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सरकार की लापरवाही से दिल्ली के सरकारी स्कूलों पर आने वाली है नई आफत

मिड-डे मील आपूर्ति कर रही संस्थाओं का कार्यकाल सात सितंबर को खत्म हो रहा। नई संस्थाओं के चयन के लिए अभी तक निविदा प्रक्रिया शुरू भी नहीं हुई है।

By Edited By: Updated: Tue, 04 Sep 2018 07:43 AM (IST)
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सरकार की लापरवाही से दिल्ली के सरकारी स्कूलों पर आने वाली है नई आफत
नई दिल्ली (जेएनएन)। पूर्वी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में अगले सप्ताह से एक नई आफत आने वाली है। इसकी वजह कोई और नहीं बल्कि खुद दिल्ली सरकार है। उसकी लापरवाही की वजह से इन स्कूलों में बंट रहे मिड डे मिल योजना पर संकट मंडराने लगा है।

दरअसल पूर्वी दिल्ली नगर क्षेत्र के स्कूलों में मिड-डे मील की आपूर्ति करने वाली संस्थाओं का कार्यकाल सात सितंबर को खत्म हो रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आठ सितंबर से इन स्कूलों में मिड-डे मील की आपूर्ति कौन करेगा। सरकार ने नई संस्थाओं के चयन के लिए अभी तक निविदा प्रक्रिया शुरू नहीं की है। मौजूद संस्थाओं का कार्यकाल भी अभी नहीं बढ़ाया गया है। इस सवाल का किसी के पास भी सही जवाब नहीं है।

नई संस्थाओं को ठेका देने के लिए निविदा प्रक्रिया चार-पांच माह पूर्व ही शुरू कर देनी चाहिए थी। इससे वर्तमान संस्थाओं के कार्यकाल समाप्त होते ही नई संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी संभाल लेतीं। ऐसा नहीं किया गया। बताया जाता है कि इसके पीछे अधिकारियों की यह मंशा रही कि कि वर्तमान संस्थाओं के कार्यकाल को ही और दो वर्षों के लिए बढ़ा दिया जाए। अड़चन यह हो गई कि निगम के कुछ नेता इसके लिए राजी नहीं हुए और अधिकारियों की मंशा पूरी नहीं हो पाई।

पूर्वी दिल्ली के महापौर बिपिन बिहार सिंह के अनुसार मिड डे मील के बारे में शिक्षा समिति और स्थायी समिति को फैसला लेना है। बच्चों का हित सर्वोपरि है। इसे लेकर शीघ्र निर्णय ले लिया जाएगा, जिससे कि बच्चों को दिक्कत न हो।

पूर्वी निगम शिक्षा समिति के चेयरमैन राजकुमार बल्लन के अनुसार मिड डे मील को लेकर उठाई गई आपत्तियों के जवाब आ गए हैं। आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए और बच्चों की जरूरतों को देखते हुए अधिकारियों को शीघ्र फैसला लेना चाहिए जिससे कि आठ सितंबर से मिड डे मील की आपूर्ति बंद न हो। इसके साथ ही भोजन की गुणवत्ता में समझौता नहीं होने दिया जाएगा।

पूर्वी निगम स्थायी समिति के चेयरमैन सत्यपाल सिंह का कहना है कि मिड-डे मील की निविदा की फाइल अधिकारियों की लापरवाही के कारण रुकी है। इसका खामियाजा बच्चों को भुगतने नहीं दिया जाएगा। मिड-डे मील की आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी और तब तक वर्तमान संस्थाओं को ही आपूर्ति के लिए कहा जाएगा।

अब छूट रहे पसीने
पहले तो निगम अधिकारियों ने निविदा प्रक्रिया अपनाने का काम समय से नहीं किया। उसके बाद जब अधिकारियों ने पुरानी संस्थाओं का ही कार्यकाल बढ़ाने की बात की तो नेताओं ने उनके मंसूबे पर पानी फेर दिया। इस तरह सात सितंबर के बाद मिड-डे मील की आपूर्ति किए जाने के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। अब मजबूरी में वर्तमान संस्थाओं का कार्यकाल तीन महीने तक बढ़ाने का प्रस्ताव बनाया गया है। अब संस्थाएं इसके लिए तैयार नहीं हैं। संस्थाएं लंबा कार्यकाल चाह रही हैं। इससे अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं कि अब क्या किया जाए।

कई गड़बड़ियां पर मिल गई क्लीन चिट
गत 11 जुलाई को शिक्षा समिति के चेयरमैन ने मिड-डे मील आपूर्ति करने वाली संस्थाओं के रसोई घर की जांच की थी। वहां काफी गड़बड़ियां मिली थीं। हालांकि इसे लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई। हाल में हुई समिति की बैठक में 24 घंटे में रिपोर्ट मांगने के बाद अधिकारियों ने निरीक्षण किया और संस्थाओं को क्लीन चिट दे दी। इस रिपोर्ट पर शिक्षा समिति के चेयरमैन ने संतुष्टि जाहिर की है।

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