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दिल्ली की आबोहवा में सुधार के लिए सख्त होंगे नियम, जल्द जारी होंगे दिशा-निर्देश

ईपीसीए ने रिपोर्ट में जांच केंद्रो को अपडेट और कंप्यूटराइज्ड करने की सिफारिश की है। कहा है कि एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया जाए जिससे कि कर्मचारियों के स्तर से की जाने वाली गड़बड़ी रोकी जा सके।

By Amit MishraEdited By: Updated: Sat, 04 Aug 2018 04:00 AM (IST)
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दिल्ली की आबोहवा में सुधार के लिए सख्त होंगे नियम, जल्द जारी होंगे दिशा-निर्देश
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। राजधानी की आबोहवा सुधारने के लिए प्रदूषण जांच के मानक अब और सख्त किए जाएंगे। दिल्ली के प्रदूषण जांच केंद्र अपडेट किए जाएंगे और कर्मचारी भी प्रशिक्षित होंगे। इतना ही नहीं, वाहन बीमा नवीनीकरण कराए बिना प्रदूषण प्रमाण पत्र नहीं जारी किए जाएंगे। इस संबंध में पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस पर जल्द ही कोर्ट दिशा-निर्देश जारी कर सकता है।

वाहन चालक प्रदूषण जांच नहीं कराते 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एक साल पहले ईपीसीए से कहा था कि वह प्रदूषण जांच केंद्रों का दौरा करे और इस संबंध में रिपोर्ट दे कि कैसे वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकता है। अब ईपीसीए ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में ईपीसीए ने बताया है कि दिल्ली में करीब 1.05 करोड़ वाहन हैं। इन्हें हर तीन माह में प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी करने होने हैं लेकिन करीब 25 फीसद वाहन मालिक इसके लिए किसी केंद्र पर जाते ही नहीं हैं जबकि कुछ अनियमित तौर पर जांच कराते हैं। इतना ही नहीं, हर चार में से तीन वाहन चालक प्रदूषण जांच नहीं करा रहे।

 

प्रदूषण जांच में फेल 

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि करीब 5.18 फीसद पेट्रोल वाहन कार्बन मोनो आक्साइड एवं हाइड्रोकार्बन जांच में जबकि 1.61 फीसद डीजल वाहन धुआं संबंधी जांच में फेल हो रहे हैं। दोपहिया वाहनों के प्रदूषण जांच में फेल होने की दर 0.39 फीसद जबकि चार पहिया वाहनों की 0.59 फीसद है।

प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में 962 प्रदूषण जांच केंद्र हैं जबकि एनसीआर यानी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान के हिस्सों में करीब 100 केंद्र हैं लेकिन इन केंद्रों पर प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं हैं। ईपीसीए की टीम ने जब इन जांच केंद्रों का दौरा किया तो कई गड़बड़ियां मिलीं। जांच केंद्रों में कुछ कर्मचारियों को तो वाहन में ठीक से रॉड भी लगाना नहीं आता।

वाहन का बीमा नहीं हो तो प्रदूषण जांच भी नहीं 

ईपीसीए ने अपनी रिपोर्ट में जांच केंद्रो को पूर्णतया अपडेट और कंप्यूटराइज्ड करने की सिफारिश की है। कहा है कि इसके लिए एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया जाए जिससे कि कर्मचारियों के स्तर से की जाने वाली गड़बड़ी रोकी जा सके। केंद्रों के कर्मचारियों को प्रशिक्षित किए जाने की आवश्यकता है। यह भी सुझाव है कि प्रदूषण जांच के दौरान वाहन मालिक से वाहन बीमा के कागजात भी मांगे जाएं। यदि वाहन का बीमा नहीं हो तो प्रदूषण जांच भी न की जाए। साथ ही यातायात पुलिस द्वारा समय-समय पर प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र जांच के लिए अभियान चलाने का सुझाव भी ईपीसीए ने दिया है।

ईपीसीए के चेयरमैन भूरेलाल ने कहा कि हमने अपनी विस्तृत रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दी है। इसमें कई सुझाव एवं सिफारिशें सम्मिलित हैं। उम्मीद है कि इस संबंध में दिशा-निर्देश इसी माह कोर्ट जारी कर देगा।

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