सपने में आया एलियन, उसके कहने पर बना दिया यूएफओ लैंडिंग पैड
अर्जेंटीना की यात्रा के बाद जैसल ने यह दावा किया है कि उन्हें एलियंस से टेलीपैथिक संदेश मिला है।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Tue, 28 Aug 2018 08:14 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। दुनिया में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो बड़े दावे के साथ दूसरे ग्रह के प्राणियों के वजूद और उनके साथ अपने संपर्क के बारे में बातें करते हैं। ऐसी ही एक घटना अर्जेंटीना में हुई। अर्जेंटीना के रेगिस्तान के मध्य में एक ऐसे व्यक्ति द्वारा 'यूएफओ लैंडिंग पैड' (यूएफओ का मतलब है ‘अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ओब्जेक्ट’) बनाया गया। उसने दावा किया कि एलियंस ने सपने में आकर उसे बनाने के लिए कहा था।
यह एक सितारा के आकार में सफेद और भूरे रंग के चट्टानों का संग्रह है, जिसे 'ओवनिपोर्ट' के नाम से जाना जाता है। यह साल्टा प्रांत में कची के छोटे शहर में दिखाई दिया है। ऐसा माना जाता है कि स्विस नागरिक वर्नर जैस्ली ने इसे बनाया था, जिन्होंने बाह्य अंतरिक्ष की तलाश में इस क्षेत्र की यात्रा की थी। इस साइट पर आदमियों का झुंड इसे देखने के लिए आ रहा है क्योंकि यह अपने आप में आश्चर्यजनक है। इस जानकारी को हवाई छवियों द्वारा हाइलाइट किया गया है। अर्जेंटीना की यात्रा के बाद जैसल ने यह दावा किया है कि उन्हें एलियंस से 'टेलीपैथिक संदेश' मिला है। इसमें उसे बताया गया है कि उन्हें धरती पर उतरने के लिए एक जगह चाहिए।
सिर से लगभग 100 मीटर ऊपर उतरे
उसने अर्जेंटीना के अखबार एल ट्रिब्यूनो से बातचीत में कहा कि एलियंस हमारे सिर से लगभग 100 मीटर ऊपर उतरे। उनके साथ प्रकाश की एक पुंज आया, जिसमें हमें अपनी चमक दिखाई दी। मजाकिया बात यह है कि यह हमारी दृष्टि को प्रभावित नहीं करता है। इस दौरान मेरे दिमाग में कुछ बुलबुला शुरू हुआ। इसमें एलियंस का आदेश था। उन्होंने मुझे टेलीपैथिक रूप से हवाई अड्डे का निर्माण करने के बारे में पूछा। माना जाता है कि उन्हें तुरंत काम करना पड़ा। 2008 में 48 मीटर व्यास का एक बड़ा सितारा बनाया गया। जैसल ने भी एक छोटा सितारा बनाया। माना जाता है कि 2012 तक जब तक उनका काम पूरा नहीं हुआ, तब सितारे को ले गया। पर्यटकों के साथ यूएफओ के लिए उत्साही लोगों के बीच यह साइट लोकप्रिय है, जो मानते हैं कि वे इस साइट से किसी अन्य दुनिया के प्राणियों से संपर्क करने में सक्षम हो सकते हैं।
उसने अर्जेंटीना के अखबार एल ट्रिब्यूनो से बातचीत में कहा कि एलियंस हमारे सिर से लगभग 100 मीटर ऊपर उतरे। उनके साथ प्रकाश की एक पुंज आया, जिसमें हमें अपनी चमक दिखाई दी। मजाकिया बात यह है कि यह हमारी दृष्टि को प्रभावित नहीं करता है। इस दौरान मेरे दिमाग में कुछ बुलबुला शुरू हुआ। इसमें एलियंस का आदेश था। उन्होंने मुझे टेलीपैथिक रूप से हवाई अड्डे का निर्माण करने के बारे में पूछा। माना जाता है कि उन्हें तुरंत काम करना पड़ा। 2008 में 48 मीटर व्यास का एक बड़ा सितारा बनाया गया। जैसल ने भी एक छोटा सितारा बनाया। माना जाता है कि 2012 तक जब तक उनका काम पूरा नहीं हुआ, तब सितारे को ले गया। पर्यटकों के साथ यूएफओ के लिए उत्साही लोगों के बीच यह साइट लोकप्रिय है, जो मानते हैं कि वे इस साइट से किसी अन्य दुनिया के प्राणियों से संपर्क करने में सक्षम हो सकते हैं।
कहां गए, यह पता नहीं
