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जानिये- क्या है दिल्ली डेवलपमेंट एक्ट-1957, जिसकी अनदेखी से बिगड़ी दिल्ली की सूरत

पूर्व योजना आयुक्त ने इस पर भी हैरत जताई है कि न तो डीडीए बोर्ड में कोई टाउन प्लानर है और न ही इसकी सलाहकार समिति में।

By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 28 Sep 2018 09:31 AM (IST)
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जानिये- क्या है दिल्ली डेवलपमेंट एक्ट-1957, जिसकी अनदेखी से बिगड़ी दिल्ली की सूरत
नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। दिल्ली में सीलिंग पर जारी सियासत के बीच इस पर स्थायी रोक के लिए भी कुछ सुझाव सामने आए हैं। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के पूर्व योजना आयुक्त आरजी गुप्ता ने यह सुझाव उपराज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मॉनिटरिंग कमेटी को भेजे हैं। साथ ही यह भी कहा कि इस समस्या का समाधान दिल्ली डेवलपमेंट एक्ट-1957 में है।

एक्ट के चार सेक्शन पर्याप्त
तीन पृष्ठों के इन सुझावों में एक्ट के सेक्शन तीन, पांच, छह और सात का उल्लेख किया गया है। बताया गया है कि 1957 के एक्ट के मुताबिक दिल्ली के विकास की जितनी शक्तियां डीडीए के पास हैं, उतनी किसी निकाय व विभाग के पास नहीं हैं। लेकिन, बिजली, पानी, सीवेज निस्तारण और पार्किंग इत्यादि बिंदुओं पर स्थानीय निकायों के लिए मिलकर इन शक्तियों का उपयोग किया ही नहीं जा रहा।

38 साल से टाउन प्लानर और आर्किटेक्ट नहीं
पूर्व योजना आयुक्त ने इस पर भी हैरत जताई है कि न तो डीडीए बोर्ड में कोई टाउन प्लानर है और न ही इसकी सलाहकार समिति में। सन 1980 के बाद दिल्ली की स्थिति टाउन प्लानर और आर्किटेक्ट के अभाव में बद से बदतर होती गई है।

जोनल प्लान बने कागजी दस्तावेज
कहने को 18 जोनल प्लान भी बनाए तो गए हैं, लेकिन वह केवल कागजी दस्तावेज बनकर रह गए हैं।

मॉनिटरिंग कमेटी और उपराज्यपाल को भेजे गए सुझाव
सेक्शन तीन के तहत केंद्र सरकार डीडीए बोर्ड में तीन और सदस्य मनोनीत करे, जिनमें एक अनिवार्य रूप से टाउन प्लानिंग व एक आर्किटेक्चर का ज्ञाता हो।

सेक्शन पांच के तहत डीडीए की सलाहकार परिषद में भी एक सदस्य टाउन प्लानिंग जबकि एक आर्किटेक्चर के क्षेत्र से रखा जाए।

सेक्शन छह के तहत डीडीए दिल्ली के विकास के लिए कहीं भी भूमि अधिग्रहण कर सकता है।

सेक्शन सात के तहत दिल्ली का एक सिविक सर्वे कराया जाए, जिसमें बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ यह भी उल्लेख हो कि कहां पर किस दिशा में विस्तार की आवश्यकता है।

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