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लैंड पूलिंग पॉलिसी के मसौदे को जनसुनवाई बोर्ड की मंजूरी

लैंड पूलिंग पॉलिसी के मसौदे को जनसुनवाई बोर्ड की मंजूरी मिल गई है। इसे अब एलजी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में रखा जाएगा।

By JagranEdited By: Updated: Fri, 03 Aug 2018 10:26 PM (IST)
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लैंड पूलिंग पॉलिसी के मसौदे को जनसुनवाई बोर्ड की मंजूरी

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्लीवासियों को किफायती आवास उपलब्ध कराने वाले दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की लैंड पूलिंग पॉलिसी को जनसुनवाई बोर्ड ने अंतिम रूप दे दिया है। शुक्रवार को इसके मसौदे को अंतिम स्वीकृति दी गई। यह रिपोर्ट दो व तीन जुलाई को संपन्न जनसुनवाई के आधार पर तैयार की गई थी। यह जल्द ही एलजी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में रखी जाएगी।

डीडीए के सदस्य (अभियंता) की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई बैठक में डीडीए के वित्तीय सदस्य व बोर्ड के सदस्य विजेन्द्र गुप्ता और ओम प्रकाश शर्मा ने भी हिस्सा लिया। लैंड पूलिंग पर 699 आपत्तियां तथा 77 सुझाव प्राप्त हुए थे। इनकी गहन जाच के बाद इसे अंतिम रूप दिया गया। विजेन्द्र गुप्ता ने बताया कि रिपोर्ट में तय किया गया है कि लैंड पूलिंग पॉलिसी के अंतर्गत विकास स्मार्ट सिटी की अवधारणा पर आधारित होना चाहिए। रिपोर्ट में विकास की गति के प्रति संवेदनशीलता तथा जनता व पर्यावरण के हित को प्राथमिकता पर भी बल दिया गया है। बैठक में लैंड पूलिंग पॉलिसी को सरलतापूर्वक समझाने के लिए मॉडल तैयार करने की सिफारिश की गई। साथ ही जीरो वेस्ट तथा छोटे प्लॉट मालिकों के हितों की रक्षा पर भी बल दिया गया है। वहीं, फ्लोर एरिया रेश्यो (एफएआर) को बढ़ाकर 400 करने पर लोगों के सुझाव आए थे। बोर्ड के सदस्यों ने यह मामला डीडीए पर छोड़ दिया।

रिपोर्ट में सिफारिश की गई कि छोटे प्लॉटों के मालिकों के हितों का विशेष ध्यान रखा जाए। उनके लिए तैयार किए गए मॉडल में यह बताया जाए कि कौन-कौन से दस्तावेज किस-किस तरह से प्रस्तुत किए जाने हैं। यह मॉडल छोटे प्लॉट के मालिकों के लिए मार्गदर्शक का काम करें, ताकि उन्हें योजना का भरपूर लाभ मिल सके।

बोर्ड के सदस्यों ने इसपर भी बल दिया कि लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत बनने वाली कॉलोनियों, मार्केटों इत्यादि में सफाई व्यवस्था जीरो वेस्ट फार्मूले पर आधारित हो। कूड़े को कम से कम पैदा करने की कोशिश हो और रिसाइक्लिंग पर भी काम किया जाए। सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाए। आवश्यकतानुसार सीवर ट्रीटमेंट प्लाट लगाए जाएं। ऐसी व्यवस्था हो कि सीवर का पानी रिसाइकिल कर पीने योग्य बन जाए।

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