दिल्ली के 32 विधायकों पर चल रहे आपराधिक केस, केजरीवाल सरकार को मिले 55.39 अंक
70 में से किसी भी विधायक ने गुणवत्ता परक मुद्दे नहीं उठाए। शिक्षा, जलापूर्ति, पर्यावरण और नागरिक सुविधाओं के प्रति अधिकांश विधायक उदासीन ही रहे हैं।
By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 29 Aug 2018 07:49 AM (IST)
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली के 32 विधायकों के खिलाफ इस समय आपराधिक मामले चल रहे हैं। इस संख्या में बीते तीन वर्षों के दौरान तेजी से वृद्धि हुई है। फरवरी 2015 में जब सरकार बनी तो शपथ पत्र के मुताबिक केवल नौ विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले थे, लेकिन दिसंबर 2017 तक इसमें लगभग चार गुना का इजाफा हो गया है।
गैर सरकारी संस्था प्रजा फाउंडेशन ने मंगलवार को प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान विधायकों का रिपोर्ट कार्ड जारी किया। इस रिपोर्ट कार्ड में 70 में से 58 विधायकों को शामिल किया गया, जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों, विधानसभा अध्यक्ष और दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड आदि के सदस्य विधायकों को इससे बाहर रखा गया है। फाउंडेशन ने लगातार तीसरे साल यह रिपोर्ट कार्ड जारी किया है।फाउंडेशन के निदेशक मिलिंद महस्के ने कहा कि दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी तो दिल्ली वासियों को उम्मीद जगी थी कि अब भ्रष्टाचार मुक्त शासन एवं प्रभावी और जवाबदेह सरकार मिल सकेगी, लेकिन बीते तीन साल में सरकार के प्रदर्शन के स्तर में गिरावट आई है। 2016 में जहां आप सरकार के कामकाज को 58.83 अंक मिले थे वहीं 2018 में यह घटकर 55.39 रह गए हैं। इसी तरह विधायकों के कामकाज को मिले अंक भी घट गए हैं। 2017 में यह 57.59 थे जबकि 2018 में 55.94 रह गए हैं। जनता के लिए विधायकों की उपलब्धता भी 64.91 फीसद से घटकर 50.38 फीसद रह गई है। हालांकि भ्रष्टाचार में 10 फीसद की कमी आई है।
इस रिपोर्ट कार्ड के अनुसार 70 में से किसी भी विधायक ने गुणवत्ता परक मुद्दे नहीं उठाए। शिक्षा, जलापूर्ति, पर्यावरण और नागरिक सुविधाओं के प्रति अधिकांश विधायक उदासीन ही रहे हैं। दो विधायकों देवेंद्र सिंह सहरावत और प्रोमिला टोकस ने 6 मार्च 2017 से 17 जनवरी 2018 के बीच एक भी मुद्दा या सवाल नहीं उठाया, जबकि 15 यानि 26 फीसद विधायकों ने पांच या उससे भी कम मुद्दे उठाए। छह विधायक ऐसे भी हैं जिन्होंने केवल एक ही बार विधान सभा में प्रश्न लगाया। जबकि इस दौरान भाजपा विधायक जगदीश प्रधान ने 92 सवाल और मुद्दे विधानसभा में उठाए।वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने बताया कि इस रिपोर्ट कार्ड के जरिए सारी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत जुटाई गई हैं। दिल्ली के 28,624 नागरिकों से बातचीत करके उनकी राय भी ली गई है। इस सर्वेक्षण के लिए हंसा रिसर्च की मदद ली गई। फाउंडेशन के संस्थापक और ट्रस्टी निताई मेहता ने बताया कि दिल्ली की आप सरकार के कार्यकाल में शिक्षा के क्षेत्र में अवश्य ही कुछ सुधार हुए हैं, लेकिन जनता की अपेक्षा अभी भी पूरी नहीं हो पाई है।
सबसे ऊपर तीन विधायकअच्छा काम करने में रिठाला से आप विधायक महेन्द्र गोयल प्रथम, शाहदरा नार्थ से भाजपा विधायक जगदीश प्रधान दूसरे और वजीरपुर से आप विधायक राजेश गुप्ता तीसरे स्थान पर रहे हैं। इन्हें क्रमश: 74.63 फीसद, 73.56 फीसद, 73.02 फीसद अंक मिले हैं। इसमें जगदीश प्रधान लगातार तीन सालों से शीर्ष तीन में अपनी जगह बनाए हुए है। उनके अंक वर्ष 2016 में 71.87 फीसद, वर्ष 2017 में 70.87 फीसद और वर्ष 2018 में 73.56 फीसद रहे हैं।
सबसे नीचे तीन विधायकरिपोर्ट कार्ड में बॉटम के तीन विधायकों में 58वें स्थान पर आरकेपुरम से विधायक प्रमिला टोकस सबसे पीछे हैं। उनसे पहले 57वें स्थान पर ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान हैं। वहीं, 56वें स्थान पर रोहताश नगर से विधायक सरिता सिंह को रखा गया है।
शिक्षा विभाग का हालशिक्षा विभाग में 2016-17 के दौरान सीबीएसई 10 वीं और 12वीं बोर्ड के परीक्षा परिणाम इसलिए नहीं बढ़ पाए, क्योंकि 43 फीसदी 9 वीं के छात्र और 26 फीसदी 11वीं के छात्र सरकारी स्कूल में फेल हो गए थे।
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