हालांकि, 'ओवनिपोर्ट' के निर्माण के तुरंत बाद कची के आस-पास के स्थानीय लोगों को जैसल नहीं दिखे। जैसल के पास एक बड़ी दाढ़ी थी और अक्सर पुरोहित नुमा पोशाक पहनते थे। यह अस्पष्ट है जहां उन्होंने यात्रा की, लेकिन कुछ स्थानीय लोगों ने मजाक किया कि उन्हें एलियंस द्वारा अपहरण कर लिया गया हो सकता है। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि वह वास्तव में बोलीविया चले गए। इसके साथ थ्योरी यह भी है कि वह स्विट्जरलैंड वापस चला गया। एलियंस के किस्से-कहानियां
आप ने उड़नतश्तरियों तथा उन के चालक यानी एलियंस के अनेक किस्से पढ़े-सुने होंगे। क्या ये किस्से सही और सच्चे हैं? पिछले वर्षों में इस सिलसिले में जो नए तथ्य सामने आए हैं, वे यही इशारा करते हैं कि उड़नतश्तरियों में बैठे एलियंस की कहानियां काफी हद तक हकीकत साबित हो रही हैं। यहां तक कि प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस ने एलियंस की सच्चाई को बयां किया था। लगता है कि अब कुछेक सालों में ही ये कथा कहानियां सच हो जाएंगी और हम इन एलियंस के सीधे संपर्क में होंगे। यह उन लोगों का कहना है जो विश्व की अंतरिक्ष एजेंसियों में काम करते हैं और चंद्रमा पर हो आए हैं या फिर बरसों अनुसंधान कर चुके विश्वविख्यात जर्नलिस्ट हैं। अमेरिका के तीन चौथाई नागरिक उड़नतश्तरियों के अस्तित्व के बारे में पूरी तरह आश्वस्त हैं। अब यह मुद्दा फिर गरमा गया है क्योंकि इन उड़नतश्तरियों के स्वागत की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। अमेरिका के रोजवेल इलाके में दिखी थी उड़नतश्तरियां
पिछली सदी के चौथे दशक में अमेरिका के रोजवेल इलाके में लोगों ने कई उड़नतश्तरियां उड़ती देखीं, जिन में से एक उड़नतश्तरी दुर्घटनावश पृथ्वी पर आ गिरी। इस का मलबा आधा मील तक फैला था, जिस में हर चीज अनजान किस्म की धातु की थी। उस पर कुछ अनजान किस्म के निशान व भाषा लिखी थी। इस बारे में नजदीकी एयरफोर्स यूनिट को सूचित करने से पहले कुछ मलबा स्थानीय लोगों ने उठा कर अपने पास रख लिया। इस के बाद सरकारी तंत्र ने सारा मलबा हटा कर अज्ञात स्थान पर भेज दिया, जिसमें कई शव भी थे। हालांकि शुरू में यह भी कहा गया कि एक यूएफओ यानी ‘अनआइडैंटिफाइड फ्लाइंग ओब्जेक्ट’ गिरा, पर बाद में इसे ‘वैदर बलून’ बताया गया। इस सरकारी तंत्र के कवरअप का कारण वहां के लोग आज भी नहीं समझ पाए हैं। रोजवेल में स्थापित यूएफओ म्यूजियम में आज भी आप एक एलियन का कंकाल तथा उस उड़नतश्तरी की कई चीजें देख सकते हैं। हालांकि रोजवेल घटना से पहले भी अनेक लोगों ने हजारों उड़नतश्तरियों को देखा और उन का वर्णन किया, लेकिन उन्हें करीब से नहीं देख पाए।कई और देशों में देखी गईं उड़नतश्तरियां
उड़नतश्तरियां रोजवेल घटना के बाद भी दुनिया के कई देशों में दिखीं। ‘फ्लाइंग सौसर्स ओवर ब्रिटेन’ पुस्तक के लेखक रॉबर्ट चैपमैन का कहना है कि फ्लाइंग सौसर्स की मौजूदगी तो सारी दुनिया को पता है क्योंकि फ्लाइंग सौसर्स को ऐक्समिंस्टर से ऐडलेड, ब्राइटन से बैंकाक और मैनचेस्टर से मेंफिज तक देखा गया। रॉबर्ट आगे लिखते हैं कि ये उड़नतश्तरियां न केवल पृथ्वी का पूरा हाल जानती हैं बल्कि हमारी मदद को भी तैयार हैं, मगर क्या हम ने आज तक किसी तरह उन्हें बताया कि हम उन का स्वागत करना चाहते हैं। क्या हम ने उन के पृथ्वी पर उतरने के लिए आज तक कोई लैंडिंग पैड इस पृथ्वी पर बनाया है? रॉबर्ट का यह संदेश लगता है कि अमेरिका के हवाई आइलैंड्स तक पहुंच चुका है, क्योंकि वहां उड़नतश्तरियों की लैंडिंग के लिए वाकई एक लैंडिंग पैड बनना शुरू हो गया है।
