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दिल के इलाज के मामले में कमजोर हैं क्षेत्र के अस्पताल

आज है विश्व हृदय दिवस....... मनीषा गर्ग, पश्चिमी दिल्ली : पश्चिमी दिल्ली में यूं तो पांच बड़े अस्पताल

By JagranEdited By: Updated: Fri, 28 Sep 2018 10:50 PM (IST)
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दिल के इलाज के मामले में कमजोर हैं क्षेत्र के अस्पताल

आज है विश्व हृदय दिवस....... मनीषा गर्ग, पश्चिमी दिल्ली : पश्चिमी दिल्ली में यूं तो पांच बड़े अस्पताल हैं, लेकिन जनकपुरी अतिविशिष्ट अस्पताल को छोड़ दिया जाए तो किसी भी अस्पताल में हृदय रोग विभाग नहीं हैं। हालांकि, यहां भी हृदय विभाग में कई सुविधाएं अभी तक शुरू नहीं हुई हैं। ओपीडी के बाद यहां हाल ही में कुछ माह पूर्व कार्डियो लैब जिसमें स्टंट और पेसमेकर डालने की सुविधा शुरू की गई थी, लेकिन चिकित्सकों की कमी के चलते ऑपरेशन थिएटर को अभी तक शुरू नहीं किया गया। ऐसे में हृदय संबंधी जटिल बीमारियों के इलाज के लिए लोगों को या तो महंगे निजी अस्पतालों की शरण में जाना पड़ता है या फिर उन्हें लंबी दूरी तय करके अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जैसे बड़े सरकारी अस्पताल का रुख करना पड़ता है। जहां उन्हें इलाज के लिए महीनों तक इंतजार करना पड़ता है। वहीं, डीडीयू अस्पताल में हृदय रोगियों के इलाज के लिए कोई अलग से विभाग नहीं है, बल्कि मेडिसन विभाग के अंतर्गत ही कार्डियक केयर यूनिट (सीसीयू) बना हुआ है। यहां हृदय रोग से जुड़ा कोई भी ऑपरेशन संभव नहीं है। जिन मरीजों को ऑपरेशन की जरूरत होती है, उन्हें जीबी पंत या एम्स अस्पताल रेफर किया जाता है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए जनकपुरी में अतिविशिष्ट अस्पताल की स्थापना की गई थी, लेकिन वह भी अभी तक पूरी तरह शुरू नहीं हुआ है। वहीं द्वारका में प्रस्तावित इंदिरा गांधी अतिविशिष्ट अस्पताल का निर्माण कार्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है। हृदय रोग से बचने के उपाय :

अतिविशिष्ट अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. पुनित गोयल ने बताया कि विश्वभर में हृदय रोग के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। अब युवाओं में भी हृदय रोग की शिकायत सामने आ रही हैं। धूमपान, नशा, शारीरिक क्रिया का अभाव, तनाव, मधुमेह, खान-पान में कोलस्ट्रॉल की बढ़ती मात्रा व मोटापा हृदय रोग का सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने बताया कि सीने में कभी भी अचानक तेज दर्द, भारीपन, सांस फूलना, अधिक पसीना आना, चक्कर आना हृदय रोग के प्राथमिक लक्षण हैं। यह लक्षण नजर आने पर मरीज को जल्द से जल्द चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। डॉ. पुनीत ने बताया कि संतुलित आहार, व्यायाम-योग, तनावमुक्त जीवनशैली व्यक्ति को हृदय रोग से दूर रखने में सहायक है। हृदय घात के दौरान मरीज के 12 घंटे काफी खतरनाक होते हैं। इस बीच यदि स्टंट डालकर नसों को खोल दिया जाएं तो मरीज को बचाया जा सकता है। हृदय घात की स्थिति में मरीज को लिटा देना चाहिए और तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाना चाहिए। यदि हृदय घात के बाद मरीज बेहोश हो गया है तो सीपीआर(हृदय पर दबाव) देकर उसकी स्थिति में सुधार किया जा सकता है।

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