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जाम से कैसे मुक्त होगी दिल्ली

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली पहले दिल्ली सरकार और अब दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दा

By JagranEdited By: Updated: Tue, 04 Sep 2018 09:23 PM (IST)
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जाम से कैसे मुक्त होगी दिल्ली

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली

पहले दिल्ली सरकार और अब दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि वर्ष 2020 के बाद दिल्ली जाम मुक्त हो जाएगी। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट भी पेश की है, जिसमें उसने यातायात को सुगम करने की दिशा में सड़कों को चौड़ा करने, अतिक्रमण हटाने, रुकावटें दूर करने, एलिवेटेड रोड, फ्लाईओवर और फुट ओवरब्रिज बनाने के लिए विभिन्न एजेंसियों द्वारा किए जा रहे कामों की जानकारी दी है। यह बताया गया है कि बेहतर यातायात व्यवस्था के लिए ए श्रेणी के 350 कॉरिडोर चिह्नित किए गए हैं और इसमें से 108 का काम पूरा हो चुका है। टीम ने कुछ बड़ी योजनाओं का काम वर्ष 2020 तक पूरा होने की उम्मीद जताई है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि अतिक्रमण व वाहनों की बढ़ती संख्या के जाल में फंसी दिल्ली को जाम मुक्त बनाना आखिर संभव कैसे होगा। रिपोर्ट बनी पर सड़कें नहीं हो सकीं अतिक्रमण मुक्त

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा जाम वाले 28 कॉरिडोर की समस्या हल करने का लक्ष्य तय किया गया है और दिसंबर 2020 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया जाएगा। जाम को देखते हुए उपराज्यपाल की ओर से गठित छह टास्क फोर्स टीम ने 77 इलाकों को चिह्नित किया था, जिन्हें तीन श्रेणियों में रखा गया था। 28 भीषण जाम वाले इलाके, 30 जाम वाले और 19 मामूली जाम वाले इलाके, लेकिन इस रिपोर्ट पर क्रियान्वयन के नाम पर खानापूर्ति की गई। उक्त सभी क्षेत्र आज भी जाम की समस्या से जूझ रहे हैं। वाहनों का आंकड़ा एक करोड़ पार

योजनाओं के पूरा होने मात्र से दिल्ली से जाम की समस्या दूर हो जाएगी, ऐसा कहना सही नहीं होगा। जाम की एक बड़ी वजह वाहन भी हैं और राजधानी में हर साल सात लाख नए वाहनों का पंजीकरण होता है। आने वाले दिनों में यह संख्या और बढ़ेगी। दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो पंजीकृत वाहनों की संख्या करीब 1.07 करोड़ के पार पहुंच गई है। इसमें करीब पंजीकृत 31 लाख कारें व मोटरसाइकिल-स्कूटर की संख्या 66,48,730 है। दिल्ली में अन्य बड़े पंजीकृत वाहनों में 2,25,438 माल वाहक, 1,18,424 मोटर कैब, 1,16,092 मोपेड, 1,06,082 यात्री तिपहिया, 68,692 माल वाहक तिपहिया, निजी-सार्वजनिक बसें करीब 50 हजार, 31,555 ई-रिक्शा हैं। अभी 26 किमी प्रति घंटा है दिल्ली की रफ्तार

एक आंकड़े पर गौर करें तो दिल्ली की औसत रफ्तार 2010 से 2017 के बीच 9.1 फीसद गिरकर 26 किलोमीटर प्रति घटा हो गई है। यह एक हाथी की औसत गति से बहुत अधिक नहीं है, जो 25 किमी प्रति घटा की गति से चलता है। वहीं, धावक उसेन बोल्ट की स्पीड 37.58 किमी प्रति घटा है। सार्वजनिक बसों की समुचित व्यवस्था नहीं

राजधानी में तेजी से बढ़ रहे निजी वाहनों के पीछे एक कारण सार्वजनिक बसों की बेहतर सुविधा न होना भी है। गत चार साल में दिल्ली को एक भी नई सार्वजनिक बस नहीं मिली। इस बीच नौ बस डिपो तो तैयार किए गए, लेकिन बसों की कमी के कारण अभी तक एक भी डिपो से परिचालन शुरू नहीं हुआ। वर्ष 1994 में सार्वजनिक परिवहन का हिस्सा 80 फीसद होता था। गत चार वर्षो में बसों की संख्या न बढ़ने के कारण इसमें भारी कमी आई है और वर्ष 2018 में सार्वजनिक यातायात में बसों का योगदान 25 से 35 फीसद रह गया है। दिल्ली में वर्तमान में करीब 5500 सार्वजनिक बसें हैं और 5500 बसों की जरूरत है।

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किस जिले में कितने भीषण जाम वाले प्वाइंट

दक्षिण दिल्ली : 9

बाहरी दिल्ली : 7

पश्चिम व पूर्वी दिल्ली : 4-4

मध्य दिल्ली : 3

उत्तरी दिल्ली : 3

दिल्ली में कुल जाम वाले स्थान - 78

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आरके अग्रवाल, प्रमुख अभियंता, लोक निर्माण विभाग

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1991 में दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया था कि दिल्ली में ओवर लोड ट्रक बंद हो जाएंगे तो उसका क्या हुआ। जब तक सभी एजेंसी काम नहीं करेंगी तब तक दिल्ली पुलिस के शपथ पत्र से काम नहीं चलेगा। वाहन की खरीद पर कोई रोक नहीं है और शहर में पार्किंग की व्यवस्था भी नहीं है। पार्किंग, यातायात, रोड मैनेजमेंट सिस्टम छिन्न-भिन्न है। यातायात नियंत्रण के नाम पर सिर्फ जुर्माना किया जाता है। पहले तय करना होगा कि दिल्ली में आने वाले वाहनों को कैसे नियंत्रित करेंगे। ऐसे में पुलिस के शपथ पत्र का कोई महत्व दिखाई नहीं देता।

एसपी सिंह, ट्रांसपोर्ट विशेषज्ञ

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निगम के जिम्मे जो भी कार्य हैं, उन्हें निगम पहले से ही कर रहा है। कोर्ट में ट््रैफिक पुलिस ने क्या हलफनामा दिया है, उसकी जानकारी मुझे नहीं है।

- मधुप व्यास, आयुक्त, उत्तरी दिल्ली नगर निगम

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