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न्यूयार्क के संग्रहालय से भारत को वापस मिला 'एक देवता का सिर'

यह पहला मौका है जब कोई विदेशी संग्रहालय अपने खर्च पर मूर्तियां लौटाने भारत आया। ये मूर्तियां बहुत पहले चोरी की गई थीं।

By Vikas JangraEdited By: Updated: Wed, 05 Sep 2018 07:55 AM (IST)
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न्यूयार्क के संग्रहालय से भारत को वापस मिला 'एक देवता का सिर'
नई दिल्ली (वीके शुक्ला)। न्यूयार्क का मेट्रोपोलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट भारत से चुराई गईं दो ऐतिहासिक धरोहरों को दिल्ली आकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को सौंप गया है। इसमें दुर्गा महिषासुर मर्दिनी व देवता का सिर शामिल है। दस अगस्त को मेट्रोपोलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट के अधिकारी दो ऐतिहासिक मूर्तियों को अपने खर्च पर वापस कर गए हैं।

बता दें कि यह पहला मौका है जब कोई विदेशी संग्रहालय अपने खर्च पर मूर्तियां लौटाने भारत आया। ये मूर्तियां बहुत पहले चोरी की गई थीं। इनमें दुर्गा महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति पत्थर से निर्मित है। बताया जाता है कि यह उत्तराखंड के बैजनाथ के चक्रवर्तेश्वर मंदिर से 1969 के बाद चोरी की गई थी, क्योंकि 1969 में लिखी गई प्रो. केपी नौटियाल की पुस्तक आर्कियोलॉजी ऑफ कुमायूं में इस मंदिर व मूर्ति का जिक्र है। यह मूर्ति 10-11वीं शताब्दी की बताई जा रही है, जिसकी कीमत करोड़ों में है।

दुर्गा महिषासुर मर्दिनी व एक देवता का सिर है शामिल
दूसरी मूर्ति और भी पुरानी है। यह किसी देवता का सिर है। सिर बोधिसत्व या कार्तिक का हो सकता है। यह दक्षिण भारत में स्थित नागार्जुन कोंडा में की गई खोदाई में मिला था। यह भी पत्थर से निर्मित है। यह छठी शताब्दी का बताया जा रहा है, जो वर्षों पहले चोरी हो गया था। इसकी भी कीमत करोड़ों में बताई जा रही है।

एएसआइ ने किया था न्यूयार्क के म्यूजियम से संपर्क
बताया जा रहा है कि दिसंबर 2017 में न्यूयार्क के म्यूजियम ने एएसआइ से संपर्क किया था, जिसके बाद इन धरोहरों को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। इस म्यूजियम के पास ये धरोहर कैसे पहुंचीं, इसका जिक्र उसने नहीं किया है। सूत्रों का कहना है कि चेन्नई जेल में बंद अंतरराष्ट्रीय मूर्ति तस्कर सुभाष कपूर ने इन्हें चुराकर विदेश में बेचा होगा।

और भी धरोहरें आ सकती हैं वापस
डॉ. डीएन डिमरी (प्रवक्ता, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की मानें तो यह ऐतिहासिक कदम है। न्यूयार्क के म्यूजियम के अधिकारियों ने देश से चोरी गईं दो धरोहरों को आकर वापस किया है। उम्मीद है कि विश्व से इसी तरह और भी धरोहर वापस आएंगी। इन धरोहरों को पुराना किला में बनाए जा रहे संग्रहालय में रखा जा सकता है।