26 साल बाद पटरी पर दौड़ेगी छुक-छुक करती रेल, अकबर भी रचेगा इतिहास
भाप इंजन डब्ल्यूजी-10253 को वर्ष 1955 में बनाया गया था। यह इंजन वर्ष 1992 में आखिरी बार पटरियों पर दौड़ा था। इसके बाद इसे भूसावल में ले जाकर खड़ा कर दिया गया।
By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 04 Aug 2018 11:57 AM (IST)
रेवाड़ी (अमित सैनी)। भाप इंजनों के रोमांच को बनाए रखने के लिए रेलवे की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। अब एक ऐसे भाप इंजन को फिर से पटरियों पर लाने की तैयारी हो रही है जो 26 सालों से कबाड़ बनकर खड़ा हुआ था। महाराष्ट्र के भुसावल में खड़े इस भाप इंजन को मरम्मत के लिए बीस दिन पहले रेवाड़ी स्थित स्टीम हेरीटेज लोकोशेड में लाया गया है। यहां इसकी मरम्मत का कार्य चल रहा है। यह इंजन निकट भविष्य में रेवाड़ी-दिल्ली कैंट व दिल्ली कैंट-गुरुग्राम-फरुखनगर जैसे रूटों पर प्रस्तावित पर्यटक ट्रेन का सारथी बनेगा। दिल्ली-कैंट से अलवर के बीच दौड़ने वाली सुप्रसिद्ध फेयरी क्वीन के लिए भी यह इंजन विकल्प बनेगा।
1992 में आखिरी बार पटरियों पर दौड़ा था इंजन
भाप इंजन डब्ल्यूजी-10253 को वर्ष 1955 में बनाया गया था। यह भाप इंजन वर्ष 1992 में आखिरी बार पटरियों पर दौड़ा था। इसके बाद इसे भुसावल में ले जाकर खड़ा कर दिया गया। 26 सालों से इंजन वहीं पर खड़ा हुआ था। उत्तर रेलवे की टीम ने सितंबर 2017 में भुसावल में इस इंजन का निरीक्षण किया था।
भाप इंजन डब्ल्यूजी-10253 को वर्ष 1955 में बनाया गया था। यह भाप इंजन वर्ष 1992 में आखिरी बार पटरियों पर दौड़ा था। इसके बाद इसे भुसावल में ले जाकर खड़ा कर दिया गया। 26 सालों से इंजन वहीं पर खड़ा हुआ था। उत्तर रेलवे की टीम ने सितंबर 2017 में भुसावल में इस इंजन का निरीक्षण किया था।
निरीक्षण के बाद निर्णय लिया गया कि इस इंजन को फिर से पटरियों पर दौड़ाया जाएगा। इंजन को मरम्मत के लिए रेवाड़ी लोकोशेड लाया गया है तथा यहां विशेषज्ञों की टीम इसे ठीक करने में जुटी हुई है। इंजन के विभिन्न हिस्से सस्पेंशन, बैरिंग व पहियों को लेकर काम किया जा रहा है।
अकबर को भी किया जा रहा है तैयार
रेवाड़ी स्थित स्टीम हेरीटेज लोकोशेड में भाप इंजन नंबर 7161 को भी तैयार किया जा रहा है। इसका नाम अकबर है। इसके साथ ही इंजन नंबर डब्ल्यूपी- 7200 पूरी तरह से तैयार है। अकबर भी शीघ्र ही पटरियों पर छुक छुक कर दौड़ता नजर आएगा। यहां बता देना जरूरी है कि अकबर गदर एक प्रेम कथा, भाग मिल्खा भाग व सुल्तान आदि फिल्मों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है।
सैलानियों को सैर कराएंगे ये भाप इंजन
इतिहास को तरोताजा करते भाप इंजनों से रेलवे भी अपनी आमदनी बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। समय-समय पर भाप इंजनों को ट्रैक पर दौड़ाया जाता है। लोकोशेड में तैयार हो रहे ये भाप इंजन शीघ्र ही सैलानियों को सैर कराते हुए नजर आएंगे। फेयरी क्वीन पिछले कई सालों से दिल्ली से अलवर के बीच सैलानियों को सैर कराती आ रही है। अकबर को भी अक्सर फिल्म शूटिंग के दौरान चलाया जाता है। इसके साथ ही इस बार फरुखनगर-दिल्ली कैंट के बीच भी भाप इंजन को दौड़ाया जाएगा।
विश्व का सबसे पुराना इंजन फेयरी क्वीन भी तैयार
फेयरी क्वीन को विश्व का सबसे पुराना इंजन माना जाता है। 1855 में इस इंजन का निर्माण किया गया था। भाप से चलने वाला यह इंजन कई बार ट्रैक पर दौड़ चुका है। फेयरी क्वीन की रफ्तार 30 से 50 किमी. प्रति घंटा की है। इसके पानी के टैंक की क्षमता महज 3 हजार लीटर की है। दिल्ली से रेवाड़ी के बीच इसमें दो बार पानी भरा जाता है। कई बॉलीवुड फिल्मों में भी यह अपनी शान दिखा चुका है।