जेएनयू छात्र संघ चुनावः ABVP के सामने कड़ी चुनौती, वाम संगठन में फिर होगा गठबंधन
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ चुनाव जीतने को लेकर छात्र संगठनों ने अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।
By Edited By: Updated: Tue, 04 Sep 2018 07:51 AM (IST)
नई दिल्ली (मनोज भट्ट)। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ चुनाव जीतने को लेकर छात्र संगठनों ने अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही विभिन्न छात्र संगठनों ने जहां अपने प्रत्याशियों की अंतिम सूची भी तैयार कर ली है तो वहीं गठबंधन का खाका भी खींचा जा चुका है। इसके तहत इस बार भी लेफ्ट (वाम) छात्र संगठन एबीवीपी को चुनौती मान गठबंधन के जरिये चुनावी वैतरणी पार करने की योजना पर काम कर रहा है।
जेएनयू में आइसा की अगुवाई में वाम छात्र संगठनों के गठबंधन का खाका खींचा गया है। जिसके तहत पिछले दो वर्षो से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर गठबंधन में शामिल कन्हैया कुमार का छात्र संगठन एआइएसफ भी डीएसएफ संग इस बार सीधे गठबंधन में शामिल होने को तैयार हो गया है। आइसा की अध्यक्ष सुचेता डे के अनुसार, जेएनयू में एबीवीपी की गुंडागर्दी बढ़ रही है।वहीं विवि प्रशासन लगातार जेएनयू की संस्कृति को खत्म करने का काम कर रहा है। इसके खिलाफ संघर्ष करने के लिए इस बार भी सभी वाम संगठनों ने गठबंधन में चुनाव लड़ने की सहमति जताई है। सुचेता ने बताया कि फिलहाल गठबंधन में किसके पास कौन सी सीट जाएगी, इस पर अभी आखिरी सहमति बनाई जानी है।
एबीवीपी से ललित, आइसा से बालाजी की दावेदारी तय जेएनयू छात्रसंघ चुनाव के लिए 14 सितंबर को होने वाले मतदान के लिए सभी छात्र संगठनों ने अपने प्रत्याशियों की सूची को भी अंतिम रूप दे दिया है। इसके तहत एबीवीपी से ललित पांडेय, आइसा से एनसाई बालाजी, एनएसयूआइ से विकास यादव व लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की छात्र इकाई से जयंत जिज्ञासु की दावेदारी तय मानी जा रही है।एनसाई बालाजी की बतौर अध्यक्ष दावेदारी को लेकर आइसा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भले ही गठबंधन में सीटों के फार्मूले पर सहमति नहीं बनी हैं, लेकिन आइसा पूर्व की तरह ही अध्यक्ष पद पर अपना उम्मीदवार उतारेगा। जबकि अन्य सीटों पर गठबंधन के प्रत्याशी होंगे।
इसके तहत एनसाई बालाजी का नाम अंतिम रूप से तय कर लिया गया है, जो छात्रसंघ चुनाव में गठबंधन का चेहरा होंगे। वहीं ललित कुमार पांडेय के नाम पर एबीवीपी सूत्रों का कहना है कि लंबे समय से संगठन में काम करने व साफ सुथरी छवि के कारण उनको अध्यक्ष पद पर उतारने का फैसला किया गया है।एबीवीपी पिछले तीन वर्षों से एक हजार से अधिक मत प्राप्त कर जेएनयू में मुख्य छात्र संगठन बनकर उभरी है। इस बार विवि में नए संकाय शुरू होने से संगठन की सदस्यता भी बढ़ी है, जिससे मत फीसद बढ़ने की संभावना प्रबल है।
कन्हैया के दोस्त से 'दुश्मन' बने जयंत राजद से मैदान में
जेएनयू छात्र संघ चुनाव में पहली बार छात्र राष्ट्रीय जनता दल भी मैदान में होगा, जिसकी तरफ से अध्यक्ष पर कन्हैया के दोस्त से 'दुश्मन' बने जयंत जिज्ञासु ने दावेदारी जताई है। जयंत का कहना है कि चुनाव जीतने के लिए अगर जरूरत पड़ी तो लालू यादव से लेकर उनके बेटे जेएनयू आकर प्रचार करेंगे।गौरतलब है कि जयंत जिज्ञासु पूर्व छात्रसंघ कन्हैया कुमार के संगठन एआइएसएफ के पूर्व सदस्य रह चुके हैं। नौ फरवरी प्रकरण में कन्हैया की गिरफ्तारी के बाद जयंत ही कन्हैया के अधिकारिक प्रतिनिधि होकर सामने आए थे, लेकिन पिछले दिनों जयंत कन्हैया पर झूठ बोलने, संगठन को कमजोर करने जैसे कई गंभीर आरोप लगाकर संगठन की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।जेएनयू छात्र संघ चुनाव में पहली बार छात्र राष्ट्रीय जनता दल भी मैदान में होगा, जिसकी तरफ से अध्यक्ष पर कन्हैया के दोस्त से 'दुश्मन' बने जयंत जिज्ञासु ने दावेदारी जताई है। जयंत का कहना है कि चुनाव जीतने के लिए अगर जरूरत पड़ी तो लालू यादव से लेकर उनके बेटे जेएनयू आकर प्रचार करेंगे।गौरतलब है कि जयंत जिज्ञासु पूर्व छात्रसंघ कन्हैया कुमार के संगठन एआइएसएफ के पूर्व सदस्य रह चुके हैं। नौ फरवरी प्रकरण में कन्हैया की गिरफ्तारी के बाद जयंत ही कन्हैया के अधिकारिक प्रतिनिधि होकर सामने आए थे, लेकिन पिछले दिनों जयंत कन्हैया पर झूठ बोलने, संगठन को कमजोर करने जैसे कई गंभीर आरोप लगाकर संगठन की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।