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किराड़ी में निर्माणाधीन मकान की दीवार ढही, मजदूर की मौत

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : सावन पार्क में हुए चार मंजिला इमारत हादसे के बाद भी नेता व

By JagranEdited By: Updated: Fri, 28 Sep 2018 11:26 PM (IST)
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किराड़ी में निर्माणाधीन मकान की दीवार ढही, मजदूर की मौत
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : सावन पार्क में हुए चार मंजिला इमारत हादसे के बाद भी नेता व अधिकारियों की नींद टूट नहीं रही है। अधिकारियों की लापरवाही के कारण लगातार हादसे हो रहे हैं। अवैध निर्माण की वजह से बृहस्पतिवार को फिर एक व्यक्ति की जान चली गई।

मामला किराड़ी विधानसभा क्षेत्र के प्रेम नगर-2 के जेड ब्लॉक का है, जहां एक निर्माणाधीन मकान की दीवार ढहने से एक मजदूर की मौत हो गई। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया। जिस निर्माणाधीन मकान की दीवार गिरी, वह इलाके के ही अनूप नामक बिल्डर का है। यह बिल्डर बि¨ल्डग मैटेरियल की आपूर्ति करने से लेकर मकान बनाने तक का काम करता है।

जानकारी के मुताबिक, छोटू कुमार मांझी किराड़ी विधानसभा क्षेत्र के प्रेम नगर-2 में परिवार के साथ रहते थे। परिवार में पत्नी, बेटी के अलावा माता-पिता भी हैं। छोटू मांझी पिछले कुछ दिनों से प्रेम नगर में ही निर्माणाधीन मकान में बेलदारी का काम कर रहे थे। मकान चार मंजिल तक तैयार हो चुका था। बृहस्पतिवार को दोपहर करीब 12 बजे इस बि¨ल्डग में पांचवीं मंजिल बनाने का काम चल रहा था। इसी दौरान पांचवीं मंजिल की दीवार गिर गई। दीवार के साथ ही छोटू भी जमीन पर आ गिरे। मौके पर मौजूद लोगों ने अन्य मजदूरों के सहयोग से उन्हें पास के ही एक अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि कानून को ताक पर रखकर भवन निर्माण हो रहा था। पीड़ित परिवार का आरोप है कि साइट पर सुरक्षा न होने की वजह से छोटू की मौत हुई है। इस हादसे के बाद से ही छोटू के परिवार में मातम का माहौल है। वहीं छोटू की पत्नी अपनी छह माह की बेटी की परवरिश को लेकर ¨चतित हैं। छोटू की कमाई से ही परिवार का खर्च चलता था।

इस घटना के बाद से स्थानीय लोगों में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि नगर निगम के रोहिणी जोन के तहत आने वाले इस क्षेत्र में खुलेआम अवैध निर्माण हो रहा है। इसकी शिकायत निगम अधिकारियों से लेकर नेताओं तक से की गई है, मगर कोई सुनने को तैयार नहीं है। इसके विपरीत कई बार तो शिकायतकर्ता का नाम ही नेता और अधिकारी उन लोगों को बता देते हैं, जिनकी शिकायत होती है। छोटू कुमार मांझी की मौत के बाद लोगों में इस बात को लेकर भी नाराजगी देखी गई कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के बजाय कुछ लोग मामले को दबाने की कोशिश में लगे हुए हैं।

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