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संशोधित : अपने जिगर के टुकड़े को खोकर परिजनों के नहीं थम रहे आंसू..

आंखों में बच्चों की खुशी और कई ख्वाहिशों को पूरा करने का सपना था, जिसके लिए दिन-रात कड़ी मेहनत की, एक-एक पाई जुटाकर स्कूल भेजा ताकि बड़े होकर वह उनका सहारा बन सके। मगर एक झटके में सारे सपने चकनाचूर हो गए। अशोक विहार स्थित सावन पार्क स्थित हरिजन कॉलोनी में मकान ढहने से बच्चों की मौत के बाद परिजनों की हालत कुछ ऐसी ही थी। सुबह करीब नौ बजे मकान गिरने के बाद अस्पताल लाए गए 12 लोगों में से छह की मौत हो गई, जिसमें चार बच्चे और दो महिला है। इस मकान में रहनेवाला एक परिवार ऐसा है, जिसके पांच सदस्य इस हादसे का शिकार हुए।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 26 Sep 2018 09:11 PM (IST)
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संशोधित : अपने जिगर के टुकड़े को खोकर परिजनों के नहीं थम रहे आंसू..
शिप्रा सुमन, बाहरी दिल्ली :

आंखों में बच्चों की खुशी और कई ख्वाहिशों को पूरा करने का सपना था, जिसके लिए दिन-रात कड़ी मेहनत की, एक-एक पाई जुटाकर स्कूल भेजा ताकि बड़े होकर वह उनका सहारा बन सके। मगर एक झटके में सारे सपने चकनाचूर हो गए। अशोक विहार स्थित सावन पार्क स्थित हरिजन कॉलोनी में मकान ढहने से बच्चों की मौत के बाद परिजनों की हालत कुछ ऐसी ही थी। सुबह करीब नौ बजे मकान गिरने के बाद अस्पताल लाए गए 12 लोगों में से छह की मौत हो गई, जिसमें चार बच्चे और दो महिला है। इस मकान में रहनेवाला एक परिवार ऐसा है, जिसके पांच सदस्य इस हादसे का शिकार हुए। पिता की आंखों से झर-झर बह रहे आंसू

मकान की दूसरी मंजिल पर रहने वाले उमेश ने इस हादसे में अपने दो मासूम बच्चे खो दिए। पिता की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे। उन्होंने इस हादसे में अपनी तीन साल की बेटी आशी (3) और दो वर्षीय बेटे शौर्य (2) को खो दिया है। पत्नी सीमा ने भी मौत से देर शाम दम तोड़ दिया। उमेश अपनी किस्मत को कोसते हुए बार-बार यही कहते हैं कि यदि समय रहते ही इस मकान को खाली कर चले जाते तो शायद उनकी पत्नी और बच्चे आज उनके साथ रहते। उमेश का कहना है कि एक महीने पहले ही इस मकान को खाली करने वाले थे, लेकिन मकान मालिक ने उन्हें जबरन रोक लिया। उन्होंने बताया कि वह आठ हजार रुपये किराया देते हैं और बिजली बिल मिलाकर 12 हजार रुपये हो जाते हैं। नानी के घर रुक जाते बच्चे तो बच जाती जान

उमेश ने बताया कि आशी और शौर्य मंगलवार शाम मां सीमा के साथ नानी के घर मजनू का टीला गए थे। नानी ने सभी से रात में रुकने की जिद की थी, लेकिन सीमा नहीं रुकी। अगले दिन बच्चों की परीक्षा होने के कारण मंगलवार रात वह घर वापस आ गई। अस्पताल में रोती-बिलखती नानी कृष्णा को इस बात का मलाल है कि शायद सीमा अपने बच्चों के साथ रुक जाती तो आज वह उनके साथ होती। परिजनों के अनुसार, वृद्ध कृष्णा की बहू और पोती की मौत को अभी एक वर्ष ही बीता है। 70 वर्ष की आयु में वह अपने कई परिजनों की मौत का गम सह चुकी है। भाई और साली की हालत भी गंभीर

सैलून में काम करने वाले उमेश ने बताया कि उनका भाई लक्ष्मण (26) और साली मंजू (22) भी उनके साथ रहती थीं। जो इस हादसे का शिकार हो गए। लक्ष्मण की हालत गंभीर बनी हुई है और उसे लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल रेफर कर दिया गया है। वहीं साली मंजू का इलाज भी उसी अस्पताल में चल रहा है। इस हादसे में उमेश के परिवार के सबसे ज्यादा सदस्य ही प्रभावित हुए हैं। उनकी आंखों के आंसू नहीं रुक रहे हैं। मुसीबत की घड़ी में उनका साला और परिवार के अन्य सदस्य मजबूती से डटे हैं। खाली करने के थे आदेश, मकान मालिक ने रोक लिया

जर्जर अवस्था में पहुंच चुके मकान की दीवारें चटक रहीं थी और उसके प्लास्टर झड़ रहे थे। मकान को खाली करने के आदेश भी दिए जा चुके थे। मगर मकान मालिक ने वहां रहने वालों को रोक लिया, जिसका खामियाजा लोगों को अपनी जान से चुकानी पड़ी। इस हादसे में जिनके परिजनों की मौत हुई है, उनका कहना है कि वह मकान की कमियों और खामियों के बारे में मालिक को जानकारी दी थी।

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