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फर्जी साइन कर खाते से निकले 4.82 लाख रुपये, वरिष्ठ पोस्टमास्टर पर लगा जुर्माना

एजेंट ने धोखे से पैसे निकलवाकर खुलवा दिया दूसरा खाता, उपभोक्ता आयोग ने कहा, वरिष्ठ पोस्ट मास्टर ने सेवा में कोताही की। बिल्डर पर भी लगा जुर्माना।

By Amit SinghEdited By: Updated: Mon, 27 Aug 2018 07:45 PM (IST)
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फर्जी साइन कर खाते से निकले 4.82 लाख रुपये, वरिष्ठ पोस्टमास्टर पर लगा जुर्माना
नई दिल्ली (सुशील गंभीर)। डाकघर में फर्जी हस्ताक्षर कर एक खाते से 4.82 लाख रुपये गायब कर दिए गए थे। खाता धारक ने एजेंट दंपती और डाकघर के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया था। साथ ही डाक उपभोक्ता फोरम में भी शिकायत दी और अपने पैसों की रिकवरी मांगी थी।

वर्ष 2007 में फोरम ने महिला के हक में फैसला सुनाया तो कृष्णा नगर स्थित मुख्य डाकघर के वरिष्ठ पोस्ट मास्टर ने फोरम के आदेश के खिलाफ उपभोक्ता आयोग में अपील कर दी थी। अब आयोग ने भी महिला के हक में फैसला सुनाते हुए वरिष्ठ पोस्ट मास्टर पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और 10 हजार रुपये केस खर्च के अदा करने को कहा।

इस मुआवजे में आरोपी एजेंट दंपती को भी अपना भाग देना होगा। आयोग ने वरिष्ठ पोस्ट मास्टर को आदेश दिया कि खाता धारक के पैसों पर मई 2004 से लेकर अप्रैल 2008 तक तीन हजार रुपये प्रतिमाह ब्याज भी दिया जाए।

पूर्वी अर्जुन नगर निवासी कमला अजमेरा ने अपनी शिकायत में कहा था कि उनके पति पीएल अजमेरा ने डाकघर में एमआइएस योजना के तहत 2002 में संयुक्त खाता खुलवाया था। इसमें 482500 रुपये जमा कराए थे। इस योजना का ब्याज हर माह एक आरडी खाते में जमा होता था। यह खाता एजेंट राजीव आर्य और उसकी पत्नी सारिका आर्य के माध्यम से खुलवाया था।

मार्च 2004 में जब वह ब्याज का पैसा लेने डाक घर गईं तो पता चला कि निकासी फार्म पर उनके फर्जी साइन करके पैसे निकाल लिए गए और दूसरा खाता खोलकर रुपये उसमें डाल दिए गए। कमला अजमेरा के अनुसार उन्होंने जिस योजना के तहत पैसा जमा किया था, उसकी समय अवधि अप्रैल 2008 तक थी। जब उन्हें अपने साथ हुई धोखाधड़ी का पता चला तो डाक विभाग के उच्च अधिकारियों और पुलिस को भी शिकायत दी।

पुलिस ने एजेंट दंपती व डाक विभाग के कुछ अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया। जांच में मिलीभगत कर पैसा मूल खाते से गायब करने का मामला सामने आया। डाक विभाग ने भी अपने अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की। वहीं आपराधिक मामला कोर्ट में विचाराधीन है। वहीं इस प्रकरण में जो आर्थिक नुकसान हुआ, उसकी रिकवरी की मांग की गई थी। उपभोक्ता फोरम ने जहां 5000 रुपये का जुर्माना लगाया था। वहीं उपभोक्ता आयोग ने इसे बढ़ाकर 50 हजार कर दिया, जबकि आयोग में फोरम के फैसले के खिलाफ वरिष्ठ पोस्ट मास्टर ने ही अपील दायर की थी।

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