एक कमरे से कम हो सकती हैं दिल्ली की मुश्किलें, पीएम मोदी व केजरीवाल तक नहीं पहुंची ये बात
नईम का कहना है कि अगर सरकार द्वारा पैसा खर्च किए जाने के बाद भी उनका शोध देश और पर्यावरण के हित में नहीं हुआ तो वे दिल्ली की सड़कों पर झाड़ू लगाकर सरकार का पैसा चुकाएंगे।
नई दिल्ली [जेएनएन]। सुंदर नगरी के रहने वाले नईम वहाब पिछले 10 वर्षों से बगैर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए ज्वलंत समस्याओं का समाधान खोजने में जुटे हुए हैं। इस क्रम में उन्होंने कई शोध कार्य किए हैं लेकिन उन्हें कहीं से भी सरकारी मदद नहीं मिल पा रही है। कहीं ऐसा न हो कि सरकारी मदद के अभाव में उनका वर्षों का शोध कार्य उनके 10 बाई 10 के कमरे में ही दम तोड़ दे और इसका लाभ समाज को न मिल पाए।
गैस चैंबर बन चुकी है दिल्ली
राजधानी दिल्ली एक तरह से गैस चैंबर बन चुकी है। लोगों का स्वच्छ हवा में सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है। नईम ने अपने शोध से पानी की छोटी बोतल के बराबर एक एयर प्यूरिफायर तैयार किया है। इसे कहीं भी आसानी से लेकर जाया जा सकता है। इस प्यूरिफायर के जरिए एक व्यक्ति आसानी से प्रदूषित वातावरण में भी स्वच्छ हवा में सांस ले सकता है।
लोगों का काफी लाभ मिलेगा
नईम ने बताया कि दिल्ली में बड़ी संख्या में अस्थमा के मरीज हैं। उन्हें खुद भी सांस की समस्या है। नईम ने एक ऐसी मशीन (यंत्र) तैयार की है जिसके जरिए प्रदूषित हवा को बहुत हद तक स्वच्छ बनाया जा सकता है। नईम ने बताया कि इस यंत्र का उपयोग उन्होंने खुद करके देखा है। प्रदूषित हवा के कारण उन्हें सांस लेने में बहुत समस्या होती थी, जब उन्होंने अपने प्यूरिफायर का इस्तेमाल किया तो उन्हें काफी राहत मिली। इस प्यूरिफायर को तैयार करने में अधिक खर्च नहीं आता है। नईम कहते हैं कि अगर उनका यह शोध अमल में लाया जाता है तो लोगों का काफी लाभ मिलेगा।
मच्छरों का प्रजनन रोकने में हासिल की कामयाबी
नईम ने बताया कि वर्ष 2008 में बॉयो टेक्नोलॉजी से एमएससी पास की। इसके बाद अर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से आगे की पढ़ाई नहीं कर सके। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज से मच्छरों के प्रजनन की प्रकिया पर तीन साल तक शोध किया, लेकिन इसके बाद उन्हें कोई भी शोध कार्य नहीं मिला। उन्होंने बताया कि इसके बाद भी उन्होंने इस पर शोध जारी रखा और अपने घर के ही 10 बाई 10 के एक कमरे में प्राकृतिक तरीके से मच्छरों का प्रजनन रोकने में कामयाबी हासिल की। उनके अनुसार सभी शोध में उन्हें 90 प्रतिशत तक सफलता मिल चुकी है। उन्होंने कई सरकारी एजेंसियों को अपना शोध जमा करवाया हुआ है लेकिन कहीं से अभी इसके लिए मदद नहीं मिली है।
सड़कों पर झाड़ू लगाकर सरकार का पैसा चुकाएंगे
नईम ने बताया कि विदेश में उनके लिए संभावनाएं हैं लेकिन वह दूसरे देश में जाकर शोध नहीं करना चाहते हैं। नईम ने अपने शोध को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक पहुंचने की बहुत कोशिश की लेकिन वह नाकामयाब रहे। उनका कहना है कि अगर सरकार द्वारा पैसा खर्च किए जाने के बाद भी यदि उनका शोध देश और पर्यावरण के हित में नहीं हुआ तो वे दिल्ली की सड़कों पर झाड़ू लगाकर सरकार का पैसा चुकाएंगे।
...तो रुक जाएगी पानी की बर्बादी
नईम ने बताया कि एक लीटर डिस्टिल वाटर तैयार करने में लगभग 80 लीटर पानी बर्बाद होता है। देश में डिस्टिल वाटर तैयार करने में रोज लाखों लीटर पानी की बर्बादी होती है। उन्होंने एक ऐसा प्लांट तैयार किया है जिससे डिस्टिल वाटर तैयार करने में एक बूंद भी पानी बर्बाद नहीं होगा।