भारतीय वीरों ने एक ही रात में 32 पाकिस्तानियों को किया ढेर, रणक्षेत्र छोड़कर भागा था दुश्मन
भारतीय सेना की टुकड़ी ने युद्ध में ऐसा जौहर दिखाया कि पाकिस्तानी सेना के बचे हुए सैनिक हथियार व 13 सैन्य वाहन छोड़कर भाग खड़े हुए थे।
By Amit MishraEdited By: Updated: Sat, 04 Aug 2018 03:00 AM (IST)
नोएडा [पंकज मिश्रा]। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान राजस्थान के बाड़मेर स्थित सीमा पर मौजूद 20 राजपूताना रेजीमेंट की एक टुकड़ी पर पाकिस्तानी सेना ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। भारतीय सेना ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया। जवाबी कार्रवाई खत्म हुई तो 32 पाकिस्तानी सैनिक मौत की नींद सो रहे थे।
मौत का खौफ नहीं यह वाकया जब सूबेदार मेजर (सेवानिवृत) धनपाल सिंह सुनाते हैं तो उनके चेहरे के भाव युद्धभूमि की ओर ले जाते हैं। सूरजपुर के सरीन फॉर्म निवासी धनपाल सिंह भी उसी 20 राजपूताना रेजीमेंट में थे, जो सरहद पर अपनी वीरता के पदचिह्न छोड़ रही थी। टुकड़ी में सबसे आगे चलते हुए उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों पर अंधाधुंध गोलिया बरसाई थीं। युद्ध के दौरान तीन बार ऐसा हुआ कि धनपाल सिंह और दुश्मन की गोलियों के बीच बमुश्किल इंच भर का फासला रहा होगा, लेकिन देशभक्ति का जुनून ऐसा कि रत्ती भर भी मौत का खौफ नहीं था।
भाग खड़े हुए थे पाकिस्तानीवह बताते हैं कि युद्ध के दौरान उनकी टुकड़ी को भारत-पाकिस्तान सीमा पर 120 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा था। टुकड़ी ने युद्ध में ऐसा जौहर दिखाया कि पाकिस्तानी सेना के बचे हुए सैनिक हथियार व 13 सैन्य वाहन छोड़कर भाग खड़े हुए थे। वह कहते हैं कि सेना में जाने वाला हर जवान ताउम्र भारत मां के लिए समर्पित हो जाता है और यही भाव सैनिकों में जुनून पैदा करता है।
युवाओं को दे रहे सेना में जाने की तामील
धनपाल सिंह (71) का देश के प्रति सेवा का भाव आज भी कम नहीं हुआ है। वह कहते हैं कि आज भी उन्हें यदि सेना में जाने का मौका मिले तो इनकार नहीं करेंगे। अपने संपर्क में आने वाले युवाओं को वह सेना में जाने की ही तालीम देते हैं। युवाओं को सैन्य कार्यशैली व सेना के कार्यक्षेत्र के बारे में बड़ी बारीकी से बताते हैं।
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