डिप्थीरिया से 19 दिन में 20 बच्चों की मौत, खाली पड़े हैं विशेषज्ञ डॉक्टरों के सभी पद
डिप्थीरिया (गलाघोंटू) से दो और मासूमों की मौके के बाद 19 दिनों में बच्चों की मौत का आंकड़ा 20 हो गया है। हर दिन डिप्थीरिया पीड़ित दो-तीन नए मरीज इस अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं।
By Amit SinghEdited By: Updated: Wed, 26 Sep 2018 03:56 PM (IST)
नई दिल्ली (निहाल सिंह)। बाहरी दिल्ली के किंग्सवे-कैंप स्थित महर्षि वाल्मीकि संक्रामक अस्पताल में डिप्थीरिया (गलाघोंटू) से दो और मासूमों की जान चली गई। एक बच्चे ने सोमवार रात 11 बजे और दूसरे ने मंगलवार सुबह सात बजे दम तोड़ा है। इस तरह पिछले 19 दिनों में इस अस्पताल में 20 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि हर दिन डिप्थीरिया पीड़ित दो-तीन नए मरीज इस अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। इस मामले में एक के बाद एक सरकारी लापरवाही सामने आ रही है। अब पता चला है कि अस्पताल में इस बीमारी से निपटने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों के पांच पद स्वीकृत हैं और सभी पद खाली हैं।
मंगलवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अधिकारियों ने भी मामले में संज्ञान लेते हुए अस्पताल का दौरा कर सुविधाओं का जायजा लिया। रविवार रात से अस्पताल में डिप्थीरिया की वैक्सीन भी उपलब्ध हो रही है। हालांकि, परिजनों का कहना है कि उनके बीमार बच्चों पर इसका असर नहीं हो रहा है।
बेटे का इलाज करा रहे नदीम अहमद ने बताया कि डॉक्टर तो यहां तक कह देते हैं कि इस बीमारी के इलाज में वर्षो का तजुर्बा भी काम नहीं आता है। इसलिए डिप्थीरिया के कम मरीज ही बच पाते हैं। ऐसे में कई परिजन अपने बच्चे को यहां से लेकर चले भी गए हैं।वहीं, राजस्थान से आए अली शेख ने बताया कि उनका बेटा गंभीर है और इंजेक्शन लगाने के बाद भी बच्चे की सेहत पर असर नहीं हो रहा है। परिवार की परेशानी बरकरार है। अस्पताल परिसर में बाहरी व्यक्ति के आने की मनाही है। बच्चे के साथ एक ही परिजन को अंदर जाने की अनुमति दी जा रही है।
अन्य इलाकों से भी आते हैं मरीजसंक्रामक बीमारियों के इलाज के लिए बने इस अस्पताल में अन्य इलाकों से भी मरीज आते हैं, लेकिन इलाज की अपेक्षित सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। यहां मुख्य रूप से पश्चिम उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, ग्रेटर नोएडा, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, गाजियाबाद, शामली जैसे शहरों और उनके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से डिप्थीरिया पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं।
20 मासूमों की मौत के बाद नपे सीएमएसमहर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में डिप्थीरिया से लगातार हो रही मासूमों की मौत के मामले में उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) की लापरवाही मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की है। निगम ने चिकित्सा अधीक्षक सुशील कुमार गुप्ता को निलंबित कर दिया है। निगम के महापौर आदेश गुप्ता ने इसकी पुष्टि की है। माना जा रहा है कि समय से डिप्थीरिया से निपटने के लिए दवाइयों का इंतजाम नहीं किया गया। इसमें प्रथम दृष्टया चिकित्सा अधीक्षक को दोषी माना गया है।
जागा प्रशासन, अब मरीजों के भाई-बहन को भी लगेगा टीकाकई मासूम जिंदगियों को मौत के घाट उतारने के बाद अब प्रशासन की नींद खुली है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में मरीजों की बढ़ती तादात को देखते हुए निगम ने पीड़ित बच्चों के भाई-बहन को भी टीका लगाने का फैसला लिया है। डिप्थीरिया को खत्म करने के लिए निगम अब टीकाकरण भी करेगा।
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डिप्थीरिया से बचने का सबसे बड़ा उपाय समय रहते नवजात बच्चों में टीकाकरण कराना है। कई लोग अज्ञानता और जागरूकता के अभाव में टीकाकरण नहीं करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक परिवार में अगर दो बच्चे हैं और एक को डिप्थीरिया हो गया है तो दूसरे के भी प्रभावित होने का खतरा रहता है। टीकाकरण कर अन्य बच्चों की जिदंगी को बचाया जा सकेगा।एक हजार सीरम हैदराबाद से निगम ने मंगाए
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के इस अस्पताल ने एंटी डिप्थीरिया सीरम की कमी को पूरा करने के लिए निजी दवाई विक्रेताओं से सीरम खरीदने का फैसला लिया है। निगम के अधिकारी ने बताया कि हैदराबाद से सीरम मिल गए हैं। वहां से एक हजार सीरम की मांग की गई है। इसमें से दो सौ पहुंच गए हैं। शेष एक दो दिन में पहुंच जाएंगे।अब संक्रमण की हर दवाई का 10 फीसद स्टॉक रखना होगा अनिवार्य
महर्षि वाल्मीकि अस्पताल में दवाइयों की कमी से हुई मासूमों की मौत के बाद निगम ने संक्रमण की हर दवाई का न्यूनतम दस फीसद स्टॉक रखने का फैसला किया है। निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अब संक्रमण की दवाइयों का निगम पूरा स्टॉक रखेगा।सदन की बैठक हंगामेदार होने के आसार
डिप्थीरिया से 20 मासूमों की मौत के बाद निगम के सदन की बैठक हंगामेदार होने के आसार हैं। विपक्ष समेत कांग्रेस ने भी सत्तापक्ष को घेरने की तैयारी कर ली है। वहीं इस पर विपक्ष द्वारा चर्चा की मांग भी की गई है। कांग्रेस दल के नेता मुकेश गोयल ने कहा कि बच्चों की मौत मामले में नेताओं से लेकर अधिकारियों तक की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
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