24th Delhi Book Fair: वीकेंड पर हो सकता है पुस्तक प्रेमियों की संख्या में इजाफा
25 अगस्त को उद्घाटन के पहले ही दिन पुस्तक मेले में में भारी तादाद में पुस्तक प्रेमी पहुंचे थे, लेकिन बाद में इनकी संख्या में गिरावट आई थी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित प्रगति मैदान में 25 अगस्त से शुरू हुए 24वें दिल्ली बुक फेयर (24th Delhi Book Fair) में महज दो दिन शेष हैं। ऐसे में यहां पर स्टॉल लगाने वाले प्रकाशकों को उम्मीद है कि वीकेंड (शनिवार-रविवार) पर पुस्तक प्रेमी बड़ी संख्या दिल्ली पुस्तक मेले में आ सकते हैं। पुस्तक मेेले में इस बार प्रवेश मुफ्त है, इसलिए अधिक लोगों के आने की आशा की जा रही है।
बता दें कि 25 अगस्त को उद्घाटन के पहले ही दिन पुस्तक मेले में में भारी तादाद में पुस्तक प्रेमी पहुंचे थे, लेकिन बाद में इनकी संख्या में गिरावट आई थी। बता दें कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने बुक फेयर का उद्घाटन किया था। दरअसल, बुक फेयर किताब पढ़ने के शौकीन लोगों के बेहद खास है। इसलिए दिल्ली बुक फेयर का पुस्तक प्रेमियों को सालभर से इंतजार रहता है।
इस बार पुस्तक मेले में कई नए प्रकाशकों ने हिस्सा लिया है। आयोजकों से मिली जानकारी के मुताबिक, मेले में 120 प्रकाशकों ने 300 स्टाल लगाए हैं। इस बार बुक फेयर सिर्फ एक हॉल में ही लगा है। साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, नेशनल सेंटर फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) और नेशनल बुक ट्रस्ट (NBT) के स्टॉल पर पाठकों का जमावड़ा लगा हुआ था। बता दें कि दिल्ली बुक फेयर में पहली बार आए पोरट्रॉनिक्स डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड और टोम्बो पोरट्रॉनिक्स डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड ने नए प्रकार के गैजेट्स लाए हैं।
दिल्ली पुस्तक मेले में भी छाए हैं अटल
24वें दिल्ली पुस्तक मेले में भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी छाए हुए हैं। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन प्रकाशन विभाग का स्टॉल उनको ही समर्पित किया गया है।
प्रगति मैदान के हॉल नं. सात में लगे इस स्टॉल की ओर पाठक अनायास ही आकर्षित हो जाते हैं। प्रवेश द्वार पर ही उनकी तस्वीर और उनकी किताबों के कवर के साथ उनकी लिखी अमर पंक्तियां .मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं. बरबस ही वहां पर कुछ देर रुकने और स्टॉल के भीतर जाने पर मजबूर कर देती हैं। यहां उनके भाषणों का संकलन अंग्रेजी और हिन्दी में छह खंडों में उपलब्ध हैं। इसके अलावा उनकी लिखी कुछ किताबें 'नए विश्व की ओर' तथा 'विकसित अर्थव्यवस्था की ओर' भी मिल रही हैं।
स्टॉल प्रभारी दिनेश तंवर ने बताया कि अटल जी भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी रचनाओं और भाषणों को खूब पसंद किया जा रहा है। काफी पाठक तो उनकी आत्मकथा की भी मांग कर रहे हैं। एक खरीदार सोनिया ने कहा कि अटल जी के बोलने में ही नहीं, उनके लिखे शब्दों में भी एक अजीब सी कशिश है। चित्रकला प्रतियोगिता में बिखरे प्रतिभा के रंग
हॉल नं. सात में ही बृहस्पतिवार को स्कूली बच्चों के लिए एक चित्रकला प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता में दिल्ली सरकार के 550 स्कूली बच्चों ने हिस्सा लिया। भारतीय प्रकाशक संघ के कोषाध्यक्ष नवीन गुप्ता ने बताया कि पहले जहां प्रथम, द्वितीय और तृतीय के अलावा 10 सांत्वना पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया था, बाद में बच्चों की प्रतिभा देख इसे 25 कर दिया गया।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने बृहस्पतिवार को पुस्तक मेले में प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित 'स्वतंत्रता आंदोलन, कला एवं संस्कृति' पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी और सस्ता साहित्य मंडल की सचिव डॉ. रीता रानी पालीवाल सहित अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे। श्रेष्ठ पुस्तक प्रकाशन के लिए दिए गए 135 पुरस्कार
अमित खरे ने कहा कि पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई नीति को जल्द गति मिलेगी। इसके लिए राष्ट्रीय बुक प्रमोशन काउंसिल की पहली बैठक 11 सितंबर को होने जा रही है। इसमें पुस्तक प्रोत्साहन से संबंधित कई अहम निर्णय लिए जाएंगे।
खरे बृहस्पतिवार को प्रगति मैदान में चल रहे 24वें दिल्ली पुस्तक मेले के तहत श्रेष्ठ पुस्तक प्रकाशन के पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस पुस्तक मेले के लगातार 24 वर्षो से आयोजन को लेकर भारतीय प्रकाशक संघ (एफआइपी) की पीठ भी थपथपाई।
उन्होंने कहा कि बिना किसी सरकारी अनुदान के भारतीय व्यापार संवर्द्धन परिषद (आइटीपीओ) के सहयोग से हर साल ऐसा आयोजन करना वाकई सराहनीय है। इस अवसर पर खरे ने हिंदी-अंग्रेजी सहित अन्य भारतीय भाषाओं में श्रेष्ठ पुस्तक प्रकाशक के लिए 135 पुरस्कार प्रदान किए। एफआइपी के कोषाध्यक्ष नवीन गुप्ता ने बताया कि इस श्रेणी में पुरस्कार के लिए देश भर से विभिन्न भारतीय भाषाओं के 90 प्रकाशकों ने कुल 1326 पुस्तकें भेजी थीं। इनमें से 68 प्रकाशकों और 135 पुस्तकों का चयन किया गया।