विभिन्न मांगों को लेकर देशभर के किसानों का दिल्ली में हल्ला बोल
वाद दलों की मानें तो बुधवार को रामलीला मैदान में आयोजित किसान रैली की तर्ज पर आने वाले दिनों में और भी ऐसी ही रैलियां होंगी।
By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 05 Sep 2018 03:46 PM (IST)
नई दिल्ली (जेएनएन)। विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ बुधवार को दिल्ली में किसान और मजदूर प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें महंगाई से राहत, न्यूनतम भत्ता, किसानों की कर्जमाफी और फसलों का उचित मूल्य देने की मांग अहम है। बताया जा रहा है कि वाम दल समर्थित किसान व मजदूर संगठनों की तरफ से दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बड़ी रैली का आयोजन किया गया। बताया जा रहा है कि इस रैली में देशभर से 4 लाख से ज्यादा किसान-मजदूर जुटे।
जानकारी के मुताबिक, ऑल इंडिया किसान महासभा के नेतृत्व में किसानों के दल दिल्ली के रामलीला मैदान से संसद तक मार्च किया। वहीं, वामपंथी संगठन अखिल भारतीय किसान महासभा और सीटू के नेतृत्व में हजारों की संख्या में किसान और मजदूर दिल्ली के रामलीला मैदान पर मजदूर किसान संघर्ष रैली में जुटे। कहा जा रहा है कि किसान संघर्ष रैली में देश के कई जाने माने अर्थशास्त्रियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को भी बुलाया गया था। वाद दलों की मानें तो बुधवार को रामलीला मैदान में आयोजित किसान रैली की तर्ज पर आने वाले दिनों में और भी ऐसी ही रैलियां होंगी। किसान-मजदूर रैलियों के माध्यम से देश में किसान और मजदूरों की बदहाली के मुद्दे लगातार उठाये जाते रहेंगे और इसकी शुरुआत बुधवार को रामलीला मैदान की रैली से की जा रही है।
चुनावी वादे को भूल गई सरकार
प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के बारे तो केंद्र सरकार बात ही नहीं कर रही है। 2006 में जो सिफारिशें स्वामीनाथन आयोग ने दी थीं उसे 11 सितंबर 2007 को ही पिछली कांग्रेस सरकार ने स्वीकर किया था, लेकिन फिर बात आगे नहीं बढ़ी।धरना-प्रदर्शन के कारण आज कई चौराहे बंद
कई संगठनों के लोगों बुधवार को अपनी-अपनी मांगों को लेकर रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक मार्च निकाला। इस दौरान धरना-प्रदर्शन भी हुआ। बड़ी संख्या में सड़कों पर लोगों के उतरने के कारण कई चौराहे और सड़कों पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो सकती थी। इसके मद्देनजर यातायात पुलिस ने नई दिल्ली के सात प्रमुख चौराहों पर यातायात परिवर्तित करने का निर्णय लिया था।
प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के बारे तो केंद्र सरकार बात ही नहीं कर रही है। 2006 में जो सिफारिशें स्वामीनाथन आयोग ने दी थीं उसे 11 सितंबर 2007 को ही पिछली कांग्रेस सरकार ने स्वीकर किया था, लेकिन फिर बात आगे नहीं बढ़ी।धरना-प्रदर्शन के कारण आज कई चौराहे बंद
कई संगठनों के लोगों बुधवार को अपनी-अपनी मांगों को लेकर रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक मार्च निकाला। इस दौरान धरना-प्रदर्शन भी हुआ। बड़ी संख्या में सड़कों पर लोगों के उतरने के कारण कई चौराहे और सड़कों पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो सकती थी। इसके मद्देनजर यातायात पुलिस ने नई दिल्ली के सात प्रमुख चौराहों पर यातायात परिवर्तित करने का निर्णय लिया था।
यातायात पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस दौरान दिल्ली गेट, पहाड़गंज, मिंटो रोड, बाराखंभा रोड, केजी मार्ग, जनपथ और कापर्निकस मार्ग चौराहे को बंद रखा जाएगा। इस बीच पहाड़गंज से आने वाले वाहन चालक पचकुइयां रोड, कनाट प्लेस, मंडी हाउस व आइटीओ होते हुए दिल्ली गेट पहुंच सकते हैं।वहीं, मिंटो रोड की ओर से आने वाले वाहन चालक डीडीयू मार्ग, आइटीओ का प्रयोग कर यमुना पार जा सकते हैं। यातायात पुलिस ने लोगों को बाराखंभा रोड से दिल्ली गेट जाने के लिए रंजीत सिंह फ्लाइओवर का प्रयोग ना करने की सलाह दी थी।
जानें क्या है स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट
प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन को अपने देश में हरित क्रांति का जनक कहा जाता है। यूपीए सरकार ने किसानों की स्थिति का जायजा लेने के लिए एक आयोग का गठन किया था, जिसे स्वामीनाथन आयोग कहा गया था। दरअसल, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को आज तक लागू नहीं किया जा सका. कहा जाता है कि अगर इस रिपोर्ट को लागू कर दिया जाए तो किसानों की तकदीर बदल जाएगी।स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट में भूमि सुधारों पर जोर दिया गया है। अतिरिक्त और बेकार जमीन को भूमिहीनों में बांटना, आदिवासी क्षेत्रों में पशु चराने का हक देना आदि इसमें शामिल है। आयोग की सिफारिशों में किसान आत्महत्या की समस्या के समाधान व राज्य स्तरीय किसान कमीशन बनाने की बात है। वहीं, सेहत सुविधाएं बढ़ाने और वित्त-बीमा की स्थिति पुख्ता बनाने पर भी विशेष जोर दिया गया है। इसके अलावा, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की सिफारिश भी की गई है ताकि छोटे किसान भी मुकाबले में आएं।
प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन को अपने देश में हरित क्रांति का जनक कहा जाता है। यूपीए सरकार ने किसानों की स्थिति का जायजा लेने के लिए एक आयोग का गठन किया था, जिसे स्वामीनाथन आयोग कहा गया था। दरअसल, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को आज तक लागू नहीं किया जा सका. कहा जाता है कि अगर इस रिपोर्ट को लागू कर दिया जाए तो किसानों की तकदीर बदल जाएगी।स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट में भूमि सुधारों पर जोर दिया गया है। अतिरिक्त और बेकार जमीन को भूमिहीनों में बांटना, आदिवासी क्षेत्रों में पशु चराने का हक देना आदि इसमें शामिल है। आयोग की सिफारिशों में किसान आत्महत्या की समस्या के समाधान व राज्य स्तरीय किसान कमीशन बनाने की बात है। वहीं, सेहत सुविधाएं बढ़ाने और वित्त-बीमा की स्थिति पुख्ता बनाने पर भी विशेष जोर दिया गया है। इसके अलावा, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की सिफारिश भी की गई है ताकि छोटे किसान भी मुकाबले में आएं।