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खत्म होने के बजाय लगता ही गया कूड़े का अंबार

गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कूड़े के पहाड़ गिरने की घटना के बाद भी स्थिति में सुधार आने के बजाय स्थिति और बिगड़ी है। पहले की तुलना में कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई बढ़ी ही है। इस एक साल में कूड़े के पहाड़ को खत्म करने के लिए तमाम योजनाएं बनाई गईं लेकिन कोई भी धरातल पर उतर नहीं पाया है। यहां यह गौरतलब है कि कचरे

By JagranEdited By: Updated: Sat, 01 Sep 2018 09:41 PM (IST)
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खत्म होने के बजाय लगता ही गया कूड़े का अंबार

फोटो फाइल 01 ईएनडी 104 समस्या

- रानी खेड़ा, घोंडा व सोनिया विहार में नहीं बन पाई लैंडफिल साइट

- बनीं कई योजनाएं लेकिन नहीं ले सकीं मूर्त रूप जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कूड़े के पहाड़ गिरने की घटना के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं है। पहले की तुलना में कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई बढ़ी ही है। इस एक साल में कूड़े के पहाड़ को खत्म करने के लिए तमाम योजनाएं बनाई गई लेकिन धरातल पर उतर नहीं पाई हैं।

गौरतलब है कि कचरे के पहाड़ के गिरने और दो लोगों की मौत का मामला अपनी तरह का पहला था। जिस तरह पहाड़ी इलाकों में भू-स्खलन की घटना होती है उसी तरह यहां कचरा भारी मात्रा में गिरा जिससे राह चलते दो लोग इसकी चपेट में आ गए और उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद यहां कूड़ा डालने पर पाबंदी लगा दी गई लेकिन दिल्ली में किसी और जगह कूड़ा डालने की स्थिति बन ही नहीं पाई। रानी खेड़ा सहित घोंडा और सोनिया विहार में लैंडफिल साइट बनाने की बात चली लेकिन विरोध की वजह से लैंडफिल साइट नहीं बन पाई। कूड़े का इस्तेमाल एनएच-नौ (पूर्व में एनएच-24) के भराव में इस्तेमाल होने के लिए समझौता प्रपत्र पर हस्ताक्षर करने से लेकर कई शोध हुए लेकिन अंतत: इस योजना ने भी दम तोड़ दिया। कचरे से बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाने की भी बात हुई लेकिन यह योजना भी अभी अधर में है। इसका नतीजा यह हुआ कूड़ा अब भी गाजीपुर में जा रहा है। हाल में एक कंपनी ने कचरे से बिजली, पानी व ईंधन बनाने का दावा करते हुए तीन एकड़ जगह ली है लेकिन कितनी सफलता मिलती है यह देखने वाली बात होगी।

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त डॉ. रणबीर ¨सह कहते हैं कि इस हादसे से पहले से ही वैकल्पिक लैंडफिल साइट के लिए प्रयास किए रहे हैं। हादसे के बाद कई और विकल्पों पर तेजी से काम हुआ लेकिन कहीं जगह ही नहीं मिली। फिर भी वैज्ञानिक तरीके से इस कूड़े का निपटान हो सके, इसके लिए कचरे से बिजली उत्पादन की क्षमता बढ़ाने और एक अन्य कंपनी को इसके निपटान के लिए जगह देने का कार्य किया गया है। यहां नालों से निकली गाद डालने पर लगा प्रतिबंध अब भी जारी है।

-------------- गाजीपुर लैंडफिल साइट का क्षेत्रफल-27 एकड़

रोजाना कूड़ा जाता है- 2600 मीट्रिक टन

कूड़ा पड़ा है- एक लाख 30 हजार मीट्रिक टन

गाजीपुर लैंडफिल साइट की ऊंचाई की क्षमता- 25 मीटर

कूड़े के पहाड़ की वर्तमान ऊंचाई-62 मीटर

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