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बहू से दो कदम आगे निकलीं बेटियां, 72 साल के पिता को निकाला घर से बाहर

दस वर्ष पहले उन्हें बीमारी ने जकड़ लिया तो उनकी पत्नी और बेटियों ने उन्हें घर से निकाल दिया। वकील ने कोर्ट को बताया कि बुजुर्ग अब कुछ काम करने लायक नहीं है और उनकी बेटियां नौकरी करतीं हैं।

By Edited By: Updated: Sat, 29 Sep 2018 09:05 AM (IST)
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बहू से दो कदम आगे निकलीं बेटियां, 72 साल के पिता को निकाला घर से बाहर
नई दिल्ली (जेएनएन)। पति ने 48 वर्ष पहले पत्नी को घर गिफ्ट करते हुए सपने देखे थे कि दोनों खुशहाल जीवन गुजारेंगे, लेकिन पति को क्या मालूम था कि 72 वर्ष की उम्र में आकर पत्नी ही उन्हें घर से बाहर निकाल देगी। मानसरोवर पार्क इलाके में रहने वाले मर्चेंट नेवी में काम कर चुके बुजुर्ग ने कड़कड़डूमा फैमिली कोर्ट से अपील की है कि उनकी तीन बेटियां सक्षम हैं इसलिए बेटियां उन्हें गुजारा भत्ता दें। साथ ही घर में रहने के लिए जगह दें, वह बीमारी में किराये के घर में रहने को मजबूर हैं।

बुढ़ापे में घर से निकाल दिया
बुजुर्ग की चार बेटियां हैं। बुजुर्ग ने कोर्ट से कहा जिस पत्नी के कहने पर उसके नाम से घर खरीदकर दिया था, उसी पत्नी ने बेटियों के साथ मिलकर बुढ़ापे में घर से निकाल दिया। कोर्ट ने बुजुर्ग की याचिका पर पत्नी व बेटियों को नोटिस भेजकर 20 दिन में जवाब देने को कहा है।

1970 में पत्नी के नाम से खरीदा घर 
बुजुर्ग केतनदत्त अनेजा के वकील मनीष भदौरिया ने कोर्ट को जानकारी दी कि 1969 में इनकी शादी सुशील कुमारी से हुई थी। इसके बाद उनकी पत्नी अपने नाम पर घर खरीदने का दबाव बनाने लगी। बुजुर्ग ने 1970 में पत्नी के नाम पर 125 गज का घर खरीदा। उस समय वह मर्चेंट नेवी में सेलर थे। काम के लिए देश-विदेश आना-जाना पड़ता था।

पत्नी ने नौकरी छोड़ने का बनाया दबाव 
पति का आरोप है 1972 में पत्नी मर्चेंट नेवी की नौकरी छोड़कर घर पर बैठने का दबाव बनाने लगी। मजबूरी में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और ऑटो रिक्शा चलाने लगे। दस वर्ष पहले उन्हें बीमारी ने जकड़ लिया तो उनकी पत्नी और बेटियों ने उन्हें घर से निकाल दिया। वकील ने कोर्ट को बताया कि बुजुर्ग अब कुछ काम करने लायक नहीं है और उनकी बेटियां नौकरी करतीं हैं, लेकिन उन्हें दूसरों के रहमो करम पर अपना जीवन गुजारना पड़ रहा है।

बेटियां भी बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल कर सकती हैं
वकील ने पूर्व में कोर्ट के द्वारा कई निर्णय के बारे में बताया जिसमें कोर्ट ने कहा था कि बेटे ही नहीं, बेटियां भी बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल कर सकती हैं। भले ही वह सक्षम हों या न हों, घर पर रहती हों या ससुराल में, माता-पिता को उनके साथ रहने का अधिकार है।

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दो बेटियां शिक्षक हैं तो एक नर्स
बुजुर्ग ने कहा कि सभी बेटियों को शिक्षा दिलाकर इस काबिल बनाया ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। दो बेटियों की शादी कराई, जिसमें से एक का तलाक हो गया। उनकी दो बेटियां शिक्षक हैं तो एक नर्स है। ऐसे में बुजुर्ग ने कोर्ट से गुहार लगाई कि बेटियां उन्हें कम से कम 30 हजार रुपये गुजारा भत्ता दें।

पुलिस आयुक्त तक से की शिकायत
वकील ने बताया कि बुजुर्ग ने पत्नी व बेटियों के खिलाफ मानसरोवर पार्क थाने व शाहदरा जिला पुलिस उपायुक्त कार्यालय के साथ ही पुलिस आयुक्त तक से शिकायत की थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ, इसलिए उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 

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