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क्या 2012-15 तक सिविल सेवा परीक्षा देने वालों को दोबारा मिलेगा मौका?

सीसैट के भेदभाव वाले प्रश्नपत्र के लागू होने से 2012 से 2015 तक कई प्रतियोगियों ने अवसर गंवाए हैं, इसके लिए उन्हें दो अतिरिक्त अवसर का लाभ मिलना चाहिए।

By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 31 Aug 2018 08:04 AM (IST)
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क्या 2012-15 तक सिविल सेवा परीक्षा देने वालों को दोबारा मिलेगा मौका?
नई दिल्ली (जेएनएन)। वर्ष 2012 से 2015 तक सिविल सेवा परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने केंद्र सरकार से अतिरिक्त मौका देने की मांग की है। उनका कहना है कि इस दौरान अचानक परीक्षा प्रारूप में बदलाव किया गया था, जिससे उन्हें कठिनाई हुई। इसकी भरपाई के लिए अवसर दिए जाएं। इस संबंध में अभ्यर्थियों ने बीते दिनों जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया था। बुधवार को इन अभ्यर्थियों ने बयान जारी कर कहा कि अतिरिक्त मौका न दिए जाने पर वे आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।

अभ्यर्थी नीरज प्रताप का कहना है कि आरंभिक परीक्षा में सीसैट के भेदभाव वाले प्रश्नपत्र के लागू होने से 2012 से 2015 तक कई प्रतियोगियों ने अवसर गंवाए हैं और इसके लिए उन्हें दो अतिरिक्त अवसर का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीसैट को प्रारूप में शामिल की करने के बाद हिंदी, क्षेत्रीय भाषा और मानविकी पृष्ठभूमि वाले प्रतियोगियों का प्रतिशत तेजी से घटा है और इसकी पुष्टि स्वयं संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) भी कर चुका है।

सर्टिफिकेट कोर्स भी सीबीसीएस के तहत पढ़ाए जाएंगे

डीयू में सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कोर्स को सीबीसीएस के अंतर्गत पढ़ाना होगा। अब नॉन कॉलेजिएट वूमेन एजुकेशन बोर्ड (एनसीवेब) और एसओएल में पढ़ाए जाने वाले इन दोनों कोर्स को सीबीसीएस के तहत पढ़ाया जाएगा। बुधवार को डीयू की स्थायी समिति की बैठक में इसे मंजूरी दी गई। इस बारे में स्थायी समिति के सदस्य प्रो. हंसराज सुमन ने बताया कि हर विश्वविद्यालय को यूजीसी की नैक (एनएएसी) से मान्यता लेनी है तो विश्वविद्यालय को स्नातक और पीजी पाठ्यक्रमों के साथ सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कोर्स में भी सीबीसीएस नियम को लागू करना होगा। बुधवार को स्थायी समिति की बैठक में यूजीसी के सीबीसीएस नियम के तहत एसओएल और एनसीवेब एवं अन्य सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स को इसके तहत पढ़ाने की मंजूरी दी गई।

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