जानिये- संगीतकार विशाल को क्यों मांगनी पड़ी थी जैन मुनि तरुण सागर से माफी
रुण सागर महाराज अपने कड़वे प्रवचनों के लिए जाने जाते थे। इनके कड़वे प्रवचनों का टीवी पर प्रसारण भी होता था। वे अपने प्रवचनों में कही बातों को लेकर विवादों में रहे थे।
नई दिल्ली [जेएनएन]। तरुण सागर महाराज अपने कड़वे प्रवचनों के लिए जाने जाते थे। इनके कड़वे प्रवचनों का टीवी पर प्रसारण भी होता था। वे अपने प्रवचनों में कही बातों को लेकर विवादों में रहे थे। एक समय उन्होंने सरकार से दो बच्चों का नियम लागू करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि दो से ज्यादा बच्चों वाले हर व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा था कि यह नीति सभी जातियों और धर्मों के लोगों पर लागू होनी चाहिए।
विशाल को मांगनी पड़ी थी माफी
इसके अलावा, हरियाणा विधानसभा में उनके प्रवचन पर काफी विवाद हुआ था। इसको लेकर बॉलीवुड के नामी संगीतकार विशाल ददलानी की टिप्पणी पर बवाल हुआ था, हालांकि, तब विशाल को माफी मांगनी पड़ी थी। तब विशाल आम आदमी पार्टी से जुड़े थे ऐसे में विवाद ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया था।
जैन मुनि तरुण सागर का निधन
यहां पर बता दें कि अपने कड़वे प्रवचनों के लिए जाने जाने वाले जैन मुनि तरुण सागर का शनिवार को दिल्ली में निधन हो गया। उन्हें यूपी के मुरादनगर में समाधि दी जाएगी। जैन मुनि गंभीर बीमारी से पीड़ित थे, जिसके इलाज के लिए वह वैशाली के मैक्स अस्पताल में कई दिनों तक भर्ती रहे। गत बृहस्पतिवार को अस्पताल से छुट्टी के बाद उन्हें कृष्णा नगर के राधेपुरी स्थित चातुर्मास स्थल पर लाया गया था। यहां पर जैन मुनि का पहले से ही चातुर्मास कार्यक्रम तय था। यहां पर वह लगातार डॉक्टरों की निगरानी में थे।
तरुण सागर के प्रवास स्थल पर उनके दर्शन के लिए देशभर से श्रद्धालु आने लगे थे। उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए जगह-जगह प्रार्थना की जा रही थी, जिस कमरे में उन्हें रखा गया था वहां पर केवल अन्य जैन मुनियों व शिष्यों को जाने की ही इजाजत थी। शुक्रवार को प्रवास स्थल के बाहर जुटे सैकड़ों श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए तरुण सागर चार बार मकान की बालकनी में आए थे और फिर अंदर चले गए थे।
बिना दीक्षा के नहीं जीना चाहता
शुक्रवार को उन्होंने खाना पीना छोड़ दिया था, जब यह सूचना अन्य जैन मुनियों को लगी तो वह राधेपुरी पहुंचे और उन्होंने तरुण महाराज को समझाया कि अभी समाज को उनकी जरूरत है। वह इस तरह का फैसला अभी न लें। जैन मुनियों के समझाने पर उन्होंने थोड़ा बहुत खाना खाया था। गत 29 अगस्त को तरुण सागर द्वारा लिखा गया एक पत्र भी सामने आया था, जिसमें उन्होंने अपनी इच्छा जाहिर की थी कि मैं बिना दीक्षा के नहीं जीना चाहता, अत: सभी मुझे जैन मुनि गुप्ति सागर के पास ले चलें, वही मेरा आगे का जीवन देखें, समाधि दें।
आयुर्वेदिक तरीके से चल रहा था इलाज
तरुण सागर के शिष्य ब्रह्माचारी सतीश ने जानकारी दी थी कि तरुण सागर तेज बुखार और पीलिया की बीमारी से पीड़ित थे। पीलिया उन्हें काफी ज्यादा था।
'कड़वे प्रवचन' नाम से पुस्तक
मुनि तरुण सागर का असली नाम पवन कुमार जैन था। उनका जन्म मध्य प्रदेश के दमोह में 26 जून, 1967 को हुआ था, 1981 में उन्होंने घर छोड़ दिया और दीक्षा ली थी। जैन मुनि तरुण सागर अपने प्रवचनों के लिए काफी मशहूर रहे थे। वे मध्यप्रदेश और हरियाणा विधानसभा में प्रवचन भी कर चुके थे। उनके बारे में कहा जाता है कि वो कड़वे प्रवचन करते थे। उनकी 'कड़वे प्रवचन' नाम से पुस्तक भी है।