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दुष्कर्म आरोपी दाती महाराज के लिए आज अहम दिन, एक रिपोर्ट से बढ़ सकती है मुश्किल

युवती के मुताबिक, पहले दाती महाराज ने छतरपुर स्थित शनिधाम मंदिर के आश्रम में उससे पहली बार दुष्कर्म किया था। बाद में उसके 3 भाइयों ने भी कई बार दुष्कर्म किया।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 27 Aug 2018 03:11 PM (IST)
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दुष्कर्म आरोपी दाती महाराज के लिए आज अहम दिन, एक रिपोर्ट से बढ़ सकती है मुश्किल
नई दिल्ली (जेएनएन)। 25 वर्षीय युवती से दुष्कर्म के आरोप में घिरे दाती महाराज की मश्किलें बढ़ती जा रही हैं।हालांकि, उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है। ऐसे में दिल्ली पुलिस पर कई सवाल भी उठ रहे हैं। सोमवार को दुष्कर्म के आरोपित दाती महाराज से क्राइम ब्रांच ने तीन घंटे तक पूछताछ की। पूछताछ क्या-क्या सवाल पूछे गए? इसका पता नहीं चल पाया है। अब तक दाती महाराज से आठ बार पूछताछ हो चुकी है। उसके चार मोबाइल फोन के फोरेंसिक जांच की रिपोर्ट सोमवार आ सकती है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस रिपोर्ट के सामने आने पर वह दुष्कर्म मामले में घिर सकता है। 

यह है मामला

पीड़ित युवती राजस्थान में परिवार के साथ रहती है। उनके परिजनों ने करीब 10 साल पहले पढ़ाई के लिए उन्हें दाती के पाली स्थित बालाग्राम गुरुकुल आश्रम में भेजा था। बाद में उन्हें छतरपुर स्थित आश्रम में भेज दिया गया। शिकायत में युवती ने कहा है कि करीब दो साल पहले दाती महाराज ने छतरपुर स्थित शनिधाम मंदिर के आश्रम में उनके साथ पहली बार दुष्कर्म किया था। बाद में उसके तीन भाइयों ने भी आश्रम में कई बार दुष्कर्म किया। धमकी के डर से उन्होंने दो साल तक किसी को आपबीती नहीं बताई। बाद में परिजनों को आपबीती बताने पर और उनके कहने पर 10 जून को फतेहपुरबेरी थाने में मुकदमा दर्ज कराया। अगले दिन मामला क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर कर दिया गया था।

वहीं, साकेत कोर्ट ने दाती महाराज के खिलाफ दुष्कर्म के मामले की जांच को गंभीरता से लिया है। अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी यह बताने में नाकाम रहे कि आरोपित छानबीन के दौरान फरार न हो जाए इसके लिए क्या कदम उठाए गए हैं। 

जानें दाती महाराज के बारे में

यहां पर बता दें कि चाय की प्याली उठाने से लेकर टेलीविजन चैनलों पर सर्वाधिक लोकप्रिय बाबा बनने वाला दाती महाराज मूलरूप से राजस्थान का रहने वाला है। फटेहाल स्थिति में दिल्ली में कोई काम नहीं मिलने पर वह दिल्ली के फतेहपुरबेरी में मदनलाल पंडित नाम से चाय की दुकान चलाने लगा। कुछ समय बाद उसने पटरी-बल्ली और शटरिंग की दुकान खोली, फिर ईंट-बालू तथा सीमेंट की दुकान खोलकर उसमें भी हाथ आजमाया। इसके बाद उसने फतेहपुरबेरी में ही टेंट हाउस खोला और कैटरिंग का काम शुरू कर दिया।

मदन की जिंदगी ने एक दिन लिया 360 डिग्री का मोड़

कैटरिंग का काम सीखने के बाद उसके पास इससे पैसे आने लगे, जिससे उसकी रोजी-रोटी चलने लगी। इस दौरान वर्ष 1996 में मदन की जिंदगी तब 360 डिग्री घूम गई, जब उसकी मुलाकात राजस्थान के एक नामी ज्योतिषी से हुई। इस ज्योतिषी की संगत में मदन ने हाथ देखने का काम बारीकी से सीखा और एक दिन ऐसा भी आया जब उसने जन्मकुंडली देखना भी सीख लिया। अब उसने इस काम का अपना पेशा बनाने का निर्णय ले लिया और कैटरिंग के धंधे को बंद कर दिया।

