाए।

दूसरे कामों में लगाए गए पैसे
बता दें कि इसी साल 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आम्रपाली ग्रुप ने होम बायर्स के 2765 करोड़ रुपये दूसरे कामों में ट्रांसफर कर दिए हैं। कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप को आदेश दिया कि वो 250 करोड़ रुपये कोर्ट में जमा करे। ऐसा नहीं करने पर कोर्ट ने कहा कि जिन प्रोजेक्ट्स में लोग रह रहे हैं, वहां बेसिक सुविधाएं पूरी करें। आम्रपाली ने इस आदेश का भी पालन नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली की 16 परियोजनाओं को अलग-अलग श्रेणी में बांटकर उन्हें चरणबद्ध तरीके से पूरा करने का निर्देश दिया था। उस पर आम्रपाली की तरफ से कोई पालन नहीं हुआ।

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