AIIMS में एक लाख तो निजी अस्पतालों में एक करोड़ रुपये में होता है हार्ट ट्रांसप्लांट
अपने 14 वर्षीय बच्चे को दिल का प्रत्यारोपण कराने वाली महिला सरिता ने कहा कि वह भी बच्चे को लेकर शुरुआत में निजी अस्पताल गई थीं। जहां उसे प्रत्यारोपण का खर्च 90 लाख बताया गया था
By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 04 Aug 2018 07:39 AM (IST)
नई दिल्ली (रणविजय सिंह)। अंगदान महादान। ब्रेन डेड होने के बाद कई लोग यह महादान कर दूसरों को जीवनदान दे जाते हैं। बदले में उनके परिवार के हाथ कुछ नहीं लगता। सिवाय इस तसल्ली के कि उनके नि:स्वार्थ फैसले से दूसरे मरीजों को जिंदगी मिली पर शुक्रवार को एम्स में दिल प्रत्यारोपण दिवस मनाने पहुंचे मरीजों व तीमारदारों ने बताया कि दिल प्रत्यारोपण के लिए निजी अस्पतालों में एक करोड़ से ज्यादा की मांग की जाती है। उनके लिए यह एक और सदमे की तरह था। बाद में एम्स के डॉक्टरों ने उन्हें दिल प्रत्यारोपण कर जिंदगी दी।
एम्स में दिल प्रत्यारोपण कराने वाले व मूलरूप से बुलंदशहर के रहने वाले आमिर खान (47) ओखला में रहते हैं। उन्होंने बताया कि 12 साल पहले हार्ट अटैक हुआ। शुरुआत में आसपास के अस्पताल में इलाज हुआ। बाद में हालत गंभीर होने पर दिल्ली के एक बड़े निजी अस्पताल में पहुंचा। यहां पता चला कि दिल ने काम करना कम कर दिया है, इसलिए डॉक्टरों ने प्रत्यारोपण कराने की सलाह दी और खर्च 1.30 करोड़ बताया। इसमें दवाओं का खर्च भी शामिल था। बीमार होने से पहले उनकी इतनी कमाई नहीं थी कि वह इतना खर्च कर पाएं। इसलिए डॉक्टरों ने एम्स में इलाज के लिए भेज दिया। यहां सर्जरी के लिए एक लाख जमा करने के लिए कहा गया था। इसके अलावा कुछ खर्च नहीं हुआ।
अपने 14 वर्षीय बच्चे को दिल का प्रत्यारोपण कराने वाली महिला सरिता ने कहा कि वह भी बच्चे को लेकर शुरुआत में निजी अस्पताल गई थीं। जहां उसे प्रत्यारोपण का खर्च 90 लाख बताया गया था। वह पश्चिमी दिल्ली में सीतापुरी की रहने वाली हैं। मेरठ के रवि कोहली (36) ने कहा कि दिल की तीन धमनियों में ब्लॉकेज था। इलाज के लिए कई अस्पतालों में भटकना पड़ा। गुरुग्राम के एक बड़े अस्पताल ने प्रत्यारोपण के लिए करीब 1.60 करोड़ का खर्च बताया गया था।
बुखार से शुरू हुई बीमारी
पीतमपुरा के रहने वाले संदीप (36) ने कहा कि 12 साल पहले उसे बुखार हुआ। चार महीने तक बुखार रहने के बावजूद बीमारी पकड़ नहीं आ रही थी। रोहिणी के ही एक निजी अस्पताल में इलाज करा रहा था। बाद में बताया गया कि दिल में पानी भर गया है। सही इलाज नहीं हो पाने के कारण बीमारी बढ़ती गई दिल ने काम करना कम कर दिया। डॉक्टरों ने प्रत्यारोपण की सलाह दी और बताया कि 60 लाख रुपये तक खर्च आएगा। हालांकि निजी अस्पताल यह नहीं मान रहे कि हार्ट प्रत्यारोपण का इतना पैकेज है। एक निजी अस्पताल के अनुसार प्रत्यारोपण का कोई पैकेज निर्धारित नहीं है। क्योंकि कई मरीजों को लंबे समय तक आइसीयू में रखना पड़ता है और प्रत्यारोपण के बाद दी जाने वाली दवाइयां भी महंगी होती हैं। दिक्कत यह है कि एम्स के अलावा सरकारी क्षेत्र के किसी अन्य अस्पताल में हार्ट प्रत्यारोपण की सुविधा नहीं है।
सरकार सस्ती करें दवाएं
हरियाणा के रहने वाले सुरेंद्र वाधवा ने कहा कि उनकी पत्नी नीलम वाधवा (44) का एम्स में हार्ट प्रत्यारोपण हुआ है। हार्ट प्रत्यारोपण के लिए मध्यप्रदेश के इंदौर से हार्ट आया था। प्रत्यारोपण के बाद भी मरीजों को हर महीने करीब 50 हजार की दवाएं लगती हैं। एम्स से यह दवाएं मुफ्त मिल जाती हैं इसलिए राहत है। सरकार को इन दवाओं की कीमत कम करनी चाहिए, ताकि सभी मरीज इसका फायदा उठा सकें।
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