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एसयूवी की टक्कर में कार्यक्षमता गंवाने वाले इंजीनियर को 27 लाख का मुआवजा

तेज रफ्तार स्कॉर्पियो (एसयूवी) की टक्कर से एक इंजीनियर की कार्य करने की क्षमता ही खत्म हो गई। इलाज के बावजूद भी वह दिनचर्या को छोड़ अन्य कार्य समझ नहीं पाते। इस आधार पर तीस हजारी स्थित मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने वाहन चालक और मालिक को आदेश दिया है कि वह पीड़ित को नौ फीसद वार्षिक ब्याज के साथ 27 लाख 71 हजार रुपये मुआवजा अदा करें।

By JagranEdited By: Updated: Fri, 28 Sep 2018 08:00 PM (IST)
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एसयूवी की टक्कर में कार्यक्षमता गंवाने वाले इंजीनियर को 27 लाख का मुआवजा

सुशील गंभीर, नई दिल्ली

तेज रफ्तार स्कॉर्पियो (एसयूवी) की टक्कर से एक इंजीनियर की कार्य करने की क्षमता ही खत्म हो गई। इलाज के बावजूद वह दिनचर्या को छोड़ अन्य कार्य समझ नहीं पाते। इस आधार पर तीस हजारी स्थित मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने वाहन चालक और मालिक को आदेश दिया है कि वह पीड़ित को नौ फीसद वार्षिक ब्याज के साथ 27 लाख 71 हजार रुपये मुआवजा अदा करें।

न्यायाधिकरण ने हादसे के वक्त वाहन का बीमा न होने को आधार बताते हुए यह आदेश दिया। लिहाजा मुआवजे की रकम उसके चालक और मालिक क ो मिलकर अदा करनी होगी।

न्यायाधिकरण ने कहा कि 30 दिन के भीतर आदेश का पालन कर अवगत कराएं। मुआवजा देने में देर करने पर रकम 12 फीसद ब्याज के साथ देनी होगी। न्यायाधिकरण ने कहा कि ब्याज हादसे की रिपोर्ट दर्ज होने यानी 4 जून 2014 से देना होगा।

न्यायाधिकरण में दायर दावे के मुताबिक, नत्थूपुरा दिल्ली निवासी धीरज कुमार त्रिपाठी एक कंपनी में बतौर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर तैनात थे। 21 मई 2014 को अपने एक रिश्तेदार के साथ मोटरसाइकिल पर लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) गए थे। वहां पार्किंग में मोटरसाइकिल खड़ी करने के बाद धीरज जवाहरलाल नेहरू मार्ग पैदल पार करने लगे। इस दौरान एक तेज रफ्तार एसयूवी ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया था। इस हादसे में धीरज के सिर पर गंभीर चोटें आई थीं और कई दिनों तक उनका एलएनजेपी अस्पताल में इलाज चला। न्यायाधिकरण में केस की सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष ने दलील दी कि धीरज हादसे के बाद अपनी कार्य करने की क्षमता खो चुके हैं। हादसे से पहले वह 25 हजार रुपये प्रति माह तनख्वाह पाते थे, लेकिन हादसे के बाद नौकरी नहीं कर पाए। पीड़ित की उम्र और भविष्य में होने वाली आमदनी के हिसाब से मुआवजे का आंकलन किया। हालांकि, दूसरे पक्ष की तरफ से दलील दी गई कि गाड़ी एक मालिक से दूसरे को बेची जा चुकी थी, लिहाजा दूसरा मालिक मुआवजा अदा करे। वहीं, न्यायाधिकरण ने जांच में पाया कि हादसे के वक्त गाड़ी पहले मालिक के नाम से हटकर दूसरे के नाम पर दर्ज नहीं हुई थी। लिहाजा मुआवजे की रकम उस वक्त गाड़ी के चालक उर्दू बाजार जामा मस्जिद निवासी मनजीत और इरशाद अहमद को देनी होगी। वहीं, इरशाद अहमद की मृत्यु हो चुकी है, लिहाजा उनके परिजनों को यह भुगतान करना होगा।

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