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कभी पूरे चिड़ियाघर में बहता था यमुना का पानी

किशन कुमार, नई दिल्ली लाल किला में राजा महाराजाओं के कमरों को ठंडा करने के लिए पहले यम

By JagranEdited By: Updated: Thu, 30 Aug 2018 10:39 PM (IST)
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कभी पूरे चिड़ियाघर में बहता था यमुना का पानी

किशन कुमार, नई दिल्ली

लाल किला में राजा महाराजाओं के कमरों को ठंडा करने के लिए पहले यमुना का पानी चढ़ाया जाता था। इसके बाद पानी छोटी नालियों के जरिये पूरे परिसर में बहकर किला को ठंडा करता था। वर्ष 1959 में जब दिल्ली में चिड़ियाघर बना था तब यही व्यवस्था ओपन मोट के जरिये वन्यजीवों के लिए की गई थी।

उस समय इसमें ओपन मोट बनाई गई थी। इसके माध्यम से यमुना का पानी अमूमन सभी जानवरों के बाड़ों में छोड़ा जाता था, जिससे उन्हें गर्मी के दिनों में राहत मिल सके। उस दौर में यह ओपन मोट वाला देश का पहला चिड़ियाघर था। बाद में सभी चिड़ियाघर में ओपन मोट का निर्माण होने लगा। चिड़ियाघर के प्रवक्ता रियाज खान ने बताया कि जिस समय चिड़ियाघर का निर्माण हो रहा था तब 10 सदस्यों की टीम इसकी पूरी परियोजना पर काम कर रही थी। इसमें इस चिड़ियाघर में ओपन मोट बनाने पर सहमति बनी थी। इसके बाद इसके निर्माण की जिम्मेदारी श्रीलंका स्थित कोलंबो के चिड़ियाघर निदेशक मेजर वेनमैन व जर्मनी के कार्ल हेजनबैक को दी गई थी। इन्हीं की देखरेख में ओपन मोट का निर्माण हुआ था। चिड़ियाघर को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि इसमें यमुना का पानी आसानी से ओपन मोट के जरिये आ सके। इससे यमुना का पानी पूरे चिड़ियाघर में बहता था। वन्यजीवों के बाड़े से होते हुए यमुना का पानी चिड़ियाघर में पंप हाउस के पास इकट्ठा हो जाता था। इसके बाद इस पानी को मोटर पंप की मदद से वापस यमुना में डाल दिया जाता था, लेकिन 1990 के बाद से इसे कुछ बाड़ों तक ही सीमित कर दिया गया। अब सिर्फ उन्हीं बाड़ों में पानी छोड़ा जाता है जहां इसकी ज्यादा जरूरत होती है। इसके अलावा बगीचों की सिंचाई के लिए यमुना के पानी का इस्तेमाल किया जाता है।

क्या होती है ओपन मोट

ओपन मोट एक तरह से खुली खाई होती है। यह हर जानवर के बाड़े में भी आगे की तरफ बनाई जाती है, जिसमें आसानी से पानी भर सके। यह एक छोटी नहर की तरह होती है जिसमें पानी का बहाव होता है।

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