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विश्वास नगर में सील होंगी सभी फैक्ट्रियां

सुप्रीम कोर्ट की मॉनिट¨रग कमेटी ने विश्वास नगर की सभी फैक्ट्रियों को सील करने का आदेश दिया है। आदेश पर तत्काल प्रभाव से अमल शुरू करते हुए निगम ने दोबारा से सर्वे शुरू कर दिया। इसके लिए निगम ने 15 टीमें लगाई हैं। शनिवार को देर शाम तक सर्वे चलता रहा, छुट्टी होने के बाद भी निगम की टीमें रविवार को भी सर्वे करेंगी। सोमवार को सभी फैक्ट्रियों को 4

By JagranEdited By: Updated: Sat, 04 Aug 2018 09:21 PM (IST)
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विश्वास नगर में सील होंगी सभी फैक्ट्रियां

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की मॉनिट¨रग कमेटी ने विश्वास नगर की सभी फैक्ट्रियों को सील करने का आदेश दिया है। इस पर तत्काल प्रभाव से अमल करते हुए नगर निगम ने 15 टीमें बनाई। ये टीमें दोबारा सर्वे कर रही हैं। शनिवार को उद्यमियों के विरोध के बीच देर शाम तक सर्वे चलता रहा और छुट्टी होने के बावजूद रविवार को भी ये टीमें सर्वे करेंगी। सोमवार को सभी फैक्ट्रियों को 48 घंटे के अंदर सील करने का नोटिस दिया जाएगा और बुधवार से सीलिंग की कार्रवाई शुरू होगी।

सुप्रीम कोर्ट की मॉनिट¨रग कमेटी के सदस्य भूरेलाल और केजे राव ने विश्वास नगर व गांधी नगर का शुक्रवार को दौरा किया था। इस दौरान रिहायशी इलाकों में व्यावसायिक गतिविधियां देखकर नाराजगी जताई और सभी फैक्ट्रियों को सील करने के निर्देश दिए। इसके बाद पूर्वी दिल्ली नगर निगम का शाहदरा दक्षिणी जोन हरकत में आ गया है। पहले सर्वे के मुताबिक चार हजार फैक्ट्रियां हैं यहां

विश्वास नगर में पहले हुए सर्वे के मुताबिक करीब 4000 फैक्ट्रियां हैं, जिनमें बिजली के तार, असेंब¨लग, गत्ते और तेजाब आदि की फैक्ट्रियां हैं। कई फैक्ट्रियां प्रदूषण फैलाने वाली हैं। इस इलाके में प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों को सील करने की कार्रवाई फैक्ट्री लाइसें¨सग विभाग द्वारा पहले से ही की जा रही है। अब बुधवार से भवन विभाग कार्रवाई करेगा। यह कार्रवाई भवनों के दुरुपयोग के मामले में होगी।

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मास्टर प्लान बनने के वर्षो बाद कार्रवाई कितना उचित : महेंद्र आहूजा भाजपा टास्क फोर्स के सदस्य महेंद्र आहूजा ने बताया कि विश्वास नगर में 2200 प्लॉट हैं और लगभग 70 फीसद हिस्से में चार हजार फैक्ट्रियां हैं। इस क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र घोषित किया जाए या नहीं, यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसलिए बि¨ल्डग बायलॉज के आधार पर कार्रवाई का आदेश देना कहीं से उचित नहीं है। मास्टर प्लान 2001 में बना और 2007 में लागू हुआ, लेकिन उस पर कार्रवाई 2018 में की जा रही है। अब तो नए मास्टर प्लान का वक्त आ गया है। यहां 90 फीसद घरेलू उद्योग चल रहे हैं। इस फैसले से दिल्ली में बेरोजगारी बढ़ेगी। इसलिए वह उद्यमियों के साथ मॉनिट¨रग कमेटी के सदस्यों से मिलेंगे।

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