हालांकि, 'ओवनिपोर्ट' के निर्माण के तुरंत बाद कची के आस-पास के स्थानीय लोगों को जैसल नहीं दिखे। जैसल के पास एक बड़ी दाढ़ी थी और अक्सर पुरोहित नुमा पोशाक पहनते थे। यह अस्पष्ट है जहां उन्होंने यात्रा की, लेकिन कुछ स्थानीय लोगों ने मजाक किया कि उन्हें एलियंस द्वारा अपहरण कर लिया गया हो सकता है। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि वह वास्तव में बोलीविया चले गए। इसके साथ थ्योरी यह भी है कि वह स्विट्जरलैंड वापस चला गया। एलियंस के किस्से-कहानियां
आप ने उड़नतश्तरियों तथा उन के चालक यानी एलियंस के अनेक किस्से पढ़े-सुने होंगे। क्या ये किस्से सही और सच्चे हैं? पिछले वर्षों में इस सिलसिले में जो नए तथ्य सामने आए हैं, वे यही इशारा करते हैं कि उड़नतश्तरियों में बैठे एलियंस की कहानियां काफी हद तक हकीकत साबित हो रही हैं। यहां तक कि प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस ने एलियंस की सच्चाई को बयां किया था। लगता है कि अब कुछेक सालों में ही ये कथा कहानियां सच हो जाएंगी और हम इन एलियंस के सीधे संपर्क में होंगे। यह उन लोगों का कहना है जो विश्व की अंतरिक्ष एजेंसियों में काम करते हैं और चंद्रमा पर हो आए हैं या फिर बरसों अनुसंधान कर चुके विश्वविख्यात जर्नलिस्ट हैं। अमेरिका के तीन चौथाई नागरिक उड़नतश्तरियों के अस्तित्व के बारे में पूरी तरह आश्वस्त हैं। अब यह मुद्दा फिर गरमा गया है क्योंकि इन उड़नतश्तरियों के स्वागत की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। अमेरिका के रोजवेल इलाके में दिखी थी उड़नतश्तरियां
पिछली सदी के चौथे दशक में अमेरिका के रोजवेल इलाके में लोगों ने कई उड़नतश्तरियां उड़ती देखीं, जिन में से एक उड़नतश्तरी दुर्घटनावश पृथ्वी पर आ गिरी। इस का मलबा आधा मील तक फैला था, जिस में हर चीज अनजान किस्म की धातु की थी। उस पर कुछ अनजान किस्म के निशान व भाषा लिखी थी। इस बारे में नजदीकी एयरफोर्स यूनिट को सूचित करने से पहले कुछ मलबा स्थानीय लोगों ने उठा कर अपने पास रख लिया। इस के बाद सरकारी तंत्र ने सारा मलबा हटा कर अज्ञात स्थान पर भेज दिया, जिसमें कई शव भी थे। हालांकि शुरू में यह भी कहा गया कि एक यूएफओ यानी ‘अनआइडैंटिफाइड फ्लाइंग ओब्जेक्ट’ गिरा, पर बाद में इसे ‘वैदर बलून’ बताया गया। इस सरकारी तंत्र के कवरअप का कारण वहां के लोग आज भी नहीं समझ पाए हैं। रोजवेल में स्थापित यूएफओ म्यूजियम में आज भी आप एक एलियन का कंकाल तथा उस उड़नतश्तरी की कई चीजें देख सकते हैं। हालांकि रोजवेल घटना से पहले भी अनेक लोगों ने हजारों उड़नतश्तरियों को देखा और उन का वर्णन किया, लेकिन उन्हें करीब से नहीं देख पाए।कई और देशों में देखी गईं उड़नतश्तरियां
उड़नतश्तरियां रोजवेल घटना के बाद भी दुनिया के कई देशों में दिखीं। ‘फ्लाइंग सौसर्स ओवर ब्रिटेन’ पुस्तक के लेखक रॉबर्ट चैपमैन का कहना है कि फ्लाइंग सौसर्स की मौजूदगी तो सारी दुनिया को पता है क्योंकि फ्लाइंग सौसर्स को ऐक्समिंस्टर से ऐडलेड, ब्राइटन से बैंकाक और मैनचेस्टर से मेंफिज तक देखा गया। रॉबर्ट आगे लिखते हैं कि ये उड़नतश्तरियां न केवल पृथ्वी का पूरा हाल जानती हैं बल्कि हमारी मदद को भी तैयार हैं, मगर क्या हम ने आज तक किसी तरह उन्हें बताया कि हम उन का स्वागत करना चाहते हैं। क्या हम ने उन के पृथ्वी पर उतरने के लिए आज तक कोई लैंडिंग पैड इस पृथ्वी पर बनाया है? रॉबर्ट का यह संदेश लगता है कि अमेरिका के हवाई आइलैंड्स तक पहुंच चुका है, क्योंकि वहां उड़नतश्तरियों की लैंडिंग के लिए वाकई एक लैंडिंग पैड बनना शुरू हो गया है।