जमीन पर किया कब्जा भी

हाथ देखने का काम चल निकला तो मदन ने फतेहपुरबेरी गांव में ही अपना ज्योतिष केंद्र खोल लिया। फिर इसी जमीन पर उसने शनिधाम मंदिर बना लिया। कुछ साल में ही आस-पास की जमीन पर कब्जा करके आश्रम और ट्रस्ट बना लिए, दशकों तक कोई समस्या नहीं आई। चेलों, भक्तों की संख्या सैकड़ों से हजारों में तब्दील हो गई।

मदन से बन गया दाती महाराज, काम बदला तो नाम भी बदल लिया

ज्योतिषी का काम सीखकर मदन ने जान लिया था कि इस काम में जबरदस्त पैसा है और शोहरत भी है। फिर क्या था मदन ने कैटरिंग का काम बंद कर दिल्ली की कैलाश कॉलोनी में ज्योतिष केंद्र खोल लिया। जिंदगी में बदलाव आया तो उसने काम पीछे छोड़ने के साथ नाम भी छोड़ दिया और नाम बदलकर दाती महाराज रख लिया।

सात साल में ही खो दिया था मां-बाप को

टेलीविजन खासकर न्यूज चैनलों पर अपनी जादुई बातों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने वाले दाती महाराज का बचपन बेहद अभाव में गुजरा। अब भी बहुत से लोग ये बात नहीं जानते होंगे कि मदन के दाती महाराज बनने के पीछे क्या कहानी है। दाती महाराज के एक करीबी के मुताबिक, मूलरूप से राजस्थान के पाली जिले के अलावास गांव के रहने वाले दाती का असली नाम मदन लाल है। मदन लाल का जन्म इस गांव में रहने वाले मेघवाल परिवार में जुलाई 1950 में हुआ। जन्म के कुछ समय बाद ही उनकी मां का देहांत हो गया। मदन जब सात साल का हुआ तो देवाराम की भी मौत हो गई।

पिता बजाते थे ठोलक, मुश्किल से होता था गुजारा

जानकारी के मुताबिक, मेघवाल समुदाय कार्यक्रमों में ढोलक बजाकर अपना गुजारा करता था। मदन के पिता देवाराम भी यही पुश्तैनी काम किया करते थे। घर में अभाव के हालात देखकर छोटी उम्र में ही मदन गांव के ही एक व्यक्ति के साथ राजधानी दिल्ली आ गया। यहां पर मदन ने चाय की दुकान में काम करने जैसे छोटे-मोटे काम किए। हालांकि, बाद में उसने खुद की चाय की दुकान भी खोली।

भविष्यवाणी सच होते ही बदल गई दाती महाराज की दुनिया

ज्योतिषी बनने के बाद मदन की जिंदगी में बदलाव होने लगा। पैसा तो आ ही रहा था शोहरत भी मिल रही थी। इस बीच एक भविष्यवाणी क्या सच हुई उसकी तो पूरी जिंदगी ही बदल गई। हुआ यूं कि वर्ष 1998 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में दाती महाराज ने एक प्रत्याशी की कुंडली देखी और भविष्यवाणी कर दी कि वह जितेगा। भविष्यवाणी सच भी हो गई। प्रतिदान स्वरूप विधायक का चुनाव जीते नेता ने खुशी में फतेहपुर बेरी स्थित अपने पुश्तैनी मंदिर का काम भी दाती महाराज को दे दिया। इसके बाद दाती महाराज की लोकप्रियता बढ़ी तो दौलत भी बरसने लगी।

टेलीविजन शो ने घर-घर कर दिया लोकप्रिय

21वीं शुरू होते-होते दाती महाराज के लिए बहुत कुछ बदल चुका था। दशक खत्म होते-होते वह न्यूज चैनलों पर भी आने लगा। एक समय ऐसा भी आया, जब लोग खासतौर से उसका शो देखने के लिए लालायित रहते थे। दिल्ली के साथ राजस्थान के आश्रमों में उसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। बताया जाता है कि शुरुआत में तो उसने पैसा देकर अपने कार्यक्रम चलवाए, लेकिन फिर डिमांड बढ़ी तो चैनलों ने ही पैसा देकर उसको समय देना शुरू कर दिया।

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