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मरीजों को नकली दवा बेचने वाले तीन धरे

मध्य जिला के चांदनी महल थाना पुलिस ने एक ऐसे गिरोह के तीन ठगों को गिरफ्तार किया है, जो आयुर्वेदिक दवाओं से असाध्य रोग जैसे एड्स, कैंसर व हृदय की बीमारियों के गारंटी इलाज का दावा कर ठगी करते थे।

By JagranEdited By: Updated: Fri, 31 Aug 2018 08:55 PM (IST)
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मरीजों को नकली दवा बेचने वाले तीन धरे

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : मध्य जिला के चांदनी महल थाना पुलिस ने एक ऐसे गिरोह के तीन ठगों को गिरफ्तार किया है, जो आयुर्वेदिक दवाओं से असाध्य रोग जैसे एड्स, कैंसर व हृदय की बीमारियों के गारंटी इलाज का दावा कर ठगी करते थे। दवा खाने के कोर्स की समय सीमा अधिकतम चार महीने तक बताया जाता था। चार महीने के दवाओं की कीमत 35,000 से सात लाख रुपये तक वसूलते थे। बीमारी ठीक न होने पर ठग पूरे पैसे वापस करने का दावा करते थे, लेकिन आरोपित तीन महीने से पहले अपनी दुकान कम क्लीनिक बंद कर चंपत हो जाते थे।

डीसीपी मध्य जिला मंदीप सिंह रंधावा के मुताबिक, गिरफ्तार किए ठगों के नाम मुजामिल, रवि यलप्पा शेट्टी व मनोज गोविंद शिरके हैं। तीनों कर्नाटक के अलग-अलग जिले के रहने वाले हैं। इनमें मुजामिल खुद को डॉक्टर व मनोज खुद को आयुर्वेदिक भंडार कम दुकान का मालिक बताता था। रवि यलप्पा मरीजों और उनके तीमारदारों को दवाओं की विशेषताएं बताकर उन्हें झांसे में लेता था। उसे लोगों का ब्रेनवाश करने में महारत हासिल है। उसके खिलाफ हैदराबाद व तेलंगाना में इसी तरह ठगी करने के दो और मामले दर्ज हैं। वहां की पुलिस भी उसे तलाश रही थी।

पुलिस ने साइनाम आयुर्वेदिक भंडार, वर्धमान प्लाजा, आसफ अली रोड पर छापा मारकर स्टील के सात बक्से जिनमें अलग-अलग रंगों के भस्म थे, 1.10 लाख नकदी, ठगी करने में इस्तेमाल चार मोबाइल फोन, पीड़ित के 43,000 रुपये के चेक, तीन कैश मेमो और तीन चेकबुक बरामद किए हैं। दिल्ली में पिछले 20 दिनों में आरोपित 34 लोगों से लाखों रुपये की ठगी कर चुके थे। जांच में पता चला है कि गिरोह असाध्य बीमारियों को ठीक करने का दावा कर मरीजों के तीमारदारों से ठगी करता था। दिल्ली से पहले सूरत, वडोदरा, पुणे व इंदौर में भी आरोपित बड़ी संख्या में लोगों से ठगी कर चुके हैं। किसी बड़े शहर में जाकर ये लोग सबसे पहले घनी आबादी व बड़े सरकारी अस्पतालों के आसपास वाले इलाके में क्लीनिक कम दुकान खोलने के लिए मकान किराये पर लेते थे। मकान मालिकों को बिना कोई दस्तावेज सौंपे अधिक किराया देकर आयुर्वेदिक भंडार नाम से दुकान खोल लेते थे। इसके बाद ये अपने एजेंटों के जरिये लोगों को झांसे में लेते थे। ये अपने एजेंट को बड़े अस्पतालों, मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे के पास भेजकर लोगो को शिकार बनाते थे। बीमार लोगों के तीमारदारों को झांसे में लेने के बाद एजेंट उन्हें दुकान पर ले आते थे। वहां तीनों आरोपित उन्हें अपना शिकार बना लेते थे। दिल्ली में भी दुकान खोलने के बाद आरोपित अपने एजेंटों को एम्स, गंगाराम, मैक्स अस्पताल, मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे के पास भेज देते थे। वे जरूरतमंदों को ढूंढकर उन्हें दुकान पर लेकर आते थे।

सरोजनी नगर निवासी ललित मंडल ने 28 अगस्त को चांदनी महल थाने में मुकदमा दर्ज कराकर कहा कि उनका डेढ़ साल का बेटा शिवम जन्म से ही पीलिया की बीमारी से पीड़ित है। वह एम्स में उसका इलाज करा रहे थे। दो लाख रुपये खर्च होने के बावजूद उसके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ। एम्स के बाहर एक दवा की दुकान पर उनकी मुलाकात अर्जुन नाम के युवक से हुई थी। वह उन्हें गारंटी इलाज का दावा कर वर्धमान प्लाजा, आसफ अली रोड स्थित आरोपितों की दुकान पर ले आए थे। वहां मुजामिल ने डॉक्टर बनकर उनके बेटे की जांच की और स्टील के बक्से में एक भस्म दिया। उसने ललित मंडल से कहा कि चार महीने तक दवा चलेगी, इसके लिए उनसे 65000 रुपये मांगे। ललित ने 30 हजार नकद और 35 हजार के चेक देकर दवा खरीद ली। घर जाने पर उन्होंने अपनी पत्‍‌नी को इस बारे में जानकारी दी। महंगी दवा होने पर पत्‍‌नी को शक हो गया था। कुछ दिनों तक दवा खिलाने पर जब कोई असर नहीं हुआ, तब ललित ने मुकदमा दर्ज करवा दिया। 30 अगस्त को पुलिस टीम ने तीनों को दुकान पर जाकर दबोच लिया। जांच से पता चला कि तीनों आरोपित मरीजों की माली हालत को देखकर उसके अनुसार ठगी करते थे। तीन से चार महीने की दवा देकर कई लोगों से ठगी करने के बाद ये लोग तीन महीने से पहले दुकान बंद कर भाग जाते थे।

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