इस थाने में सजा नहीं मिलेंगे खिलौने, झूले और किताबें, पूरे देश में होगी शुरूआत
बच्चों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए देश में खास तरह के पुलिस स्टेशन खोले जा रहे हैं, जहां बच्चों की पसंद और सुविधाओं को ध्यान में रखा जाएगा।
By Edited By: Updated: Tue, 28 Aug 2018 06:58 PM (IST)
नई दिल्ली/पलवल (जेएनएन)। पुलिस स्टेशन में खिलौने, झूले, किताबें, आकर्षक पेंटिंग और रंग-बिरंगी दीवारें। सुनने में ये थोड़ा अजीब लग रहा होगा। हालांकि ये सच होने जा रहा है। देश में एक खास तरह के पुलिस स्टेशन खोलने की शुरूआत होने जा रही है, जहां बच्चों की पसंद और सुविधाओं को ध्यान में रखा जाएगा। 31 अगस्त को हरियाणा के पलवल जिले में इस तरह के राज्य केे पहले थाने की शुरुआत होने जा रही है। इसके बाद देश के हर जिले में इस तरह का कम से कम एक थाना खोला जाएगा।
हरियाणा के पलवल में 31 अगस्त को राज्य का पहला बाल मित्र पुलिस स्टेशन खुलेगा। इसकी घोषणा मंगलवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश एके वर्मा ने की। बाल मित्र पुलिस स्टेशन, पलवल के महिला थाना परिसर में ही खोला जाएगा। इसका उद्घाटन हरियाणा व पंजाब उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस एके मित्तल करेंगे।
पूरे देश में खोले जाने हैं बाल मित्र पुलिस स्टेशन
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा देश के प्रत्येक जिले में कम से कम एक बाल मित्र पुलिस स्टेशन बनाने का निर्देश दिया गया है। न्यायाधीश वर्मा ने कहा कि हमारे पुलिस स्टेशन आज भी बाल अधिकारों के अनुकूल नहीं हैं। जब कोई बाल आरोपी या बाल पीड़ित पुलिस स्टेशन पहुंचता है तो वहां उसके मुताबिक माहौल नहीं होता है। पुलिस वाले भी मानसिक रूप से इसके लिये तैयार नहीं होते कि उन्हें बच्चों के साथ किस तरह पेश आना है और उन्हें पुलिस स्टेशन में कैसे रखना है। ऐसे में यह जरूरी है कि पुलिस स्टेशन को इस तरह बनाया जाए, जहां बच्चों को किसी तरह की दिक्कत न हो।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा देश के प्रत्येक जिले में कम से कम एक बाल मित्र पुलिस स्टेशन बनाने का निर्देश दिया गया है। न्यायाधीश वर्मा ने कहा कि हमारे पुलिस स्टेशन आज भी बाल अधिकारों के अनुकूल नहीं हैं। जब कोई बाल आरोपी या बाल पीड़ित पुलिस स्टेशन पहुंचता है तो वहां उसके मुताबिक माहौल नहीं होता है। पुलिस वाले भी मानसिक रूप से इसके लिये तैयार नहीं होते कि उन्हें बच्चों के साथ किस तरह पेश आना है और उन्हें पुलिस स्टेशन में कैसे रखना है। ऐसे में यह जरूरी है कि पुलिस स्टेशन को इस तरह बनाया जाए, जहां बच्चों को किसी तरह की दिक्कत न हो।
थाने में खिलौने व किताबों सहित होगी सारी सुविधा
बाल मित्रता थाने में बच्चों के लिये आवश्यक सुविधाएं होंगी तथा उनके लिए खिलौनों व पुस्तकों की व्यवस्था भी होगी। पुलिसकर्मियों को भी बाल अधिकारों को लेकर मानसिक तौर पर तैयार किया जाएगा और संवेदनशील बनाया जाएगा। बाल मित्र पुलिस स्टेशन को रंगीन और आकर्षक बाल कारागार के तौर पर विकसित किया जाएगा। पुलिस स्टेशन के बाल कारागार को गुलाबी रंग से पेंट किया जाएगा। अभी थानों से बाल सुधार गृह या संरक्षण गृह जाते हैं बच्चे
उन्होंने बताया कि किसी अपराध के मामले में पकड़े जाने पर 18 साल से कम उम्र के किशोरों एवं बच्चों को भी पहले पुलिस स्टेशन में ले जाया जाता है और बाद में सुधार गृह या किसी दूसरे संरक्षण गृह में भेजा जाता है। पलवल प्रदेश का पहला ऐसा जिला होगा, जहां चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन शुरू किया जा रहा है। इसका शुभारंभ 31 अगस्त को होगा तथा यह महिला पुलिस थाना परिसर में अलग से खोला जाएगा। यहां आरोपी बच्चों को अलग ही माहौल देखने को मिलेगा तथा ऐसे प्रयास किए जाएंगे के वे अपराध की दुनिया की तरफ न भागें।बच्चों के लिए पुलिस को हैं खास निर्देश
मालूम हो कि बाल संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध का शिकार होने वाले या अपराध करने वाले बच्चों के लिए पुलिस को खास दिशा-निर्देश दिए गए हैं। पुलिस ऐसे बच्चों से वर्दी में बात नहीं कर सकती। ऐसे बच्चों को सामान्य पुलिस थानों में नहीं रखा जा सकता। पुलिस इनसे किसी तरह की जोर-जबरदस्ती या मारपीट नहीं कर सकती है। पुलिस को इन बच्चों की पहचान गोपनीय रखनी होती है। अभी बच्चों से जुड़े मामले सामान्य थानों की पुलिस द्वारा ही हैंडल किए जाते हैं। ऐसे में दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन नहीं हो पाता है। इसलिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पूरे देश में बाल मित्र पुलिस स्टेशन खोलने के निर्देश जारी किए हैं। इसी तरह महिला थाने भी खुले थे
मालूम हो कि कुछ वर्ष पहले इसी तरह देश के प्रत्येक जिले में महिला थाने भी खोले गए थे। महिला थानों की प्रभारी किसी महिला पुलिस अधिकारी को ही बनाया जा सकता है। यहां का ज्यादातर महिला पुलिसकर्मी ही तैनात होती हैं। ये व्यवस्था इसलिए की गई थी ताकि महिलाएं बिना संकोच अपनी बात पुलिस के सामने रख सकें। इससे पहले किसी भी तरह के अपराध का शिकार होने वाली महिला को सामान्य थाने में जाने पड़ता था। सामान्य थानों में अमूमन पुरुष पुलिसकर्मी ही तैनात रहते हैं। ऐसे में मजबूरन महिलाओं को उन्हीं पुलिसकर्मियों को अपनी शिकायत बतानी पड़ती थी। इस वजह से कई बार महिलाएं थाने तक नहीं जाती थीं।
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उन्होंने बताया कि किसी अपराध के मामले में पकड़े जाने पर 18 साल से कम उम्र के किशोरों एवं बच्चों को भी पहले पुलिस स्टेशन में ले जाया जाता है और बाद में सुधार गृह या किसी दूसरे संरक्षण गृह में भेजा जाता है। पलवल प्रदेश का पहला ऐसा जिला होगा, जहां चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन शुरू किया जा रहा है। इसका शुभारंभ 31 अगस्त को होगा तथा यह महिला पुलिस थाना परिसर में अलग से खोला जाएगा। यहां आरोपी बच्चों को अलग ही माहौल देखने को मिलेगा तथा ऐसे प्रयास किए जाएंगे के वे अपराध की दुनिया की तरफ न भागें।बच्चों के लिए पुलिस को हैं खास निर्देश
मालूम हो कि बाल संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध का शिकार होने वाले या अपराध करने वाले बच्चों के लिए पुलिस को खास दिशा-निर्देश दिए गए हैं। पुलिस ऐसे बच्चों से वर्दी में बात नहीं कर सकती। ऐसे बच्चों को सामान्य पुलिस थानों में नहीं रखा जा सकता। पुलिस इनसे किसी तरह की जोर-जबरदस्ती या मारपीट नहीं कर सकती है। पुलिस को इन बच्चों की पहचान गोपनीय रखनी होती है। अभी बच्चों से जुड़े मामले सामान्य थानों की पुलिस द्वारा ही हैंडल किए जाते हैं। ऐसे में दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन नहीं हो पाता है। इसलिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पूरे देश में बाल मित्र पुलिस स्टेशन खोलने के निर्देश जारी किए हैं। इसी तरह महिला थाने भी खुले थे
मालूम हो कि कुछ वर्ष पहले इसी तरह देश के प्रत्येक जिले में महिला थाने भी खोले गए थे। महिला थानों की प्रभारी किसी महिला पुलिस अधिकारी को ही बनाया जा सकता है। यहां का ज्यादातर महिला पुलिसकर्मी ही तैनात होती हैं। ये व्यवस्था इसलिए की गई थी ताकि महिलाएं बिना संकोच अपनी बात पुलिस के सामने रख सकें। इससे पहले किसी भी तरह के अपराध का शिकार होने वाली महिला को सामान्य थाने में जाने पड़ता था। सामान्य थानों में अमूमन पुरुष पुलिसकर्मी ही तैनात रहते हैं। ऐसे में मजबूरन महिलाओं को उन्हीं पुलिसकर्मियों को अपनी शिकायत बतानी पड़ती थी। इस वजह से कई बार महिलाएं थाने तक नहीं जाती थीं।